नई दिल्ली, 06 अगस्त (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) देश के कई इलाकों में अब लोग पूछने लगे हैं कि जल जीवन मिशन के तहत चलाई जा रही खासी अहम योजना का नाम ‘हर घर जल’ है या ‘हर घर नल’। इस सवाल की वजह? इसके जवाब में लोग कहते हैं कि हर घर नल तो पहुंचाए जा रहे हैं, लेकिन जल कम ही पहुंच पा रहा है या फिर नहीं ही पहुंच रहा है।
उत्तराखंड में भी इस योजना के तहत हर ग्रामीण घर में नल के जरिए पानी पहुंचाया जाना है। नदियों से भरपूर होने के बावजूद उत्तराखंड देश के उन राज्यों में है, जहां पानी की भारी किल्लत है। कहावत भी है कि यहां की जवानी और यहां का पानी पहाड़ के काम नहीं आता। ज्यादातर ग्रामीण आबादी को पानी लाने के लिए खासा लंबा सफर तय करना पड़ता है। गनीमत है कि राज्य में अब भी नौले बचे हुए हैं। इस कारण किसी तरह लोगों के दिन कट रहे हैं। राज्य के ग्रामीण इलाकों में 1518115 घर हैं। इनमें से 755129 घरों में पिछले साल के आखिर तक पानी के नल पहुंचाए जा चुके हैं। राज्य सरकार का इस साल के आखिर तक हर घर में जल पहुंचाने का लक्ष्य है, जो कि फिलहाल आसान नहीं लग रहा है।
इन इलाकों में एक, अल्मोड़ा जिले का द्वाराहाट कस्बा है। यहां और इससे सटे आसपास के कई गांवों में हर घर तक पानी के पाइप और नल पहुंचाए जा चुके हैं, लेकिन इन नलों से महीने के कुछ ही दिन पानी मिल पा रहा है। गर्मियों में दिक्कत और बढ़ जाती है। इसी साल जून के शुरुआती दिनों में द्वाराहाट और इससे सटे कई गांवों में आठ-आठ दिन तक पानी नहीं आया। कुछ ऐसा ही हाल जाड़ों में भी रहता है।
राज्य के जल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि योजना के नाम पर कनेक्शन तो बांट दिए गए हैं, लेकिन पानी है ही नहीं तो दें कहां से। राज्य को जल जीवन मिशन के तहत साल 2020 और 2021 में करीब 2200 करोड़ रुपए दिए गए थे।
उत्तराखंड जैसा ही हाल देश के बिहार, झारखंड, राजस्थान, यूपी, मध्य प्रदेश, उत्तर-पूर्व और कई अन्य राज्यों में भी है। राजस्थान के तो एक करोड़ दो लाख घरों में से करीब 22 लाख घरों में ही नल का पानी पहुंचा है। बहुत से राज्यों में खानापूरी के नाम पर पानी के कनेक्शन तो घरों में दे दिए गए हैं, लेकिन पानी आमतौर पर नहीं आ पाता। पानी की पाइप लाइनों का रखरखाव भी सवालों के घेरे में है। यूपी में हाल में ही जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश चंद्र खटीक ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को अपना इस्तीफा भेज दिया था। अपने इस्तीफे में उन्होंने अन्य कई मामले उठाने के साथ ही राज्य में जल जीवन मिशन में भारी घोटाले का आरोप लगाया था।
जल जीवन मिशन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 15 अगस्त 2019 को शुरू किया गया था। योजना के मुताबिक, 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर में पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। गोवा देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां सबसे पहले हर ग्रामीण घर में नल से पानी पहुंच गया, लेकिन कई अन्य राज्यों में पानी की कमी, अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के कारण अगर घरों में नल पहुंचे भी तो नियमित रूप से पानी नहीं पहुंच रहा है।
कागजों में भले ही कहानी कुछ और भी हो सकती है, लेकिन एक बेहद अहम और महत्वाकांक्षी योजना अपने मूल लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रही है। सरकार ने अब कुछ अर्सा पहले सांसदों, विधायकों से इस योजना से जुड़ने को कहा है, ताकि इसे सफल बनाया जा सके। 2022-23 के केंद्रीय बजट में इस मिशन के लिए 60 हजार करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। अभी तक करीब नौ करोड़ ग्रामीण घरों में पानी के नल पहुंच गए हैं।
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