क्या पंजाब में कुछ होने वाला है ? राष्ट्रपति शासन को लेकर चर्चा गरम

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए लेखराज ) : पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के मामले में एक्शन बहुत तेज है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज खुद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने जा रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी खुद राष्ट्रपति को इस घटना के बारे में ब्रीफ करना चाहते हैं। दूसरी तरफ, ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए केंद्र और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। उधर, पंजाब में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दी है।

एजेंसी की खबरों मे बताया गया है कि, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस घटना पर चिंता जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद राष्ट्रपति को घटना के बारे में जानकारी देने के लिए राष्ट्रपति भवन जा रहे हैं। उधर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब मे राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी कहा है कि, पंजाब की जो घटना है, उसकी जांच होनी चाहिए। आखिर एसपीजी पीएम को ले जाने के लिए क्यों तैयार हुई? इसकी भी जांच होनी चाहिए कि वहां की पुलिस का क्या रोल रहा है? देश का प्रधानमंत्री कोई भी हो, आज मोदी हैं, कल कोई दूसरा होगा, पीएम की सुरक्षा का खास ख्याल रखा जाना चाहिए।

इस बीच, तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच सोशल मीडिया पर मामले को लेकर बहस तेज हो गई है कि पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए या नहीं। पूर्व प्रधानंमत्री एचडी देवेगौड़ा ने ट्वीट किया है कि, प्रधानमंत्री जैसे पद पर आसीन व्यक्ति की सुरक्षा को लेकर कोई चूक नहीं होनी चाहिए। हमें अतीत से सीखना होगा। ट्विटर पर आदेश रावल नाम के एक शख्स ने लिखा है कि, प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह एक बार जेएनयू गए थे वहां छात्रों ने उन्हें काले झंडे दिखाए। वहीं मंच से छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि मैं आपसे असहमत होते हुए भी आपकी अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा करूंगा और किसी भी छात्र के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्विटर पर लिखा है कि, प्रधानमंत्री की सुरक्षा मे चूक लिए मुख्यमंत्री और राज्य के गृहमंत्री सीधे तौर पर जिम्मेदार है और इन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला

वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने चीफ जस्टिस एन.वी. रमन्ना से इस पूरे मामले की शिकायत की है। मनिंदर सिंह ने कहा कि ये पंजाब सरकार की ओर से एक गंभीर चूक है। प्रधानमंत्री का काफिला सड़क पर फंस गया था। ये सुरक्षा में ऐसी चूक है जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने उनसे पूछा कि  वे अदालत से क्या उम्मीद कर रहे हैं?  सिंह ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ये दोबारा न हो और घटना की गहन जांच की जरूरत है। उनकी याचिका पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने कहा कि केंद्र और पंजाब की सरकारों को आज ही याचिका की एक-एक कॉपी भेजी जाए।

मुख्यमंत्री ने सफाई दी

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस घटना को आकस्मिक बताते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने रास्ता जरूर रोका लेकिन प्रधानमंत्री की सुरक्षा को कोई खतरा था, ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि, अगर प्रधानमंत्री मोदी के दौरे में सुरक्षा से जुड़ी कोई चूक हुई थी तो हम उसकी जांच कराएंगे। चन्नी ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा का पूरा इंतज़ाम था। चन्नी ने कहा कि उन्हें खेद है कि प्रधानमंत्री को लौटना पड़ा।

क्या हुआ था

प्रधानमंत्री बुधवार को बठिंडा के पास हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाने वाले थे। उन्हें बठिंडा एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर के जरिए हुसैनीवाला जाना था लेकिन मौसम खराब होने के कारण उन्होंने सड़क मार्ग से जाने का फैसला किया। रास्ते में एक फ्लाईओवर पर प्रदर्शनकारी किसानों के जत्त्थे ने उनका रास्ता रोका। प्रधानमंत्री को करीब 20 मिनट तक प्लाईओवर पर रुकना पड़ा उसके बाद उन्होंने वापस लौटने का फैसला किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में एक गंभीर चूक मानते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की हैकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक ट्वीट में कहा है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले में जवाबदेही तय की जाएगी। ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती है।

फोटो सौजन्य – सोशल मीडिया

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