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कोरोना इफेक्ट : कर्ज लेकर जिंदगी चला रही है देश की आधी कामकाजी आबादी

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न्यूज़ डेस्क / एजेंसियां (गणतंत्र भारत) नई दिल्ली :  कोरोना संकट की मार देश पर किस तरह से पड़ रही है इसका ताजा उदाहरण है क्रेडिट इनफॉरमेशन कंपनी (सीआईसी) की तरफ से जारी ताजा आंकड़े। सीआईसी ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि  देश की कुल 40 करोड़ कामकाजी आबादी के करीब आधे लोग कर्जदार हैं। ऐसे लोगों ने कम से कम एक ऋण लिया है या उनके पास क्रेडिट कार्ड है। आपको ये जानकारी भी दे दें कि सीआईसी के ताजा आंकड़ें जनवरी 2021 तक के हैं यानी कोरोना की दूसरी लहर से पहले के। उसके बाद जिस तरह के हालात बने उससे हालात और विकट होने की आशंका है।   

सीआईसी की रिपोर्ट में कहा गया कि कर्ज देने वाले संस्थान तेजी से नए ग्राहकों तक पहुंच बना रहे हैं क्योंकि इन संस्थानों के आधे से अधिक कर्जदार बैंक के मौजूदा ग्राहक ही हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी 2021 तक भारत की कुल कामकाजी आबादी  40.07 करोड़ थी जबकि खुदरा ऋण बाजार में 20 करोड़ लोगों ने किसी न किसी रूप में कर्ज लिया है।

सीआईसी के आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 18-33 वर्ष की आयु के 40 करोड़ लोगों के बीच कर्ज बाजार की बढ़ोतरी की संभावनाएं हैं और इस श्रेणी में ऋण का प्रसार सिर्फ आठ फीसदी है।

रिपोर्ट में कहा गया कि न्यू टू क्रेडिट (एनटीसी) में निजी लोन और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन सहित विभिन्न उत्पादों के लिए टियर -1 शहरों के बाहर रहने वाले लोगों और 30 वर्ष से कम आयु के लोगों को वरीयता दी जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस श्रेणी में महिला कर्जदारों की संख्या कम है। ऑटो लोन में महिला कर्जदार सिर्फ 15 फीसदी हैं। होम लोन में 31 फीसदी, निजी लोन में 22 फीसदी और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन में महिला कर्जदारों की संख्या 25 फीसदी के करीब है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सीआईसी के आंकड़ों से ये भी पता चलता है कि एनटीसी उपभोक्ता ऐसे क्रेडिट संस्थानों के प्रति उच्च निष्ठा दिखाते हैं  जिन्होंने उन्हें पहली बार कर्ज दिया है।

रिपोर्ट में य़े भी बताया गया है कि बैंकों ने बीते एक दशक में खुदरा ऋण यानी रिटेल लोन को प्राथमिकता दी है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते जैसे हालात पैदा हुए हैं उससे इनके रुख में बदलाव देखा जा रहा है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

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