नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क ) : देश के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने कहा है कि, भारत में खोजी पत्रकारिता की अवधारणा दुर्भाग्य से मीडिया परिदृश्य से गायब हो रही है। मुख्य़ न्यायाधीश ने पत्रकार सुधाकर रेड्डी उदुमुला की लिखी किताब ‘ब्लड सैंडर्स: द ग्रेट फॉरेस्ट हाइस्ट’ के विमोचन के अवसर पर कहा कि, पूर्व में हमने घोटालों और कदाचार को लेकर अखबारों की रिपोर्ट देखी हैं जिन्होंने पूरे परिदृश्य को हिला कर रख दिया लेकिन, हाल के वर्षों में बमुश्किल एक या दो को छोड़कर मुझे इस तरह की कोई खोजी रिपोर्ट याद नहीं आती। ऐसा लगता है कि, हमारे बगीचे में सब कुछ गुलाबी-गुलाबी है। उन्होंने कहा कि ये मैं आप पर छोड़ता हूं कि आप खुद कोई निष्कर्ष निकालें।
उन्होंने कहा कि, एक ऐसे शख्स के तौर पर जिसका पहला काम पत्रकार का था। मैं यहां मीडिया की मौजूदा स्थिति को लेकर कुछ विचार पेश कर रहा हूं। खोजी पत्रकारिता की अवधारणा दुर्भाग्य से मीडिया परिदृश्य से गायब हो रही है। ये कम से कम भारतीय संदर्भ में एकदम सच है।
उन्होंने आगे कहा कि, जब हम बड़े हो रहे थे तो बड़े-बड़े घोटालों को उजागर करने वाले समाचार-पत्रों का बेसब्री से इंतजार करते थे। समाचार-पत्रों ने हमें कभी निराश नहीं किया। न्यायमूर्ति रमन्ना ने कहा कि, अतीत में हमने घोटालों के बारे में समाचार-पत्रों की रिपोर्ट देखी हैं, जिनके गंभीर परिणाम सामने आए। एक या दो को छोड़कर मुझे हाल के वर्षों में इतनी महत्ता की कोई खबर याद नहीं है।
न्य़ायमूर्ति रमन्ना ने कहा कि, ‘ऐसे में मीडिया को अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है। रक्षकों की भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों और संस्थानों की सामूहिक विफलताओं को मीडिया द्वारा उजागर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लोगों को इस प्रक्रिया में कमियों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है और ये एक ऐसा काम है जो केवल मीडिया ही कर सकता है।
गौरतलब है कि, मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने अपने करियर की शुरुआत इनाडू अखबार में बतौर पत्रकार के रूप में की थी। इससे पहले भी मुख्य न्यायाधीश रमन्ना पहले भी सार्वजनिक मंचों से कई बार मीडिया की मौजूदा स्थिति पर सवाल खड़े करते रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की हालत पर कई गंभीर प्रश्न उठाए हैं।
फोटो सौजन्य़ –सोशल मीडिया