Homeपरिदृश्यटॉप स्टोरीक्यों आम नहीं, खास है मनीष सिसोदिया का ये ‘रोजगार बजट’….. ? 

क्यों आम नहीं, खास है मनीष सिसोदिया का ये ‘रोजगार बजट’….. ? 

spot_img

नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र ) : केंद्र और राज्यों की सरकारें हर वर्ष वार्षिक बजट पेश करती रही हैं। दृष्टि और फोकस के हिसाब से किसी वर्ष के बजट को  एक नाम भी दिया जाता है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने साल 2022-2023 के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए जो बजट पेश किया है उसे नाम दिया गया है रोजगार का बजट। अपने नाम के अनुरूप ही इस बजट का फोकस रोजगार की उपलब्धता बढ़ाने पर है। बजट में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने अगले पांच सालों में 20 लाख नई नौकरियां देने का वादा किया है।  

रोजगार का ये बजट क्यों है खास

देश इस समय कोरोना महामारी की मार से उबरने के दौर में है। अर्थ व्यवस्था से लेकर रोजगार के अवसरों तक पर इसका बहुत बुरा असर हुआ है। अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए लेकिन वहां रोजगार और बदहाल अर्थ व्यवस्था जैसे मसले हाशिए पर रहे। आम आदमी पार्टी ने जरूर इस मसले को अपेक्षाकृत तरजीह दी। पंजाब में भी पार्टी की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पहली कैबिनेट की बैठक में राज्य के 36 हजार ठेका कर्मचारियों को नौकरी में स्थायी करने का आदेश जारी कर दिया।

दिल्ली सरकार ने भी संकट के इस दौर में रोजगार को केंद्र में रख कर अपना वार्षिक बजट पेश किया है। सरकार ने इस बजट के जरिए आगे के पांच सालों के लिए अपने दृष्टिपत्र को प्रस्तुत किया है।

रोजगार बजट और पांच साल का लक्ष्य  

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली का बजट पेश करते हुए इसे रोज़गार बजट का नाम दिया। बजट में सरकार ने अगले पांच सालों में 20 लाख नई नौकरियां देने का वादा किया है। मनीष सिसोदिया ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 75,800 करोड़ रुपए का बजट पेश किया। ये राशि पिछले बजट (69,000 करोड़ रुपये) की तुलना में 9.8 फ़ीसदी ज़्यादा है।

दिल्ली सरकार ने बजट में शिक्षा के लिए 16,278 करोड़ रुपए आवंटित किए। बजट में बेघर बच्चों के बोर्डिंग स्कूल के लिए 10 करोड़ रुपए का भी प्रावधान किया गया है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनकी सरकार अगले पांच सालों में रोज़गार सृजन पर 4,500 करोड़ रुपए खर्च करेग। इसमें से 2022-23 वित्त वर्ष के लिए 800 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

सिसोदिया ने कहा कि हम अगले 5 वर्षों में रिटेल सेक्टर में 3 लाख रोजगार और अगले एक  वर्ष में 1.20 लाख से अधिक नए रोजगार के अवसर पैदा करने की उम्मीद करते हैं।

बजट पेश करते हुए सिसोदिया ने, लंदन, न्यूयॉर्क और सिंगापुर जैसी जगहों का उदाहरण सामने रखा, जहां पर 50 फ़ीसदी जनता नौकरीपेशा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वर्कफ़ोर्स का सिर्फ 33 फ़ीसदी ही नौकरीपेशा है और सरकार का लक्ष्य अगले पांच सालों में इसे बढ़ाकर 45 फ़ीसदी तक ले जाने का है। उन्होंने कहा कि ये मुश्किल काम ज़रूर है लेकिन केजरीवाल के गवर्नेंस मॉडल के तहत असंभव नहीं है।

महज़ राजनीतिक घोषणा नहीं : केजरीवाल

बजट पेश करने के बाद हुई प्रेस वार्ता में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी तारीफ़ करते हुए कहा कि, पांच साल में 20 लाख नौकरियों का वादा करने के लिए हिम्मत चाहिए। ये महज़ राजनीतिक घोषणा नहीं है।

आपको बता दें कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास वित्त और शिक्षा विभाग भी है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के हालत को सुधारने में मनीष सिसोदिया के प्रयासों की सराहना की जाती है और देश के दूसरे राज्यों में दिल्ली के शिक्षा मॉडल को नजीर के रूप में सामने रखा जाता है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

Print Friendly, PDF & Email
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

- Advertisment -spot_img

Recent Comments