न्यूज़ डेस्क (गणतंत्र भारत) नई दिल्ली : भारत को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने आर्थिक विकास दर के बारे में अपने अनुमानों में संशोधन किया है। मुद्रा कोष ने विश्व के आर्थिक परिदृश्य के बारे में अपने सालाना अनुमानों में संशोधन करते हुए भारत की आर्थिक विकास दर के वर्ष 2021- 2022 में 12.5 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया है। पहले ये अनुमान 7.5 प्रतिशत का लगाया गया था।
भारतीय मीडिया में इस बारे में खबर को विस्तार से प्रकाशित किया गया है। अंग्रेजी के कई अखबारों जैसे टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, हिंदू और मिंट समेत कई अखबारों ने इस बारे में प्रमुखता से खबरें छापी है।
अगर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ये अनुमान सही साबित हुए तो भारत इस अवधि में चीन को विकास दर के मामले में काफी पीछे छोड़ देगा। इस अवधि में चीन की विकास दर 8.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। दुनिया की पांच शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में चीन ही एकलौता देश रहा है जो कोरोना के दौर में भी अपनी विकास दर को सकारात्मक बनाए हुआ था।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि हम अनुमान लगा रहे हैं कि 2021 और 2022 में विश्व अर्थव्यवस्था में बेहतर रिकवरी होगी और उसकी विकास दर पहले के अनुमान से बेहतर होगी। वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर साल 2021 में 6 फ़ीसदी और 2022 में 4.4 फ़ीसदी रहने की उम्मीद है। 2020 में विश्व अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर 3.3 फ़ीसदी देखने को मिली थी।
उन्होंने कहा कि, कोरोना महामारी अब तक ख़त्म नहीं हुई है। कई देशों में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। वैक्सीनें विकसित हुई हैं और वैक्सीनेशन की कोशिशों की वजह से ही इस वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्थाओं में मजबूत रिकवरी की संभावनाएं बनेंगी। गोपीनाथ ने कहा कि, कोरोना महामारी अब भी सबसे बड़ा ख़तरा है। अगर इस वायरस के नए वैरिएंट पर वैक्सीन का असर नहीं होता है तो अर्थव्यवस्था में एक बार फिर तेज़ गिरावट हो सकती है। लेकिन दूसरी ओर, अगर वैक्सीन असरकारी रहती है और तेज़ी से इसे लोगों तक पहुंचाया जाता है तो इससे अर्थव्यवस्था में सकारात्मक तेज़ी देखने को मिलेगी। उन्होंने ये भी कहा कि, हमने तेज़ गति से रिकवरी और ब्याज़ दरों को बढ़ते देखा है। अगर ब्याज़ दर और ऊपर की ओर जाती हैं तो इसका विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर उल्टा असर पड़ेगा।
गोपीनाथ ने कहा कि विश्व की अर्थव्यवस्थाओं को ऐसे आर्थिक संकट के दौर में प्रोत्साहन देने वाली नीतियों को जारी रखना पड़ेगा। कई देश बहुत कर्ज़ में डूबे हैं लिहाजा उन्हें बेहतर लक्ष्य के साथ इन प्रोत्साहनों को देना होगा।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे मे ये अनुमान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले दिनों लगातार ऐसी रिपोर्टे सामने आ रही थीं कि देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना महामारी की चपेट से उबरने में काफी वक्त लगेगा। इन अनुमानों का अर्थव्यवस्था के रुझानों पर भी नकारात्मक असर देखने को मिल रहा था।
फोटो सौजन्य़- सोशल मीडिया