ताकि बिजली आपको रुलाए नहीं, सरकार उठाने जा रही है ये कदम

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नई दिल्ली, 29 जुलाई (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : उम्मीद कीजिए कि आने वाले दिनों में बिजली आपको रुलाएगी नहीं। बार-बार के पावर कट्स, फॉल्ट्स, वोल्टेज के उतार-चढ़ाव और कबाड़ हो गई बिजली मशीनरी से काफी हद तक निजात मिल जाएगी। इसके साथ ही बिजली वितरण कंपनियों को अपने भारी-भरकम घाटे से मुक्ति पाने में मदद मिलेगी। सरकार इस मकसद को हासिल करने के लिए कल यानी 30 जुलाई को तीन लाख करोड़ रुपए की लागत से एक योजना शुरू करने जा रही है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लॉन्च करेंगे। इसके तहत पांच सालों के दौरान बिजली क्षेत्र की शक्लो-सूरत बदलने के लिए राज्यों की मदद से बड़े पैमाने पर सुधार के काम किए जाएंगे।

 

इस अवधि में बिजली वितरण कंपनियों को अपना आधारभूत वितरण सिस्टम दुरुस्त करने और उसे अत्याधुनिक बनाने के लिए वित्तीय और तकनीकी मदद दी जाएगी। गौरतलब है कि अभी देश की ज्यादातर बिजली कंपनियों का वितरण सिस्टम काफी खराब हालत में है। इसके कारण उपभोक्ता तो परेशान होते ही हैं, बिजली कंपनियों को भी लाइन लॉस और बिजली की चोरी के कारण खासा नुकसान होता है। बिजली मंत्रालय की योजना के अनुसार वितरण लाइनों को दुरुस्त करने या बदलने के साथ ही पावर स्टेशनों का भी कायाकल्प किया जाएगा, ताकि लोगों को बिना किसी रुकावट के चौबीसों घंटे बिजली मिल सके। इसके तहत देश में प्रीपेड मीटर लगाने का भी काम किया जाएगा।

अमेरिकी कंपनी से करार 

सरकार ने कुछ अर्सा पहले ही देश की बिजली कंपनियों के कामकाज में सुधार के लिए अमेरिका की मिशीगन यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट से करार किया है। इसके तहत देश की बिजली वितरण कंपनियों के कामकाज का अध्ययन करके खामियों का पता लगाया जाना है। पांच साल की नई योजना के तहत इन खामियों को दूर किया जाएगा। गौरतलब है कि आज देश की ज्यादातर बिजली वितरण कंपनियां घाटे में डूबी हुई हैं। इसकी वजह लाइन लॉस के साथ ही करप्शन, बिलिंग में गड़बड़ी और वितरण से जुड़ी कई खामियां हैं। पूरे देश की बात करें तो अब तक बिजली कंपनियों का घाटा पांच लाख करोड़ से ऊपर जा पहुंचा है। अगर सिर्फ उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो राज्य की पावर कंपनियों का घाटा एक लाख करोड़ रुपये के करीब जा पहुंचा है। बिजली कंपनियों के घाटे के मामले में यूपी तीसरे नंबर पर है। अन्य राज्यों की बिजली कंपनियों की हालत भी कमोबेश ऐसी ही है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

 

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