Homeपरिदृश्यटॉप स्टोरीआखिर, प्रमोद कृष्णन अगले 15 दिनों में किस 'धमाके' की बात कह...

आखिर, प्रमोद कृष्णन अगले 15 दिनों में किस ‘धमाके’ की बात कह रहे हैं…?

spot_img

नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र) : कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन एक टीवी चैनल पर महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर बहस में बैठे थे। इसी दौरान उन्होंने एक वक्तव्य दिया, वक्त्वय थोड़ा चौकाने वाला था। उन्होंने कहा कि, सुप्रिया सुले कह रही हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में अगले 15 दिनो में दो बड़े धमाके होने वाले हैं लेकिन उससे पहले राजस्थान की राजनीति में बड़ा धमाका होने वाला है। आचार्य प्रमोद कृष्णन, प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते हैं और उनका ये बयान गहरे अर्थो वाला था। उनका इशारा राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत बनाम सचिव पाय़लट की राजनीतिक रस्साकसी पर था। प्रमोद कृष्णन सचिन पायलट के करीबी भी माने जाते हैं और वे कई मंचों पर कहते रहे हैं कि सचिन पायलट को राजस्थान की कमान मिलनी चाहिए।

आचार्य प्रमोद कृष्णन के इस दावे में कई मायनों में दम दिखता है। पिछले दिनों के कुछ घटनाक्रम गौर करने वाले हैं।

सबसे पहले, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इशारों-इशारों में सचिन पायलट की तारीफ करते हुए उन्हें एक राजनीतिक फिलर देने की कोशिश की। अमित शाह ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस में रहते हुए पायलट का नंबर नहीं आने वाला। मतलब साफ था कि वे ये कहना चाह रहे थे कि गहलोत के रहते पाय़लय मुख्यमंत्री नहीं बन सकते।

दूसरी घटना, सचिन पायलट का अशोक गहलोत की सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठना वह भी तब जबकि पार्टी आलाकमान ने चेतावनी दी थी कि उनकी गतिविधि को अनुशासनहीनता माना जाएगा।

तीसरी घटना, दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और के,सी. वेणुगोपाल के साथ सचिन पायलट की बैठक। सूत्रों की माने तो कमलनाथ के घर हुई इस बैठक में वेणुगोपाल और सचिन पायलट के बीच काफी कहासुनी हुई। वेणुगोपाल और कमलनाथ की रिपोर्ट के बाद बताया जाता है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी सचिन पायलट को लेकर काफी खफा है।

इसी बीच, पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सचिन पाय़लट की गतिविधियो की एक तथ्यपरक रिपोर्ट सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपी है और जानकारों की माने तो इन सारे तथ्यों के आधार पर आने वाले समय में पार्टी सचिन पायलट को लेकर कोई फैसला ले सकती है। पार्टी की रणनीति ये भी है कि अभी कर्नाटक में चुनाव होने को हैं और पार्टी के किसी भी कठोर फैसले का संदेश एक विवाद तो पैदा करेगा ही। चुनावी माहौल में पार्टी ऐसे किसी भी विवाद के पैदा होने से बच रही है। सूत्रों की माने तो इसी कारण पार्टी ने सचिन पायलट के अनशन के खिलाफ राज्य प्रभारी की रिपोर्ट पर कार्रवाई को भी फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल रखा है।

फिलहाल पार्टी की रणनीति

जानकारों की माने तो कांग्रेस पार्टी ने सचिन पायलट को लेकर फौरी तौर पर वेट एंड वॉच की पॉलिसी पर चलने का फैसला किया है। पार्टी को पता है कि सचिन पायलट के पास पहले जो जनाधार था वह भी सिकुड रहा है। ये बात खुद सचिन पायलट भी समझते हैं। मानेसर में जब उन्होंने गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था उस वक्त उनके पास तकरीबन 19 विधायक जुटे थे उन्हें जरूरत थी 32 की। मिशन फेल हो गया। सूत्र बताते हैं कि आज की तारीख में पायलट समर्थक विधायकों की संख्या दहाई में होना भी मुश्किल है। ऐसे में पार्टी नहीं चाहती कि वो उन्हें पार्टी से निकाल कर शहीद बना दे।

सचिन पायलट के सामने विकल्प

जानकारों की मानें तो सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के सामने मोर्चा तो खोल दिया है लेकिन उन्हें खुद अपनी ताकत पर संदेह है। उन्हें पता है कि अगर वे बीजेपी में गए तो राज्य में ही उनकी गिनती वसुंधरा राजे और राजेंद्र राठौड़ जैसे वरिष्ठ नेताओं के रहते बहुत पीछे होगी और ये उनको शाय़द मंजूर न हो।

एक चर्चा ये भी उड़ी थी कि शायद वे राज्य में नई पार्टी का गठन करने के मूड में हैं। लेकिन सचिन पायलट को ये अच्छी तरह पता है कि राजस्थान के उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे जाट-गूजर इलाकों को छोड़कर उनका जनाधार न के बराबर है। ऐसे में नई पार्टी बनाने का विचार उनके लिए शायद बहुत फायदे का न हो।

फिलहाल सचिन पायलट के सामने भी बहुत सीमित विकल्प हैं और शायद उन्हें भी पार्टी की तरफ से किसी कदम का इंतजार है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

Print Friendly, PDF & Email
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

- Advertisment -spot_img

Recent Comments