लखनऊ ( गणतंत्र भारत के लिए हरीश मिश्र ):
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा में बीजेपी सरकारों ने बड़े जोर-शोर से धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया। दावा किया गया कि इस कानून के तहत जबरिया धर्मांतरण कराने और बहला फुसला कर दूसरे धर्म की लड़की से विवाह जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हो पाया ?
इस मामले में गणतंत्र भारत ने इन राज्यों में इस कानून के तहत दर्ज मामलों और उसमें दोष सिद्ध मसलों की छानबीन की।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में पिछले साल नवंबर में धर्मांतरण विरोधी कानून 2020 लागू किया गया। इस कानून के तहत जून 2021 तक कुल 63 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से एक मामले में भी अब तक दोष साबित नहीं हुआ है। वहीं, सात मामलों में आरोप साबित नहीं होने पर पुलिस ने खुद केस बंद कर दिया। इस कानून के तहत सबसे ज्यादा मामले मेरठ जोन में दर्ज किए गए। जुलाई में, यूपी पुलिस पहले ही दो नए मामले दर्ज कर चुकी है, जिसमें एक पीलीभीत में और दूसरा आगरा में है।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इस 63 मामलों में 162 संदिग्धों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। पुलिस ने कुल 31 मामलों में चार्जशीट दाखिल की है जबकि 25 मामलों की जांच जारी है। शिकायत सही नहीं पाए जाने पर पुलिस ने सात मामलों में अंतिम रिपोर्ट लगा दी है धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार 162 लोगों में से, 101 को जेल भेज दिया गया। उनमें से 21 को जमानत मिल गई जबकि 80 अभी भी जांच या मुकदमे के इंतजार में सलाखों के पीछे हैं। आंकड़ों से ये भी पता चलता है कि इन मामलों में 21 आरोपी फरार हैं।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में लव जिहाद’ के खिलाफ लाए गए धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020′ को फऱवरी में लागू किय़ा गया। शुरुआती महीने में इस कानून के तहत कुल 23 मामले दर्ज किए गए। सबसे ज्यादा मामले 7 मामले भोपाल संभाग में दर्ज हुए जबकि इंदौर में 5, जबलपुर और रीवा में 4-4 मामले और ग्वालियर संभाग में 3 मामले दर्ज किए गए।
हरियाणा
हरियाणा में पिछले 3 सालों में लव जिहाद के कुल 4 मामले सामने आए हैं। इस मामले में एक आरटीआई एक्टिविस्ट की पड़ताल के बाद ये जानकारी सामने आई। इन मामलों में दो को पुलिस ने जांच के बाद खुद ही रद्द कर दिया जबकि एक मामले में आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया। बचा एक मामला अदालत में लंबित है। हरियाणा की मौजूदा सरकार ने लव जिहाद के ऊपर कानून बनाने का प्रस्ताव किया था लेकिन सरकार में बीजेपी के सहयोगी दल के नेता दुष्यंत चौटाला ने इस कानून के नाम पर ही आपत्ति जाहिर कर दी थी। उनका कहना था कि वे सरकार के ऐसे किसी भी प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगे जिसमें लव जिहाद जैसे शब्द का इस्तेमाल किया गया हो लेकिन अगर जबरिया धर्मांतरण पर सरकार कोई कानून लाना चाहती है तो हम समर्थन करेंगे।
गुजरात
गुजरात में ये कानून पिछले महीने 15 जून से लागू किया गया है। गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021 के नामक इस कानून के उल्लंघन का पहला मामला वडोदरा में दर्ज किया गया है। वडोदरा में पुलिस ने एक मुस्लिम व्यक्ति को सैम मार्टिन, एक ईसाई के रूप में अपना परिचय देकर एक हिंदू महिला से शादी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। वडोदरा के तरसाली इलाके के रहने वाले 25 वर्षीय समीर अब्दुलभाई कुरैशी ने अपना परिचय मार्टिन के रूप में दिया था। 25 साल की एक हिंदू महिला ने समीर के खिलाफ ईसाई होने का झूठा बहाना बनाकर उससे शादी करने की शिकायत दर्ज कराई थी।
दावा किया जाता है कि, लव जिहाद को रोकने के लिए विभिन्न नामों से बने इन कानूनों के पीछे दक्षिणपंथी संगठनों का दबाव काम कर रहा था जिनका आरोप है कि विवाह के लिए हिंदू महिलाओं का जबरिया धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में धर्मांतरण के खिलाफ कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई लंबित है। अदालत ने फिलहाल इस कानून पर रोक से इनकार कर दिया है।
फोटो सौजन्य-सोशल मीडिया