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सुप्रीम कोर्ट में नहीं चलीं केंद्र की दलीलें, पेगसस कांड की जांच होगी

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : सुप्रीम कोर्ट ने पेगसस स्पाईवेयर तकनीक के जरिए जासूसी कराने के मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि, वो पेगेसस जासूसी कांड की जांच करने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी गठित करेगी। अदालत ने कहा कि ये कमेटी तीन सदस्यों की होगी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश केंद्र सरकार के लिए एक तगड़ा झटका है। केंद्र सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए लगातार इस मामले पर सार्वजनिक चर्चा और जांच से बच रही थी ।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमना, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति  हिमा कोहली की बेंच ने ये फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश की शुरुआत करते हुए ही केंद्र सरकार पर बहुत तीखी टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्याय सिर्फ होना नहीं, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए। उन्होंने इस मामले में लेखक जॉर्ज ऑरवेल की किताब 1984 का हवाला देते हुए उसकी कुछ लाइनों का उल्लेख किया, अगर आप किसी चीज़ को गोपनीय रखना चाहते हैं तो उसे खुद से भी गोपनीय रखिए। (if you want to keep a secret, you must also hide it from yourself)     

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमन्ना ने कहा कि, हमने लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के हनन से बचाने से कभी परहेज नहीं किया। निजता केवल पत्रकारों और नेताओं के लिए नहीं  बल्कि ये आम लोगों का भी अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों की विवेकहीन जासूसी किसी भी कीमत पर  मंजूर नहीं की जा सकती है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमन्ना ने कहा कि,  कुछ याचिकाकर्ता पेगसस के सीधे शिकार हैं। ऐसी तकनीक के उपयोग पर गंभीरता से विचार करना केंद्र का दायित्व है। हमने भारत में निजता के अधिकार की रक्षा की आवश्यकता पर चर्चा की है। हम सूचना के युग में रहते हैं। हमें ये पहचानना चाहिए कि प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है। निजता के अधिकार की रक्षा करना महत्वपूर्ण है,  न केवल पत्रकार बल्कि गोपनीयता सभी नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है। निजता के अधिकार पर प्रतिबंध हैं लेकिन उन प्रतिबंधों की संवैधानिक जांच होनी चाहिए। आज की दुनिया में गोपनीयता पर प्रतिबंध आतंकवाद की गतिविधि को रोकने के लिए है और इसे केवल तभी लगाया जा सकता है जब राष्ट्रीय सुरक्षा का कोई मसला हो।

केंद्र सरकार ने क्या किया और क्या कहा

केंद्र सरकार पेगसस जासूसी कांड की जांच की मांग के सवाल की लगातार अनदेखी करती रही है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस कांड की जांच करावने की मांग की थी। सरकार इस मसले पर संसद में चर्चा से भी बचती रही। य़हां तक कि सरकार ने इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं इस पर कोई साफ जवाब नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान भी केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए एटर्नी जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सरकार इस मामले में कोई हलफनामा नहीं देना चाहती क्योंकि ये राष्ट्रीय़ सुरक्षा से जुड़ा मामला है।

इस सॉफ्टवेयर को तैयार करने वाली इस्रायली कंपनी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल का आधिकार किसी सरकार या सरकार की प्रतिनिधि संस्था के द्वारा ही किया जा सकता है।

जिन लोगों की जासूसी कराई गई उनमे से अधिकतर नाम उन लोगों के हैं जो सरकार की नीतियों और विचारों के विरोधी रहे हैं। इन लोगों में तमाम राजनेता, न्यायाधीश, पत्रकार और क़ॉरपोरेट जगत के लोग शामिल हैं।

पेगसस जासूसी कांड में कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। अदालत ने 23 सितंबर को ही संकेत दिया था कि वो पेगसस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर जासूसी के आरोपों की जांच के लिए एक तकनीकी समिति का गठन कर सकती है।

पेगसस कांड से सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों में हंगामा मचा हुआ है। फ्रांस समेत कई देशों मे इस मामले के लिए जांच शुरू हो चुकी और खुद इस्रायल स़ॉप्टवेयर बनाने वाली कंपनी की जांच कर रहा है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

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