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असाधारण वर्ष की असाधारण महिलाएं !

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नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र): ये महिलाएं एक असाधारण वर्ष में असाधारण दायित्वबोध की मिसाल हैं। प्रसिद्ध मीडिया संस्थान बीबीसी ने दुनिया भर से ऐसी 100 महिलाओं की सूची जारी की है जिन्होंने अपने अद्वितीय कौशल से सामाजिक बदलाव लाने में अद्भुद नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। इन महिलाओं में चार महिलाएं भारत की भी हैं।

ऊपर बाएं – मानसी जोशी, दाईँ तरफ- इसाइवानी, नीचे बाईं तरफ – बिलकीस बानो (दादी) और दाहिनी तरफ – रिद्धिमा पांडे

बिलकीस बानो

इस सूची में भारत से शामिल नामों में शाहीन बाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ  प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाली दादी बिलकीस बानो का नाम भी शामिल है। उन्हें ये सम्मान अभियान संचचालक के रूप में उनकी बेमिसाल नेतृत्व क्षमता के कारण दिया गया है। भारतीय पत्रकार और लेखिका राना अय्यूब बिल्कीस बानों को हाशिए पर पड़े लोगों की आवाज कहती हैं। 82 साल की दादी, उन महिलाओं के समूह का हिस्सा बनीं  जो एक विवादित नागरिक क़ानून का शांतिपूर्ण तरीक़े से विरोध कर रही थीं।

बिल्कीस बानो, दिल्ली के मुस्लिम बहुल मुहल्ले शाहीन बाग़ में सबसे लंबे समय तक चले धरने का प्रतीक बन गई थीं। दादी का सम्मान दरअसल महिलाओं के अंदर मौजूद उस ताकत का एहसास है कि वे अपने घरों से बाहर निकलें और अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करें।

रिद्धिमा पांडे

पर्यावरण कार्यकर्ता रिद्धिमा पांडे ने नौ साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन को लेकर क़दम ना उठाने पर भारत सरकार के ख़िलाफ़ ही मुक़दमा दायर कर दिया था। वर्ष 2019 में 15 अन्य बाल याचिकाकर्ताओं के साथ रिद्धिमा ने संयुक्त राष्ट्र में पांच देशों के ख़िलाफ़ केस दायर किया था।

रिद्धिमा दूसरे छात्र-छात्रों को हर स्तर पर सशक्त बनाने में मदद कर रही हैं, जिससे कि वो अपने भविष्य और विश्व की जैव विविधता के लिए संघर्ष कर सकें। देखा जाए तो रिद्धिमा अपने और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं।

मानसी जोशी

मानसी भारतीय पैरा-एथलीट हैं। वे पैरा बैडमिंटन की मौजूदा विश्व चैंपियन हैं। जून 2020 में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन ने उन्हें SL3 सिंगल्स मुक़ाबलों में विश्व की नंबर 2 रैंकिंग पर रखा था। मानसी एक इंजीनियर भी हैं और सामाजिक बदलाव के लिए काम करती हैं। वे चाहती हैं कि भारत में दिव्यांगता और पैरा स्पोर्ट्स के बारे में समाज की राय बदले। मानसी को टाइम पत्रिका ने भी हाल ही में उन्हें अगली पीढ़ी की नेता के तौर पर अपनी सूची में शामिल किया था।

इसाइवानी

इसाइवानी ने भारत में संगीत की ऐसी विधा को चुना जो आमतौर पर मर्दों के दबदबे वाला क्षेत्र हुआ करता है। वे भारत की एक मशहूर गायिका हैं और उन्होंने गाना संगीत के क्षेत्र को चुना जो तमिलनाडु में उत्तरी चेन्नई के कामगारों के बीच प्रचलित एक ख़ास संगीत विधा है। अन्य लोकप्रिय पुरुष गायकों के साथ  एक महिला का उसी मंच पर कार्यक्रम प्रस्तुत करना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। इसाइवानी ने सदियों पुरानी एक रूढि को बड़ी कामयाबी के साथ तोड़ा है। आज इसाइवानी के कारण ही दूसरी युवा महिला गाना गायिकाएं आगे आकर अपने हुनर को सामने रख रही हैं। वे मानती हैं कि 2020 में दुनिया बहुत बदल गई है। लेकिन, महिलाओं के लिए दुनिया हर रोज़ बदलती रहती है। महिलाओं ने विमर्श को बदला है। ये सिलसिला आने वाली पीढ़ियों में भी जारी रहना चाहिए।

साभार – बीबीसी पर प्रकाशित रिपोर्ट से लिए गए तथ्यों पर आधारित

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