ये 100 करोड़वां टीका….इस देश की जनता के हौसले की जीत है….
नई दिल्ली ( नगमा, गणतंत्र भारत के लिए) : करोल बाग के राम शंकर ने अभी कोरोना वैक्सीन का एक डोज़ लिया है। 3 दिनों के बाद उन्हें कोवीशील्ड की दूसरी डोज लगनी है। इत्तेफाक था कि देश में वैक्सीनेशन ड्राइव के 100 करोड़वें टीके की खबर जब आई तो वे भी एक दुकान में लगे टीवी पर खबरें देख रहे थे। खबर अच्छी थी। लेकिन अचानक ही राम शंकर बोल पड़े, ये तो बड़ा काम है, जल्दी- जल्दी दूसरी डोज़ भी लगे। ये तो इस देश की जनता के हौसले की जीत है। ऊपर वाले का शुक्रगुजार हूं कि जिंदा हूं। कोरोना हो गया था, नोएडा में रहता हूं, कैसे बचा हूं मैं ही जानता हूं। पीठ कोई भी ठोंक ले अपनी लेकिन मैं फिर कहूंगा कि इस लड़ाई को जनता ने अपने दम पर जीता है।
राम शंकर, दिल्ली के पास नोएडा में रहते हैं। उन्होंने कोरोना के दौर में अपनी पत्नी और भाई को खो दिया। ये बताते हुए उनकी आंखे भर आती हैं कि उन्होंने कोरोना के चलते क्या- क्या नहीं झेला। अस्पताल में कहीं जगह नहीं मिली तो बीबी ने घर में ही दम तोड़ दिया। कोई पास आने को तैयार नहीं। डॉक्टर, मरीज को देखने को राजी नहीं। दवा नहीं, ऑक्सीजन नहीं। सोचिए, कैसे अपनी आंखों के सामने तड़प तड़प कर अपनों को दुनिया से जाते देखा है मैंने। तकलीफ होती है जब सरकार सुप्रीम कोर्ट में बोलती है कि ऑक्सीजन की कमी से देश में कोई मौत नहीं हुई। राम शंकर की इस बात में तल्खी और दर्द दोनों छिपा था।
राम शंकर व्यथित जरूर थे लेकिन उनकी जानकारी और हौसले में कोई कमी नहीं थी। कहते हैं कि देश में सरकारी आंकडों को ही माने तो साढ़े चार लाख से ज्यादा लोग कोरोना से मर चुके हैं। कितने तो कोरोना से मरे लेकिन उनकी मौत को कोरोना से मौत माना ही नहीं गया। मैं खुद अपने भाई की मौत कोरोना से हुई इसका प्रमाणपत्र लेने के लिए कितना भटका क्या बताऊं। कही से सिफारिश कराई तब जाकर कोरोना से मौत का प्रमाणपत्र मिला। कितने तो ऐसे ही मर गए। कोरोना से हुई मौतों में गिने ही नहीं गए।
वे कहते हैं सरकारे तो आती -जाती हैं लेकिन कोरोना से तो एक समय हमारा हौसला ही तोड़ दिया था। किसी का भरोसा नहीं था। सरकार, प्राशसन, अस्पताल-डॉक्टर सब कहने को थे। अस्पतालों की हालत ये थी कि कोई अस्पताल में भर्ती हुआ तो जिंदा लौट आए तो जानो किस्मती था। लोगों ने इस लड़ाई को खुद लड़ा है और मैं कहूंगा जीता है। सावधानी तो अब भी जरूरी है।
मोदी ने कहा ऐतिहासिक पल
गुरूवार को भारत ने कोरोना के ख़िलाफ़ जंग में नई उपलब्धि हासिल कर ली। भारत ने वैक्सीनेशन के मामले में 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 100 करोड़वां टीका लगाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे विज्ञान, सहभागिता और भारत के 130 करोड़ लोगों की साझा भावना की जीत बताते हुए ऐतिहासिक पल बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कि, 21 अक्टूबर 2021 के दिन भारत ने इतिहास रच दिया है। कुछ क्षण पहले भारत ने 100 करोड़ टीके का आंकड़ा पार कर लिया।
क्या कहते हैं आंकड़े
अब तक भारत में 22 प्रतिशत लोगों को कोरोना के दोनों डोज़ लग चुके हैं, जबकि 53 फ़ीसदी आबादी को कम से कम एक टीका लग चुका है। भारत में 18 साल से ऊपर के लगभग 30 प्रतिशत नागरिकों का पूरी तरह से टीकाकरण हो चुका है। भारत में इस समय औसतन रोज़ाना संक्रमण के 15 हज़ार मामले सामने आ रहे हैं। 7 मई को रोज़ाना संक्रमण का आंकड़ा चार लाख पार कर गया था। बीते चार महीनों से कोविड का ग्राफ़ लगातार नीचे गिर रहा है। भारत में टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था।
भारत दुनिया में कोविड वैक्सीन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड का उत्पदान करता है।
लेकिन जब भारत में वैक्सीन की मांग बढ़ी तो भारत ने विदेशों के लिए वैक्सीन की आपूर्ति रोक दी। अभी तक भारत ने वैक्सीन पर लगी ये रोक नहीं हटाई है। भारत में अभी तक लगे 88 फीसदी टीके कोविशील्ड के हैं जबकि भारत में ही निर्मित को वैक्सीन क़रीब 11 प्रतिशत लोगों ने लगवाई है।
चुनौती अभी बाकी है
भारत में अभी केवल 22 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं जिन्हें कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज़ लगी है। सभी को वैक्सीन संरक्षण मिल सके इसके लिए बहुत प्रयास की जरूरत है। दूर दराज और वंचित वर्ग तक वैक्सीन की पहुंच बनाना और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। बंबई हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर ये जानना चाहा था कि क्या दिव्यांगों और बुजुर्गों को घर पर जाकर वैक्सीन लगाई जा सकती है। सरकार ने इस मसले पर हाथ खड़े कर दिए थे लेकिन अब वो वक्त आ गया जब सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए और वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को घर पर जाकर वैक्सीन लगाने को अपने अभियान का हिस्सा बनाना चाहिए।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया