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प्रियंका के ‘महिला कार्ड ’ से क्यों परेशान हैं यूपी के दूसरे दल ?

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लखनऊ ( गणतंत्र भारत के लिए हरीश मिश्र ) : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने की घोषणा करके एक ऐसा चुनावी दांव चल दिया है जिसकी काट दूसरे दलों के लिए मुश्किल नजर आ रही है। प्रियंका के इस महिला कार्ड को राजनीतिक बिसात पर एक बड़ी चाल के रूप में देखा जा रहा है। 

प्रियंका ने उसी क्रम में आगे बढ़ते हुए ये घोषणा भी की है कि अगर कांग्रेस को सत्ता मिली तो राज्य में लड़कियों को स्मार्ट फोन के साथ एक लैपटॉप भी मुफ्त दिया जाएगा।

प्रियंका का दांव कितना भारी

चुनावी गुणा-भाग में माहिर विशेषज्ञ प्रियंका के इस दांव को लेकर तमाम तरीके के निष्कर्ष निकाल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक और एक विदेशी रेडियों नेटवर्क से संबद्ध राजन मैथ्यू के अनुसार, उत्तर प्रदेश की राजनीति बहुत जटिल और जज्बाती है। देखा जाए तो यहां सभी दलों का अपना-अपना एक वोटबैंक है। बीजेपी, हिंदुत्व के एजेंडे पर चलती है, समाजवादी पार्टी का मुसलमानों और यादवों का समीकरण हैं तो बहुजन समाज पार्टी  दलित वोटों पर अपना दावा ठोंकती है।

उनका कहना है कि यहां ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि हिंदुत्व के कट्टर चेहरे को छोड़ दें तो ये सभी वोटबैंक एक जमाने के कांग्रेस के साथ हुआ करते थे। कांग्रेस के साथ आज की तारीख में भी 7 से 8 प्रतिशत वोटबैंक है। कांग्रेस को पता है कि अपने खिसके वोटबैंक को वापस लाना अभी उसके लिए दूर की कौड़ी है। ऐसे में उसे राज्य में अपने लिए एक नए वोटबैंक की तलाश है। वोटबैंक भी ऐसा जो सभी दलों के वोटों में सेंध लगा सके। प्रियंका का महिलाओं को उम्मीदवार बनाने का कार्ड निश्चित रूप से हर लिहाज से कांग्रेस के लिए ऐसा उपयुक्त वोटबैंक है जिसकी कांग्रेस को तलाश थी। मैथ्यू मानते हैं कि महिलाएं ज्यादा जज्बाती होती हैं और प्रियंका की इस पहल से कांग्रेस के लिए उनमें आकर्षण बढ़ सकता है।

वे ये भी कहते हैं कि, संभव है, प्रियंका को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में राज्य में पेश किया जाए और वे मायावती के लिए मुश्किल बन जाएं। बीएसपी को छोड़ दें तो राज्य में किसी भी दल के पास कोई महिला चेहरा नहीं हैं। मैथ्यू का कहना है कि, कांग्रेस का ये दांव अगर चल गया तो काग्रेस दूसरे राज्यों में भी ये प्रयोग दोहरा सकती है।

समाज विज्ञानी नीति कृष्णन, प्रियंका की इस घोषणा के निहितार्थों में एक और बात तलाशती हैं। उनका कहना है कि, प्रियंका की इस पहल से महिलाएं तो कांग्रेस की तऱफ बढ़ेगी ही साथ ही इसका एक और असर गृहणियों को साथ जोड़ने में देखा जा सकेगा। वे कहती हैं कि, जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है उससे सबसे ज्यादा असर किचन पर पड़ रह है। गैस, घी, तेल, खाने-पीने का सामान और सब्जियां सब महंगी होती जा रही हैं। किचेन के बिगड़ते बजट का असर भी सबसे ज्यादा महिलाएं ही झेलती हैं। ऐसे में महिलाओं को महिलाओं की परेशानी के साथ जोड़ने का ये कार्ड तुरुप का पत्ता साबित हो सकता है।     

महिला कार्ड कितना प्रभावी

बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और गुजरात के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि इन राज्यों में महिलाओं ने जिनका साथ दिया सत्ता की चाबी उन्ही के हाथ लगी। बिहार में नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल में ममता दीदी और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को महिला वोटरों का खूब साथ मिला और वे चुनावी दौड़ में बीस साबित हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी महिला वोटरों का जबरदस्त समर्थन हासिल रहा है।  

राजनीतिक दल और महिला भागीदारी

कांग्रेस की तरफ से महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने की घोषणा पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने इसे कांग्रेस का चुनावी स्टंट बताया। समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की इस पहल पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस ये क्यों नही बताती कि इसमें से कितने उम्मीदवार दलित और पिछड़े समाज के होंगे।

बता दें कि महिलाओं की चुनावी भागीदारी को लेकर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी लगातार एक अलग रुख रखती रही हैं। समाजवादी पार्टी ने संसद में महिला आरक्षण बिल के सवाल का काफी मुखर विरोध किया था। महिला उम्मीदवारो को लेकर बीजेपी का ट्रैक रिकॉर्ड भी दूसरे राजनीतिक दलों जैसा ही है और अगर विधानसभा और संसद में बीजेपी की महिला प्रतिनिधियों की बात की जाए तो उसमें पहले की सरकारों के मुकाबले कोई खास बदलाव नहीं दिखता।

फोटो सौजन्य़- सोशल मीडिया        

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