नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए लेखऱाज) : पूरी दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन एक चिंता का विषय बना हुआ है। स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में इस बारे में दुनिया के लगभग 200 देशों का चिंतन मनन जारी है। 120 देशों के नेताओं ने इसमें सहभागिता की है। ग्लास्गो सम्मेलन के आयोजन की मुख्य चिंता पेरिस समझौते को कैसे प्रभावी तरीके से लागू किया जाए इसी बात की थी लेकिन 2015 से 2021 के फासले ने इसमें दुनिया के वातावरण के सामने मौजूद कई नई चुनौतियों के भी इसमें जोड़ दिया।
सम्मेलन की बदकिस्मती रही कि इसमें सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले देश चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिन ने खुद हिस्सा नहीं लिया। इसी तरह रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन ने भी सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया। इसी कारण इस शिखर सम्मेलन की गंभीरता पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। प्रसिद्ध पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग ने इस शिखर सम्मेलन की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि, हमेशा की तरह दो सप्ताह का उत्सव और ब्ला ब्ला ब्ला। यानी टांय टांय फिस्स।
भारत और अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देशों के शासनाध्यक्षों ने ग्लास्गो सम्मेलन में शिरकत की और दुनिया के सामने मौजूद जलवायु परिवर्तन की ज्वलंत समस्या पर चिंतन किया।
भारत ने दिया वन सन-वन वर्ल्ड-वन-ग्रिड और पंचामृत का मंत्र
सौर ऊर्जा से बिजली बनाने और उसको बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और इंगलैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक अंतरराष्ट्रीय ग्रिड – वन सन -वन वर्ल्ड – वन ग्रिड (OSOWOG) का प्रस्ताव पेश किया। जलवायु सम्मेलन के हिस्से के रूप में ‘असिलरेटिंग क्लीन टेक्नोलॉजी इनोवेशन एंड डिप्लॉयमेंट’ नामक सत्र में शामिल होते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, सौर ऊर्जा पूरी तरह से स्वच्छ और टिकाऊ है। चुनौती ये है कि ये ऊर्जा केवल दिन के समय उपलब्ध होती है और मौसम पर निर्भर करती है। वन- सन, वन -वर्ल्ड एंड वन- ग्रिड इस समस्या का समाधान है। विश्वव्यापी ग्रिड के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा को कहीं भी और कभी भी भेजा जा सकता हैं।
इससे पहले, भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि भारत, 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन की स्थिति को प्राप्त कर लेगा। जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व नेताओं के सामने भारत के पांच लक्ष्यों पंचामृत मंत्र का उल्लेख किया :
पहला, भारत, 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा।
दूसरा, भारत, 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं को नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों से पूरा करेगा।
तीसरा, भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करेगा।
चौथा, 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा।
पांचवा, वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा।
2030 तक जंगलों की कटाई बंद
विश्व के 100 से अधिक नेताओं ने संकल्प व्यक्त किया कि 2030 तक वनों की कटाई को समाप्त कर दिया जाएगा। ये नेता दुनिया के कुल वन क्षेत्र के 85 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले देशों के हैं। इस योजना में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के माध्यम से 19 बिलियन डॉलर का निवेश करने का लक्ष्य भी रखा गया। इस घोषणा को ग्लास्गो लीडर्स डिक्लेरेशन ऑन फॉरेस्ट एंड लैंड यूज़ नाम दिया गया।
घोषणा पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में ब्राजील, चीन, कोलंबिया, कांगो, इंडोनेशिया, रूस और अमेरिका जैसे बड़े वन क्षेत्र वाले देश शामिल हैं। इंगलैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ये घोषणा करते हुए कहा कि, नेताओं ने पृथ्वी के जंगलों की रक्षा और उन्हें फिर से संरक्षित करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
मीथेन उत्सर्जन पर लगाम के लिए अमेरिकी पहल
अमेरिका ने तेल और गैस क्षेत्र पर सख्त नियमों के साथ मीथेन उत्सर्जन को लगभग 75 फीसदी तक कम करने की एक योजना प्रस्तुत की। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मीथेन उत्सर्जन में कटौती करने का वादा किया था। अमेरिका ने अगले 10 वर्षों में दुनिया भर में मीथेन उत्सर्जन को 30 फीसदी तक कम करने के लिए यूरोपीय संघ और तमाम दूसरे देशों के साथ मिल कर काम करने का संकल्प लिया है।
फोटो सौजन्य – सोशल मीडिया