नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : सोशल मीडिया के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म फेसबुक ने अपने कॉरपोरेट नाम को बदलने का फैसला किया है। फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा नाम से जानी जाएगी।कंपनी ने कहा है कि वो सोशल मीडिया से आगे वर्चुअल रियलिटी के क्षेत्र में अपनी पहुंच बढ़ाएगी। नाम में बदलाव से इसके अलग-अलग प्लेफॉर्मों जैसे- फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यानी मेटा पेरेंट कंपनी है और फ़ेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम इसके हिस्से हैं।
कहा जा रहा है नाम बदलने का ये फैसला कंपनी की रीब्रांडिग और उसके नए उद्देश्यों का हिस्सा है। कंपनी के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने बताया है कि उन्होंने नए नाम का चुनाव कंपनी के भावी उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए किया है। ज़करबर्ग ने कहा कि अभी हम जो कर रहे हैं, उस लिहाज से मौजूदा ब्रैंड नाकाफ़ी है। उन्होंने कहा कि एक ऐसी ब्रैंडिंग की ज़रूरत थी, जो हमारे सभी कामों का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम हो। हमारी नज़र भविष्य और भावी योजनाओं पर है।

जकरबर्ग ने कंपनी के इस फैसले की घोषणा करने के लिए एक वर्चुवल प्रेस कॉनफ्रेंस भी की। इस दौरान उन्होंने कहा कि, हम चाहते हैं कि हमारा काम और हमारी पहचान, जो हम करना चाह रहे हैं, वैसी ही हो। हम अपने कारोबार को दो हिस्सों में देखना चाहते हैं। एक, फैमिली ऐप्स और दूसरा भविष्य के प्लेटफॉर्मों के लिए हमारा काम। उन्होंने बताया कि, नया नाम उनके मेटावर्स प्लान का हिस्सा है
क्या है मेटावर्स ?
मेटावर्स का मतलब एक ऑनलाइन दुनिया से है, जहां लोग वर्चुअली गेम खेल सकते हैं, काम कर सकते हैं और संपर्क स्थापित कर सकते हैं। इसे वीआर यानी वर्चुअल रियलिटी हेडसेट्स भी कहा जा रहा है। मेटावर्स को इंटरनेट का भविष्य भी कहा जा रहा है। इसमें कंप्यूटर की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि लोग मेटावर्स में एक हैडसेट के माध्यम से वर्चुवल दुनिया में सभी तरह के परिवेश में अपनी पहुंच बनना पाएंगे।
बदलाव की जरूरत क्यों ?
फेसबुक पिछले कुछ समय से लगातार विवादों में बना रहा है और इस पर सूचनाओ को छिपाने या गलत तरीके से प्रचारित करने का आरोप लगता रहा है। आरोप लगाए गए कि कोविड के दौरान सूचनाओं के प्रचार प्रसार में पारदर्शिता नहीं बरती गई और कोविड वैक्सीन से जुड़ी गलत सूचनाओं को अपने प्लेटफॉर्मों से प्रसारित नहीं किया गया। एक और आरोप कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी ने लगाया है जिसमे कहा गया कि फेसबुक ने उस शोध को डंप कर दिया जिसके निष्कर्षों में ये बात सामने आई थी कि इंस्टाग्राम से किशोरों की मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।
भारत में भी फेसबुक को लेकर कई बार सवाल उठे लेकिन इसके बावजूद इसकी लोकप्रियता को लेकर किसी तरह की चुनौती नहीं पेश हो सकी। कई देशों में फेसबुक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कहा ये भी जा रहा है कि फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग अब फेसबुक में बहुत दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं और वे इससे आगे की योजनाओं पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
गूगल ने भी बदला था पेरेंट कंपनी का नाम
आपको बता दें कि 2015 में गूगल ने भी अपनी रीब्रांडिग के लिए इसी तरह का क़दम उठाया था। उसने अपनी पेरेंट कंपनी का नाम बदलने का प्रयोग किया था। गूगल ने तब अपनी पेरेंट कंपनी का नाम बदल कर अल्फ़ाबेट कर दिया था। लेकिन ये नाम आज भी प्रचलन में नहीं है।
फोटो सौजन्य – सोशल मीडिय़ा