रांची, 03 सितंबर (गणतंत्र भारत के लिए राजेश ) : झारखंड के देवघर एयरपोर्ट पर कथित तौर पर सुरक्षा से खिलवाड़ का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और राजनीतिक रंग लेता जा रहा है। इस मामले में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी समेत नौ लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। एफ़आईआर में निशिकांत दुबे के दो बेटों का नाम भी शामिल है। दूसरी तरफ, सांसद निशिकांत दुबे ने भी इस मामले में दिल्ली में एक एफआईआर दर्ज कराई है।
इस बीच, निशिकांत दुबे ने कहा है कि विवाद के पीछे विशुद्ध राजनीति है। वे और मनोज तिवारी अंकिता के परिजनों से मिलने वहां गए थे और ये बात झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को पची नहीं और उन्होंने कलेक्टर के जरिए विवाद खड़ा कर दिया।
क्या है मामला ?
पूरा मामला बीजेपी सांसदों के झारखंड के दुमका जाने के साथ ही शुरू हुआ। निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी कुछ अन्य लोगों के साथ 31 अगस्त को झारखंड के दुमका शहर जाने के लिए देवघर एयरपोर्ट उतरे थे। वे एकतरफ़ा प्यार की शिकार हुई अंकिता के परिजनों से मिलने पहुंचे थे। देवघऱ से वे दुमका के लिए रवाना हो गए थे। इन लोगों पर देवघर एयरपोर्ट पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी और नियमों को तोड़ने का आरोप है। इन दोनों बीजेपी नेताओं और इनके साथ मौजूद लोगों पर एयरपोर्ट की एटीसी बिल्डिंग (एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल बिल्डिंग) में जबरन घुसने का आरोप है। देवघर के एक अधिकारी की ओर से दर्ज शिकायत में इन लोगों पर, दबाव बनाकर जबरन एटीएस क्लीयरेंस लेने का भी आरोप है।
दिल्ली में निशिकांत दुबे ने देवघर के डीसी के खिलाफ एक जीरो एफ़आईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने धारा 124बी, 353, 120बी, 441, 447, 201, 506 के तहत एफ़आईआर दर्ज की है।
डीसी और बीजेपी नेता आमने –सामने
मामले के सार्वजनिक होने के साथ ही सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों की तरफ से अपना – अपना पक्ष सपष्ट किया जाने लगा। देवघर के ज़िलाधिकारी मंजूनाथ ने ट्विटर पर विस्तार से घटना का जिक्र किया है। उन्होंने ट्वीट में बताया कि, देवघर एयरपोर्ट पर सुरक्षा मानकों के उल्लंघन और एटीसी बिल्डिंग के अन्दर बिना किसी अनुमति के यात्रियों के प्रवेश को लेकर उपायुक्त कार्यालय को पत्र मिला है। उन्होंने बताया कि, सभी तथ्यों को देखते हुए स्पष्ट है कि एयरपोर्ट संचालन के सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करते हुए यात्रियों द्वारा एटीसी में प्रवेश किया गया। रात्रि-संचालन की सुविधा न रहने के बावजूद, यात्रियों की सुरक्षा को नज़रअंदाज करते हुए, क्लीयरेंस के लिए दबाव बनाया गया।
ट्वीट में बताया गया कि, सामान्य तौर पर शाम साढ़े पांच बजे तक ही यहां से विमानों का संचालन किया जाता है। देवघर एयरपोर्ट पर रात में टेक-ऑफ़ करने या लैंडिंग की सुविधा अभी तक उपलब्ध नहीं है इसलिए लो-विज़िबिलिटी और ख़राब मौसम की स्थिति में एयरक्राफ़्ट को एटीसी क्लीयरेंस देना संभव नहीं था। बावजूद इसके चार्टर्ड प्लेन के पायलट और यात्रियों ने एटीसी कर्मियों पर क्लीयरेंस देने का दबाव बनाया।
निशिकांत दुबे की सफाई
विवाद के तूल पकड़ने के साथ निशिकांत दुबे ने भी दिल्ली में मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने कहा कि, अगर आरोप सही साबित हुए तो वे राजनीति छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि, झारखंड सरकार मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, वे देवघर एयरपोर्ट के एडवाइज़री कमिटी के चेयरमैन हैं और उन्हें एयरपोर्ट निरीक्षण का अधिकार है। उन्होंने ट्विटर पर देवघर के डीसी को टैग करके कई सवाल भी पूछे हैं और साथ ही उन्होंने इस कार्रवाई को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना भी साधा है।
मुद्दे पर चढ़ा राजनीतिक रंग
निशिकांत दुबे ने ट्विटर पर लिखा कि, मुद्दा अंकिता की निर्मम हत्या है। उसके परिवार से मिलने हम (मनोज तिवारी, कपिल मिश्रा) क्या गए, हेमंत सोरेन, आप इतना बौखला गए? पूरा पेड-सिस्टम और अधिकारी गाली देने लगे। अंकिता और झारखंड के इस्लामी-करण से त्रस्त परिवार के इंसाफ़ की लड़ाई केस मुक़दमे से बंद नहीं होगी। मनोज तिवारी ने भी मीडिया में कुछ इसी तरह की सफाई दी है। उन्होंने कहा कि, वे भी संसद की स्थायी समिति के सदस्य हैं और वे भी इस तरह के निरीक्षण के लिए अधिकृत हैं।
सवाल ये कि, राजनीति के इस रंग के बीच विमानों के परिचालन में सुरक्षा नियमों की अनदेखी या उनके साथ छेड़छाड़ कहां तक जायज हैं। आरोप कहां तक जायज है ये तो जांच का विषय है लेकिन मामले में जिस तरह के तेवर देखने को मिल रहे हैं उसमें जांच भी कितनी जायज होगी देखने वाली बात तो यही होगी।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया