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क्या एलन मस्क बन जाएंगे ट्विटर के मालिक ? समझिए इस खेल को….

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सैन फ्रांसिस्को (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) :  दुनिया के शीर्ष उद्योगपति एलन मस्क माइक्रोब्लॉगिंग और सोशल नेटवर्किंग मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को खरीदने के लिए उतावले हैं। एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदने के लिए अपनी तरफ से 43 से 46 बिलियन डॉलर देने का प्रस्ताव किया है।

इस डील को लेकर ट्विटर के संस्थापकों के बीच मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं और अभी तक मस्क के प्रस्ताव को ट्विटर ने गंभीरता से नहीं लिया है। ट्विटर के संस्थापकों में  जैक डॉर्सी, बिज स्टोन, इवान विलियम्स और नोह ग्लास शामिल हैं। ट्विटर के सीईओ भारतीय मूल के पराग अग्रवाल हैं।

एलन मस्क, टेस्ला, द बोरिंग कंपनी, स्पेस एक्स और न्यूरा लिंक जैसी बड़ी कंपनियों के मालिक हैं। पिछले कुछ समय से मस्क लगातार ट्विटर को खरीदने की कोशिश कर रहे हैं और उन्होंने लगातार अपने प्रस्ताव को बेहतर से बेहतर बनाने का प्रयास किया है। ताजा प्रस्ताव में मस्क ने ट्विटर के सौदे के लिए 43 से लेकर 46 बिलियन डॉलर देने का प्रस्ताव   किया है। एकाध दिन में ट्विटर को लेकर अंतिम फैसला हो जाएगा।

मस्क क्यों चाहते हैं ट्विटर को खरीदना ?

ट्विटर की स्थापना 21 मार्च 2006 को की गई थी। दुनिया में इस समय करीब 21 करोड़ लोग ट्विटर के प्लेटफॉर्म पर हैं। अमेरिका में सबसे ज्यादा करीब 8 करोड लोग ट्विटर पर हैं जबकि दूसरे नंबर पर जापान में करीब 6 करोड़ ट्विटर के यूज़र हैं। भारत में भी करीब ढाई करोड़ ट्विटर के यूज़र हैं। सोशल मीडिया नेटवर्किंग और माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में ट्विटर के बेजा इस्तेमाल को लेकर काफी वाद-विवाद भी रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनावों में ट्विटर पर पैसे लेकर उनके खिलाफ काम करने का आरोप लगाया था।

भारत में भी ट्विटर की कार्यशैली को लेकर काफी विवाद हुआ और ट्विटर को अपना इंडिया हेड बदलना पड़ा था। भारत सरकार के आग्रह पर ट्विटर को कई एकाउंट ब्लॉक भी करने पड़े।

अब सवाल उठता है कि, ऐसे विवादित प्लेटफ़ॉर्म को आखिर एलन मस्क क्यों खरीदना चाहते हैं ? मस्क का अभी तक का जो कारोबार है उसमें आधुनिकतम कारें, हाइपरलूप ट्रेन, स्पेस क्राफ्ट जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं। मस्क ट्विटर की ताकत को पहचानते हैं और उसके प्रभाव क्षेत्र को और विस्तार देना चाहते हैं। उन्हें पता है कि, ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए वे दुनिया के देशों की सरकारों से लेकर राजनेताओं तक को प्रभाव में लेने की क्षमता रख पाएंगे और उससे उन्हें जो ताकत हासिल होगी वो उनके कारोबार में चार चांद लगाने के साथ उनके निजी प्रभाव को भी बहुत बढ़ा देगी। उनके सामने एक बिल्डर से राजनेता बने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप का उदाहरण भी है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

 

 

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