नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए अमित सिंह )
प्रस्तावित कानून के बारे में अभी तक मिली जानकारी के अनुसार हमें यह समझ में आया है कि असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नॉलॉजी रैगुलेशन (एआरटी) बिल भारत में दिए जा रहे आईवीएफ एवं फर्टिलिटी इलाज के क्षेत्र में परिभाषित कानून बनाने के बारे में है। अभी तक इस क्षेत्र में कोई भी विशेष कानून नहीं था। इस बिल का उद्देश्य ज्यादा परिभाषित संरचना प्रदान करना, मरीजों को दिए जा रहे क्लिनिकल इलाजों का मानकीकरण करना और मरीजों की सुरक्षा बढ़ाकर उन्हें सशक्त बनाना है।
- उन दंपत्तियों को इस बिल का क्या लाभ होगा, जो इन्फर्टिलिटी का शिकार हैं?
प्रस्तावित कानून से - दंपत्तियों को इलाज के विकल्पों के बारे में बेहतर व ज्यादा जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।
- आईवीएफ एवं फर्टिलिटी के इलाजों के बारे में जागरुकता बढ़ेगी।
- मरीजों की सुरक्षा एवं मरीज के अधिकारों की जागरुकता में सुधार होगा।
- जब यह बिल पारित नहीं हुआ था, तो शुरुआत में दंपत्तियों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ा?
इस कानून द्वारा मरीजों को भारत में ज्यादा मानकीकृत इलाज के प्रोटोकॉल प्राप्त हो सकेंगे; मरीजों को ज्यादा जानकारी मिल सकेगी, ताकि वो पूरी जानकारी व समझ के साथ अपने इलाज के बारे में विकल्प चुन सकें। - इस समय कितने मामले आ रहे हैं, उनका क्या आंकड़ा है?
इन्फर्टिलिटी भारत की एक बढ़ती समस्या है। गर्भधारण करने की अवस्था वाली कुल आबादी में 10 से 15 फीसदी को इन्फर्टिलिटी की कोई समस्या होती है। जागरुकता बढ़ने के साथ अब ज्यादा लोग आईवीएफ एवं फर्टिलिटी के इलाज के लिए सामने आ रहे हैं।
Doctor details: डॉक्टर प्रोफेसर (कर्नल) पंकज तलवार, वीएसएम, हेड, मेडिकल सर्विसेस बिरला फर्टिलिटी एवं आईवीएफ