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भारत के लोगों की क्रयशक्ति घटी, मानव सूचकांक में भूटान बेहतर स्थिति में

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न्यूज़डेस्क (गणतंत्र भारत) नई दिल्ली  : मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के नजरिए से भारत से बेहतर भूटान है। भारत की स्थिति इस सूचकांक में 131 स्थान की है जबकि भूटान 129 स्थान पर है। बांगलादेश 133 और नेपाल और पाकिसतान 154वें स्थान पर हैं। भारत को इस सूचकांक में 0.645 अंक हासिल हुए हैं। इसी कारण उसे मध्यम मानव विकास की श्रेणी में रखा गया है। साल 2019 के सूचकांक में हासिल ये अंक पिछले साल 2018 के मुकाबले बेहतर हैं। उस वर्ष भारत को 0.642 अंक मिले थे। गौर करने लायक बात ये है कि, भारत को मिले ये अंक विकासशील देशों के औसत अंक 0.689 से काफी कम हैं। सूचकांक को  तैयार करने वाली संस्था यूएनडीपी के अनुसार भारत ने बेहतर प्रदर्शन तो किया है लेकिन दूसरे देशों ने उससे बेहतर प्रदर्शन किया है। मानव विकास सूचकांक दुनिया भर के देशों के लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर को मापने का पैमाना है।  

मानव विकास की धीमी रफ्तार चिंता की बात

मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से भारत ने साल 1990 से 2000 के दशक में हर साल 1.44 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की। 2000 से 2010 के दशक में ये आंकड़ा बढ़कर 1.58 फीसदी तक पहुंच गया। लेकिन साल 2010 से लेकर 2019 के बीच  मानव विकास सूचकांक की रफ्तार धीमी पड़ने लगी और ये गिरकर 1.21 प्रतिशत सालाना पहुंच गई। पिछले 2 सालों की बात करें तो साल 2018 में ये दर 0.3 प्रतिशत थी तो 2019 में ये 0.5 प्रतिशत रही।     

औसत जीवन काल और शिक्षा का स्तर

मानव विकास सूचकांक के अनुसार, साल 2019 में भारत में औसत जीवन काल 69.7 वर्ष का रहा जबकि बांगलादेश में ये आंकड़ा 72.6 साल का है जो भारत से बेहतर है। पाकिस्तान इस मामले में भारत से खराब स्थिति में है वहां लोगों का औसत जीवन काल 67. 3 वर्ष का है।

इस अवधि में, भारत में स्कूली शिक्षा की औसत अवधि 12.2 वर्ष रही जबकि स्कूली शिक्षा हासिल करने की असल अवधि इससे भी कम 6.5 वर्ष रही।  भारत इस मामले में दूसरे देशों के मुकाबले थोड़ी बेहतर स्थित में रहा और उसका नंबर 125 रहा।

भारत में लड़कियों की स्थिति खराब

मानव विकास सूचकांक के अनुसार भारत में कुपोषण से जुड़ी समस्या काफी विकराल है और वो इस ममले में कंबोडिया और थाईलैंड  के समकक्ष खड़ा  है। भारत में लड़कों के मुकाबले लड़कियों में कुपोषण ज्यादा देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट  के अनुसार, इसकी वजह लड़कियों के प्रति माता-पिता का बर्ताव तो है ही साथ ही लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य  के क्षेत्र में सरकारी निवेश में गिरावट भी है।

प्रति व्यक्ति आय

मानव विकास सूचकांक के आंकडों के हिसाब से भारत में साल 2018 के मुकाबले क्रय शक्ति क्षमता के आधार पर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय में भी गिरावट देखने को मिली है। ये 6829 डॉलर से गिरकर 6681 डॉलर पर आ गई है। इसमें भारत भारत दूसरे देशों के मुकाबले काफी पीछे 162 वें स्थान पर है।

नार्वे तो निराला है

मानव विकास सूचकांक में सबसे अव्वल रहा यूरोपीय देश नार्वे। नार्वे के बाद आयरलैंड, स्विटजरलैंड, हॉंगकॉंग और आइसलैंड शीर्ष पांच देशों में रहे। शीर्ष 10 देशों की बात करें तो इनमें जर्मनी, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड और डेनमांर्क शामिल रहे।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया   

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