Homeपरिदृश्यचर्चित चेहरेजब ‘छोटे मोदी’ यूपीएससी के चेयरमैन बनेंगे तो सवाल तो उठेगा ही...

जब ‘छोटे मोदी’ यूपीएससी के चेयरमैन बनेंगे तो सवाल तो उठेगा ही…

spot_img

नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र) : संघीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) के नए अध्यक्ष के रूप में मनोज सोनी की नियुक्ति इन दिनों खासी चर्चित है। मनोज सोनी को बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनके नजदीकी रिश्तों से जोड़कर देखा जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनकी नियुक्ति के बाद किए अपने ट्वीट में सघीय लोकसेवा आयोग को संघीय प्रचारक सेवा आयोग जैसे उपनाम से संबोधित किया।

मनोज सोनी अभी तक संघीय़ लोकसेवा आयोग के सदस्य थे। वे अध्य़क्ष के रूप में लोकसेवा आयोग में जून 2023 तक ही कार्यरत रह पाएंगे क्योंकि नियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति संघीय लोकसेवा आयोग में अधिकतम छह वर्ष या 65 वर्ष की उम्र तक ही रह सकता है। मनोज सोनी जून 2023 में लोकसेवा आयोग में अपना छह वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लेंगे।

क्या है मनोज सोनी की पृष्ठभूमि ?

कहा जाता है गरीबी और अभाव की पृष्ठभूमि से आने वाले मनोज सोनी ने जीवन में बहुत संघर्ष किया। उन्होंने जीवन यापन के लिए मुंबई की सड़कों पर अगरबत्तियां बेचने का काम किया। इस संघर्षयात्रा से निकल कर वे 2005 में देश के किसी विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के वाइस चांसलर बने। मनोज सोनी ने राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की और उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में स्पेशलाइजेशन किया। शीत युद्ध के बाद के दौर में भारत- अमेरिका संबध विषय पर अपनी डॉक्टोरेट लेने के बाद उन्होंने सरदार पटेल युनिवर्सिटी में पढ़ाना शुरू कर दिया। बचपन के दिनों से ही मनोज सोनी स्वामीनारायण पंथ से संबंधित गुजरात के आणंद जिले के अनपुम मिशन से जुड़े रहे। 2020 में उन्हें मिशन की तरफ से निष्काम कर्मयोगी घोषित किया गया।

नियुक्ति पर विवाद क्यों ?

कभी कहलाते थे छोटे मोदी

बताया जाता है कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो मनोज सोनी उनके भाषण लिखने वालों लोगों में से एक हुआ करते थे। नरेंद्र मोदी के वे काफी निकट थे और इसी कारण लोग उन्हें छोटे मोदी के नाम से पुकारते थे।

हिंदुत्व के पैरोकार लेखक

2002 के गुजरात दंगों के बारे में लिखी गई किताब ‘इन सर्च ऑफ ए थर्ड स्पेस’ में मनोज सोनी ने दंगों की एक ऐसी तस्वीर पेश करने की कोशिश की जो हिंदूवादी नजरिए में फिट बैठती थी।

कभी कहलाते थे संघी और फेल्ड वाइस चासंलर

विवाद की दूसरी वजह की जड़ें मनोज सोनी के एमएस युनिवर्सिटी वडोदरा के कार्यकाल से जुड़ी हैं। मनोज सोनी यहां वाइस चांसलर थे। बताया जाता है कि उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय़ स्वयं सेवक संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं की दखल विश्वविद्यालय  के प्रशासनिक मामलों में बहुत ज्यादा बढ़ गई थी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने एक न्यज़ पोर्टल से बातचीत मे आरोप लगाया कि, सोनी के वाइसचांसलर रहने के दौरान वडोदरा की महाराजा सायाजी राव युनिवर्सिटी का शैक्षिक स्तर बहुत तेजी के साथ गिरा। इस विश्वविद्यालय की फाइन आर्ट्स फैकल्टी बहुत शानदार मानी जाती थी लेकिन सोनी के कार्यकाल में वह पूरी तरह से बर्बाद हो गई।

 स्वामीनारायण संप्रदाय़ और आएसएस से निकटता

 विवाद की एक बड़ी वजह मनोज सोनी की नियुक्ति से निकला संदेश भी है। मनोज सोनी की पृष्ठभूमि और उनके कार्यकलाप से उनके कार्य की निष्पक्षता पर सवाल उठना स्वाभाविक है। राजनेता, शिक्षाविद या अफसरों की बिरादरी सभी ने इस नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। स्वामीनारायण संप्रदाय से दीक्षित और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से निकटता के कारण वे पहले से ही विवादित रहे हैं। बताया जाता है कि उनकी शिक्षा की फंडिग भी अनुपम मिशन से कराई गई थी। पूर्व आईएएस और मौजूदा तृणमूल सांसद जवाहर सिरकार ने मनोज सोनी की नियुक्ति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

वैसे आमतौर पर, संघीय लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार किसी पूर्व आईएएस या संघीय सेवा के अफसर को ही सौंपा जाता रहा है। हालांकि, पहले भी कई जाने-माने शिक्षाविदों को संघीय लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है लेकिन निर्विवादित होने के साथ उनकी शैक्षिक योग्यता और साख बेदाग थी। यूपीएससी के पहले चेयरमैन ही इंगलैंड की रॉयल सोसायटी ऑफ टीचर्स के प्रेसीडेंट और विख्यात शिक्षाविद सर रॉस बार्कर थे जिन्होंने 1926 से लेकर 1932 तक कार्यभार संभाला।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

 

Print Friendly, PDF & Email
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

- Advertisment -spot_img

Recent Comments