नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र ) : डोनॉल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे। व्हाइट हाउस की रेगुलर प्रेस ब्रीफिंग और पत्रकारों के तीखे सवालों का दौर था। सीएनएन के संवाददाता ने सवाल किया, सवाल ही ऐसा था कि ट्रंप तिलमिला गए। सवाल तो छोड़िए उन्होंने पत्रकार को ही बिका हुआ ठहरा दिया। लेकिन अमेरिकी मीडिया और भारतीय मीडिया में जमीन-आसमान का अंतर है। पत्रकार ने उसी समय ट्रंप को मीडिया की हैसियत समझा दी। ट्रंप को ही प्रेस ब्रीफिंग छोड़नी पड़ी। कई दिनों बाद तक ट्रंप प्रेस ब्रीफिंग के लिए नहीं आए।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को मीडिया से हमेशा शिकायत रही। जब वे चुनाव जीते तब भी उन्होंने आरोप लगाए कि प्रेस ने उन्हें हरवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जब जो बाइडन ने राष्ट्रपति चुनाव जीता तब भी ट्रंप ने मीडिया पर पक्षपात का आरोप लगाया। मतगणना के दौरान भी ट्रंप ने मीडिया पर उनकी हार की फर्जी खबरें फैलाने का आरोप लगाया।
ट्रंप के मीडिया के साथ आमतौर पर तल्ख रिश्ते ही रहे, फॉक्स न्यूज़ को छोड़ दिया जाए तो। फॉक्स न्यूज़, अमेरिका में स्टार न्यूज़ वाली मरडॉक बिरादरी का विस्तार है जो आमतौर पर सत्तापरस्त पत्रकारिता के लिए बदनाम है। 6 जनवरी को कैपिटल हिल पर ट्रंप समर्थकों ने जिस तरह से उत्पात मचाया उसे देखते हुए फेसबुक और ट्विटर ने अपने प्लेटफॉर्म पर ट्रंप को बैन कर दिया। ट्रंप ने इसके बाद अपने समर्थकों को एक जज्बाती संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने कहाकि हम उस दुनिया में रह रहे हैं जहां ट्विटर पर भारी तादाद में तालिबानियों की मौजूदगी है। और, अब आपके प्रिय अमेरिकी राष्ट्रपति को भी खामोश कर दिया गया है।
ट्रंप कहें कुछ भी लेकिन उन्हें मीडिया की ताकत का एहसास है। हार सामने देख ट्रंप ने पहले मीडिया को गरियाया फिर मीडिया में खुद को महत्व मिलता रहे इसके लिए अपना एक अलग मीडिया वेंचर शुरू करने का संकेत भी दिया।
अब मुख्यधारा में वापसी के लिए डोनॉल्ड ट्रंप ने डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी उपस्थिति का रास्ता चुना है। जल्दी ही उनका डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल लोगों के बीच में होगा। ट्रंप ने घोषणा की है कि उन्होंने अपनी मीडिया कंपनी के लिए निवेश का बंदोबस्त तय कर दिया है और वे उसमें करीब 300 मिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना रखते हैं।
एक वक्तव्य में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके सहयोगी निवेशकों ने इस नए वेंचर की घोषणा करते हुए कहा कि इसे शुरू करने के लिए ट्रंप मीडिया एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप नाम की कंपनी बनाई गई है। ट्रंप के इस नए सोशल नेटवर्क का नाम ट्रुथ सोशल होगा। वक्तव्य में स्पष्ट किया गया है कि इस प्लेटफॉर्म को लाने का मकसद उदारवादी मीडिया कंसोर्टियम का विरोध करना और सिलीकॉन वैली की बड़ी टेक कंपनियों से मुकाबला करना है।
यहां ये जानना जरूरी है कि, डोनॉल्ड ट्रंप अमेरिका के एकलौते राष्ट्रपति रहे हैं जिन पर दो बार महाभियोग लगाया गया। रूढ़िवादी अमेरिकी मीडिया में ट्रंप की अच्छी खासी उपस्थिति रही और उन्हें वहां से काफी मदद भी मिली लेकिन मीडिया का एक बड़ा वर्ग जो उदारवादी और प्रगतिशील सोच का है वो ट्रंप और उनकी नीतियों का मुखऱ विरोधी रहा। इसीलिए ट्रंप ने समय-समय पर जब कभी भी उनकी नीतियों पर सवाल खड़े किए गए उन्होंने मीडिया की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए।
ट्रंप का ये नया मीडिया वेंचर जो एक डिजिटल ऐप की शक्ल में होगा अगले महीने से ट्रायल मोड में आ जाएगा और अगले साल की पहली तिमाही में उसे शुरू करने की योजना है।
दिलचस्प बात ये है कि, इस वेंचर को शुरू करने के लिए ट्रंप की कंपनी ट्रंप मीडिया एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप और डिजिटल वर्ल्ड एक्वीज़िशन कॉर्प के बीच समझौते के बाद शेयर बाजार में इनके शेयरों में भारी उछाल आया और निवेशकों ने जमकर मुनाफा कमाया।
अमेरिकी अखबार, बोस्टन ग्लोब ने इस बारे में एक बहुत सटीक और मजेदार टिप्पणी की है। अखबार लिखता है कि ट्रंप के वेंचर की दस्तक क्या हुई सटोरियों की चांदी हो गई। लगता है आने वाला वक्त मीडिया के लिए पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने वाला है।
फोटो सौजन्य़- सोशल मीडिया