Homeपरिदृश्यटॉप स्टोरीबिलकिस के गुनाहगार इन दरिंदों की रिहाई क्यों ‘न्याय ’ नहीं ‘अन्याय...

बिलकिस के गुनाहगार इन दरिंदों की रिहाई क्यों ‘न्याय ’ नहीं ‘अन्याय ’ है ?

spot_img

नई दिल्ली, 19 अगस्त (गणतंत्र भारत के लिए लेखराज ) : गुजरात में बिलकिस बानो के साथ रेप और उसके परिवारजनों की हत्या के मामले में जिस तरह से आरोपियों को जेल से रिहा किया गया उसे लेकर तमाम तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं। मुख्यधारा के मीडिया से तो ये सवाल गायब हैं लेकिन सोशल मीडिया पर इस रिहाई को लेकर तीखी प्रतिक्रिया मिल रही है। सुप्रीम कोर्ट में 6000 से ज्यादा बुद्धिजीवियों, पेशेवरों और सेवानिवृत्त वरिष्ठ अफसरों ने इस रिहाई के खिलाफ आवाज उठाई है।

इस मामले में कई सवालों की चर्चा है। पहला तो यही कि, आरोपियों की रिहाई 1998 के उस कानून के तहत की गई जिसे राज्य सरकार ने खुद ही 2013 में खत्म कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही तब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। कैसे एक खत्म हो चुके कानून के नियमों के तहत इस तरह की रिहाई संभव हो सकी ?

दूसरा सवाल, अपराध के चरित्र को लेकर है। सामूहिक बलात्कार और हत्याओं से जुड़े इस मामले में आरोपियों से सहानुभूति का देश में ये शाय़द पहला और एकमात्र मामला है।

तीसरा, कथित तौर पर सर्वसम्मति से रिहाई का फैसला करने वाली समित में प्रशासनिक अफसरों के अलावा बीजेपी के दो विधायक भी शामिल थे। 2002 में जब ये अपराघ किया गया था उस वक्त राज्य में बीजेपी की ही सरकार थी और नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। गुजरात दंगों के लेकर तत्कालीन सरकार की कार्यशैली विवादित थी और उसकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद राज्य सरकार को इस बारे में राजधर्म निभाने की नसीहत दी थी।

हाईकोर्ट और संबंधित आदालतें देखें

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे में एक रिपोर्ट छापी है जिसमें बिलकिस बानो के मामले की सुनवाई करने वाले और आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाने वाले रिटायर्ड जज यूडी साल्वी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने ये फैसला 2008 में मामले की सुनवाई करते हुए मुंबई सिटी सिविल और सेशंस कोर्ट के स्पेशल जज के रूप में सुनाया था। उन्होंने अपने फैसले में 11 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए बिलकिस के साहस की दाद दी थी। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि, मैं केवल ये कहना चाहूंगा कि दिशानिर्देश हैं (छूट देने के पहलू पर), राज्य स्वयं इन दिशानिर्देशों को निर्धारित करता है। इस पर भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले हैं। उन्होंने कहा कि, फैसला बहुत पहले दिया गया था। अब ये सरकार के हाथ में है। राज्य को फैसला लेना है। ये सही है या नहीं, ये संबंधित अदालत या हाई कोर्ट को देखना है।

साल्वी ने कहा कि, फैसला बहुत कुछ समझा सकता है- मामले की परिस्थितियां क्या थी, कौन लोग इसमें शामिल थे और किस तरह से ये अपराध हुआ। उसने (बिलकिस) इसमें शामिल लोगों के नाम बताए थे। ये केवल आरोपी की पहचान पर आधारित नहीं था। …फैसला अपने लिए खुद बोलेगा, इसे अलग करके नहीं देखा जा सकता। फैसले पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि, जो पीड़ित है  वही इसकी पीड़ा को महसूस कर सकती है और इसे बेहतर तरीके से समझ सकती है।

बिलकिस की प्रतिक्रिया

दोषियों की रिहाई के बाद बिलकिस बानो ने अपने वकील के जरिए एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि, ‘आज, मैं केवल यही कह सकती हूं  किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे समाप्त हो सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था। मुझे सिस्टम पर भरोसा था और मैं धीरे-धीरे अपने आघात के साथ जीना सीख रही थी। इन दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय से मेरा भरोसा हिल गया है’।

आपको बता दें कि, बिलकिस बानो के मामले की संजीदगी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में इसे गुजरात हाईकोर्ट से ट्रांसफर करके मुंबई की अदालत को सौंप दिया था। गुजरात में सुनवाई के दौरान बिलकिस और उसके परिजनों को लगातार धमकियां दी जा रहीं थीं। सुनवाई के दौरान इस मामले में गवाहों के बयान के अलावा हजारों पन्ने के सबूत पेश किए गए।

सजायाफ्ता 11 आरोपियों ने गुजरात सरकार को सजा में छूट के लिए आवेदन दिया था। सरकारी पैनल ने उस आवेदन पर विचार करते हुए आरोपियों को जेल से रिहा करने का आदेश दिया।

निर्भया कांड जैसा वीभत्स

रिहाई को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। एक बड़ा तबका इस रिहाई को पक्षापातपूर्ण मानता रहा है। अभी पिछली 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में नारी सम्मान की बात को बड़े जोरशोर से उठाया था और उसी वक्त ऐसे संगीन मामले में आरोपियों की रिहाई से उनकी बातों की गंभीरता पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है।

फोटो सौजन्य – सोशल मीडिया    

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

- Advertisment -spot_img

Recent Comments