न्यूज़ डेस्क (गणतंत्र भारत) नई दिल्ली : आजाद भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। देश के दो राज्यों के बीच सशस्त्र संघर्ष की नौबत आ गई और एक राज्य के छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। बात यहां से भी आगे निकल गई और सोशल मीडिया पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री आमने -सामने थे। मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा दोनों एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते नज़र आए। दोनों मुख्यमंत्रियों ने बीच बचाव के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मामले में दखल देने की मांग की। विवाद दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद का बताया जा रहा है।
मिजोरम सरकार का पक्ष
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने अपने बयान में पूरे हादसे को दुखद बताते हुए कहा है कि ये पूरा संघर्ष तब शुरू हुआ जब रविवार को दिन के साढ़े ग्यारह बजे कछार ज़िले के वैरंगते ऑटो रिक्शा स्टैंड के पास बने सीआरपीएफ़ पोस्ट में असम के 200 से ज़्यादा पुलिसकर्मी पहुंचे और इन लोगों ने मिज़ोरम पुलिस और स्थानीय लोगों पर बल प्रयोग किया। पुलिस के बल प्रयोग को देखते हुए जब स्थानीय लोग वहां जमा हुए तो उन पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया और टियर गैस का इस्तेमाल किया जिसमें कई लोग घायल हो गए।
मिजोरम सरकार का कहना है कि, स्थनीय पुलिस ने मामले को शांत करने की कोशिश की लेकिन जब असम पुलिस ने ग्रेनेड फेंके और फ़ायरिंग की तो मिज़ोरम पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की।
असम सरकार का पक्ष
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने अपने बयान में कहा है कि, विवाद तब शुरू हुआ जब यथास्थिति का उल्लंघन करते हुए मिज़ोरम सरकार ने लैलापुर ज़िले यानी असम के इलाक़े में सड़क बनाने का काम शुरू किया। इसी सिलसिले में 26 जुलाई को असम पुलिस के आईजी, डीआईजी और पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी वहां गए ताकि उन लोगों को यथास्थिति बनाए रखने के लिए समझाया जा सके। मुख्यमंत्री के बयान के मुताबिक असम के पुलिस बल पर मिज़ोरम के आम लोगों ने पत्थरों से हमला कर दिया और मिज़ोरम पुलिस भी उनका साथ देती नज़र आई। बयान में बताया गया कि, कोलासिब के पुलिस अधीक्षक ने असम के अधिकारियों से कहा कि उनका भीड़ पर नियंत्रण नहीं है और जब वे बातचीत कर ही रहे थे तभी मिज़ोरम के पुलिसकर्मियों ने गोली चलाई जिसमें असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई और कछार ज़िले के पुलिस अधीक्षक सहित पचास लोग घायल हो गए।
सीमा विवाद है हिंसा की वजह
एजेंसी की खबरों के अनुसार, विवाद की असली वजह दोनों राज्यों के बीच पुराने समय से चला आ रहा सीमा विवाद है। मिज़ोरम, 1972 तक असम का ही हिस्सा था। ये लुशाई हिल्स नाम से असम का एक ज़िला हुआ करता था जिसका मुख्यालय आइजोल था। बताया जाता है कि असम-मिज़ोरम के बीच ये विवाद 1875 की एक अधिसूचना से उपजा है जो लुशाई पहाड़ियों को कछार के मैदानी इलाकों से अलग करता है। मिज़ोरम की राज्य सरकार इसी के मुताबिक अपनी सीमा का दावा करती है, लेकिन असम सरकार इसे नहीं मानती। असम सरकार 1933 में चिन्हित की गई सीमा के मुताबिक अपना दावा करती है। इन दोनों माप में काफ़ी अंतर है। विवाद की असली जड़ वही एक-दूसरे पर ओवरलैप करता हुआ हिस्सा है जिस पर दोनों सरकारें अपना-अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
पहले, ये क्षेत्र वनों और जंगलों से ढका हुआ था और वीरान हुआ करता था लेकिन अब जनसंख्या के बढ़ते दबाव के कारण यहां रिहाइश हो गई है और जमीन पर दावेदारी को लेकर दोनों राज्यों में संघर्ष की घटनाएं बढ़ गई हैं। मिजोरम के अलावा असम का मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के साथ भी सीमा विवाद है।
कैसे खोजा जाए समाधान का रास्ता
असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिशें तो 1955 से ही होती रही हैं लेकिन दोनों पक्षों को मान्य कोई समाधान का रास्ता नहीं निकल पाया। समाधान तलाशने के विकल्प के रूप में एक रास्ता दोनों राज्यों की टीमों के द्वारा इलाके के संयुक्त सर्वे का है लेकिन आज तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई। अगर इस दिशा गंभीरता से कोई कार्रवाई होती तो सीमांकन का ठोस आधार तैयार हो सकता था।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया