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’व्हाई आई किल्ड गांधी’ विवादों में फंसी…सांसद निभा रहे हैं गोडसे का किरदार

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुहासिनी ) : महात्मा गांधी के हत्यारे नाथू राम गोडसे पर बनी फिल्म रिलीज से पहले ही विवादों में घिर गई है और इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जाने लगी है। इस विवाद का एक राजनीतिक रंग भी है। फिल्म में नाथूराम गोडसे का किरदार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद अमोल कोल्हे ने निभाया है। फिल्म 30 जनवरी को कई ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज़ होने वाली है। 1948 में 30 जनवरी को ही महात्मा गांधी की ह्त्या कर दी गई थी।

नाथूराम गोडसे पर बनी इस फिल्म का नाम है व्हाई आई किल्ड गांधी’ (मैंने गांधी को क्यों मारा)। कांग्रेस समेत तमाम विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि इस फिल्म में महात्मा गांधी के हत्यारे का महिमामंडन है और इसे बर्दाश्त नहीं किया  जा सकता। महाराष्ट्र मे कांग्रेस नेता नाना पटोले का कहना है कि गांधी के हत्यारे को हीरो के तौर पर दिखाना सरासर ग़लत है।

नाना पटोले ने कहा कि, अगर गांधी जी के हत्यारे को हीरो के तौर पर दिखाया जाता है तो ये ग़लत है। गांधी और उनके विचार से हमारे देश को पहचाना जाता है इसलिए कांग्रेस इस फ़िल्म का विरोध करेगी। महाराष्ट्र में ये फ़िल्म रिलीज न हो इसके लिए हम मुख्यमंत्री से गुज़ारिश करेंगे।

विरोध का एक और पेंच

इस फिल्म में नाथूराम गोडसे का किरदार शिरूर से एनसीपी सांसद अमोल कोल्हे ने निभाया है। महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार है जिसमें शिवसेना के साथ कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस भी सरकार में शामिल हैं।  2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन में एनसीपी अहम हिस्सा रही है।

फ़िल्म पर विवाद शुरू होने के बाद एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में एनसीपी नेता अमोल कोल्हे ने कहा कि वे गांधी की विचारधारा को मानते हैं कि किसी भी हत्या को कभी सही नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि, निजी तौर पर मैं मानता हूं कि गांधी की हत्या उन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में से एक है जिसको कतई सही नहीं ठहराया जा सकता। मैं उनकी विचारधारा को मानता हूं। उन्होंने गोडसे का किरदार निभाने पर अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि, एक कलाकार के तौर पर कभी-कभी आपको ऐसे किरदार निभाने पड़ते हैं जिनकी विचारधारा आपकी अपनी निजी विचारधारा से अलग होती है और कैमरे के सामने जाते ही आपको इसे परे रखकर काम करना होता है।

वहीं, इस फिल्म के निर्माता ने एक बयान में कहा है कि, ये 20वीं सदी के भारतीय इतिहास को अलग नज़रिए से देखने की कोशिश है। फ़िल्म निर्माता का ये भी कहना है कि फ़िल्म गोडसे के उस बयान को आधार बनाकर बनाई गई है, जो उन्होंने गांधी की हत्या के मामले में सुनवाई के दौरान अदालत में दिया था।

प्रतिबंध की मांग

इस बीच, ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन (एआईसीडब्लूए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इस फ़िल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। ट्विटर पर पोस्ट किए इस पत्र में एसोसिएशन की तरफ से कहा गया कि इस फ़िल्म में गोडसे के किरदार को गौरवान्वित किया गया है। पत्र में लिखा है, फ़िल्म में गोडसे का किरदार लोकसभा के एक सांसद ने निभाया है जिन्होंने संविधान की शपथ ली है। इस फ़िल्म की रिलीज़ पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए।

फोटो सौजन्य-सोशल मीडिया

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