हिज़ाब पहनना इस्लाम में अनिवार्य प्रथा नहीं : कर्नाटक हाईकोर्ट

409

बेंगलुरू ( गणतंत्र भारत के लिए एजेंसियां और न्यूज़ डेस्क) : कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा नहीं है। अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए छात्राओं की तरफ से दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।

फैसला अदालत की तीन जजों की फुल बेंच ने 15 से ज्यादा दिनों तक चली सुनवाई के बाद सुनाया। इस बेंच में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस जेएम खाजी और जस्टिस कृष्ण एम दीक्षित शामिल थे। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य सरकार ने कर्नाटक के सभी जिलों में धारा 144 लागू कर दी है और जो इलाके सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं वहां के शिक्षण संस्थानों को बंद रखने का फैसला लिया है।

अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा कि शिक्षण संस्थानों में यूनिफ़ॉर्म की व्यवस्था क़ानूनी तौर पर जायज़ है और इससे संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार या निजता की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होता है।

हाईकोर्ट ने अपना फैसला तीन प्रश्नों के आधार पर सुनाया।

पहला प्रश्न-  क्या इस्लाम के तहत हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा है ?

अदालत का जवाब-  हाईकोर्ट ने कहा कि, मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्‍लाम में जरूरी धार्मिक रिवाज नहीं है।

दूसरा प्रश्न- क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार के तहत हिजाब पहनना इस्लाम के तहत आवश्यक धार्मिक प्रथा है?
अदालत का जवाब-  हाईकोर्ट ने कहा कि, स्‍कूल यूनिफॉर्म तय करने पर छात्र आपत्ति नहीं जता सकते। स्कूल यूनिफॉम निर्धारित करना एक उचित प्रतिबंध है।

तीसरा प्रश्न – क्या 5 फरवरी का जीओ बिना दिमाग लगाए और स्पष्ट रूप से मनमाने तरीके से जारी किया गया था?
अदालत का जवाब- हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार के पास आदेश जारी करने की शक्ति है।

क्या है विवाद

विवाद की शुरुआत तब हुई कर्नाटक में उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर विमेन में छह छात्राओं को हिजाब पहन कर आने से रोक दिया गया। छात्राओं ने कॉलेज के फैसले को मानने से इनकार कर दिया था। फैसले के विरोध में इन छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। विवाद तब और बढ़ गया जब लड़कियों के हिजाब के जवाब में कुछ छात्र भगवा शॉल पहन कर क़ॉलेज में आ गए।

राज्य सरकार ने भी यूनिफॉर्म को लेकर आदेश भी जारी किया था जिसके मुताबिक सरकारी शिक्षा संस्थानों की कॉलेज डेवलपमेंट कमेटियां ये फैसला ले सकती हैं कि यूनिफॉर्म कैसी होगी और साथ ही निजी संस्थान ये फैसला कर सकते हैं कि कॉलेजों में यूनिफॉर्म जरूरी है या नहीं।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

Print Friendly, PDF & Email

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here