नई दिल्ली, 02 सितंबर (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : भारत ने पहली बार सर्विकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन बनाने में कामयाबी हासिल की है। इस कामयाबी से देश की महिलाओं को कम खर्च में कैंसर से बचाने में मदद मिलेगी। डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉलजी, सीरम इंस्टिट्यूट इंडिया और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के संयुक्त प्रयासों से बनी इस वैक्सीन को सर्वावैक नाम दिया गया है। इस वैक्सीन को बनाए जाने का ऐलान गुरुवार को विज्ञान और तकनीक मंत्री जितेंद्र सिंह ने किया। इसका विकास भारत ने पूरी तरह अपने दम पर किया है। अभी तक विदेशों से आयात की जा रही वैक्सीन सर्विकल कैंसर से बचाव के लिए दी जाती है।
सर्विकल कैंसर बच्चेदानी के मुंह का कैंसर होता है। इस कैंसर बड़ा कारण ह्यूमन पैपीलोमा नाम का वायरस होता है। भारत में ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाएं सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आती हैं। इस कैंसर के कारण जान गंवाने वाली दुनिया की कुल महिलाओं में से एक चौथाई भारत की होती हैं। देश में हर साल सर्विकल कैंसर के करीब सवा लाख मामले सामने आते हैं और इनमें से 75 हजार से ज्यादा की मौत हो जाती है। इन मामलों में 83 प्रतिशत की वजह ह्यूमन पैपीलोमा वायरस होता है। जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं इसकी चपेट में आ जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक दक्षिण-पूर्व एशिया से सर्विकल कैंसर के खात्मे की अपील की है।
गौरतलब कि कुछ साल पहले सर्विकल कैंसर की एक विदेशी वैक्सीन को लेकर खासा विवाद हुआ था। इसे बनाने वाली कंपनी पर आरोप लगा था कि इसने एक एनजीओ के जरिए दक्षिण भारत में इस वैक्सीन का ट्रायल संबद्ध महिलाओं को इसकी जानकारी दिए बिना किया था। इस वैक्सीन के लगने के बाद कई महिलाओं की मौत की खबर आई थी। इसके बाद सरकार ने क्लिनिकल ट्रायल के नियमों को सख्त किया था।
फोटो सौजन्य-सोशल मीडिया