नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए जे.पी सिंह):
नई दिल्ली: देश में ऐसी महिलाओं की कमी नहीं है जिन्होंने कम पढे-लिखे होने के बाद भी समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है। पंजाब के फाजिल्का जिले की 60 वर्षीय महिला किसान करमजीत कौर इन्हीं महिलाओं में से एक हैं। इन्हें पूरा पंजाब कीन्नू क्वीन के नाम से जानता है। कीन्नू क्वीन ने कम पढ़े-लिखे होने के कारण खेती की राह पकड़ी और खेती के दम पर समाज में अलग पहचान बनाई।
एक साधारण घरेलू महिला से किन्नू क्वीन बनने का सफर इतना आसान न था। इसके लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी। दरअसल करमजीत का मायका राजस्थान में है। उनके मायके वाले काफी संपन्न और रसूख वाले थे लेकिन सामाजिक रूढिवादिता के चलते ज्यादा पढ़ाई. लिखाई नहीं कर सकीं। इसी बीच, साल 1977 में उनकी शादी हो गई। ससुराल में 45 एकड़ के करीब जमीन थी जिसका कोई खास इस्तेमाल नहीं हो रहा था। इसे देखकर करमजीत का खेती करने का मन हुआ। वे बताती है की जब उन्होंने खेती शुरू की तो लोगों ने इसका विरोध किया। लोगों को महिला के हाथ में खेती की बागडोर रास नहीं आ रहा था। विरोध को दरकिनार कर उन्होंने 1979 में 4 एकड़ में किन्नू के बाग लगा दिए। जब किन्नू के इन पौधों पर फल लगे तो उनका उत्साह बढ़ा। फल तोड़ने के बाद आमदनी देखकर हौसले और बुलंद हुए। फिर, उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। वे निरंतर आगे बढ़ती चली गईं।
विदेशों में भी फेमस ‘किन्नू क्वीन‘ के किन्नू
किन्नू की महारानी होने का तमगा हासिल कर चुकी करमजीत कौर आज 45 एकड़ जमीन में खेती करती हैं। इसमें वे किन्नू सहित आडू, बाबूगोशा, आलू बुखारा, नाशपाती, जामुन, अमरूद, खजूर, गेहूं, मक्का, सरसों और कई तरह की सब्जियों और अनाज की खेती करती हैं। इसमें से 23 एकड़ केवल किन्नू के बाग हैं। करमजीत कौर ने अबोहर के बागवानी विभाग और कृषि वैज्ञानिकों की राय लेकर किन्नू की उन्नत बागवानी के क्षेत्र में काम किया। साल 2001 आते आते उनके बाग पूरी दुनिया में फेमस हो गए। उन्हें बाग से प्रति एकड़ 200 क्विंटल तक किन्नू का उपज मिल जाती है। किन्नू के पौधे 25 साल तक ही फल देने लायक रहते हैं लेकिन करमजीत की देखभाल या यूं कहें पौधों को बच्चों की तरह पालने के चलते उनके 39 साल पुराने बाग भी बंपर फलत देते हैं।
मेहनत और लगन से उपजी हरियाली
अगर आप कभी उनके फार्म पर पहुंचे तो इस 60 साल की औरत को खेतों में ट्रैक्टर चलाते देखा सकते हैं। आप देख सकेंगे की कैसे वे खेतों की निगरानी के लिए रोजाना खेतों का मुआइना करती हैं। उनके यहां देश के विभिन्न इलाकों से तो व्यापारी आते ही हैं साथ ही उनके फल आज विदेश में भी निर्यात किए जाते हैं जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ रही है। उनके बाग में लगे हरे-भरे फल और पौधे उनकी मेहनत और लगन की गवाही देते हैं।
शोहरत औऱ सम्मान
करमजीत के किन्नू क्वीन होने के साथ-साथ कनाडा, अमेरिका समेत कई अन्य देशों ने सम्मानित किया है। करमजीत कौर चाहती हैं कि उनकी तरह और भी महिलाएं और किसान आगे आएं और इस तरह की खेती करके अपने जीवन को तरक्की के राह पर ले जाएं।