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मिड डे मील की अजब कहानी, रसोइये का वेतन 2000 रुपया महीना भी नहीं

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नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क ) : क्या आपको यकीन होगा कि  प्रधानमंत्री पोषण योजना से जुड़े रसोइया सहायकों में से अधिकतर को हर महीने 2000 रुपयों से भी कम वेतन मिलता है। प्रधानमंत्री पोषण योजना को मिड डे मील नाम से भी जाना जाता है। कई संसदीय समितियों ने इसमें बढ़ोतरी की सिफारिश की इसके बावजूद हालात जस के तस रहे। इस समय देश भर में करीब 25 लाख रसोइया सहायक हैं और उसमें से करीब 65 प्रतिशत को हर महीने 2000 रुपए से वेतन मिलता है।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार, आठ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में इन कर्मचारियों को 2009 से सिर्फ 1000 रुपया प्रतिमाह वेतन मिल रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इन कर्मचारियों की मासिक सैलरी में पिछले कुछ वर्षों में मामूली बढ़ोतरी हुई है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि ये 2000 रुपए मासिक से कम है।

शिक्षा मंत्रालय की तरफ से साल 2018 और 2020 में इन सहायकों का वेतन करीब 2000 रुपए बढ़ाने का प्रस्ताव किया गय़ा था लेकिन वित्त मंत्रालय ने उसे खारिज कर दिया था। वित्त मंत्रालय का कहना था कि जरूरत और मांग के हिसाब से राज्यों को इनका वेतन बढ़ाना चाहिए। रसोइयों और सहायकों को मानद श्रमिक के रूप परिभाषित किया जाता है जो सामाजिक सेवा के क्षेत्र में काम करते हैं। इसलिए इन पर न्यूनतम मजदूरी संबंधी कानून लागू नहीं होता ।  

प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत रसोइयों और सहायकों के वेतन का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करती हैं। इसमें केंद्र का हिस्सा 60 प्रतिशत जबकि राज्यों को 40 प्रतिशत वेतन का भुगतान करना होता है।  

राज्यसभा की एक स्थायी समिति ने रसोइयों और सहायकों के वेतन में विसंगति को दूर करने के लिए एक समान प्रणाली और नीति के अंतरगत वेतन वृद्धि की सिफारिश की थी। समिति ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि विभिन्न राज्यों में इस बारे में अलग-अलग नियम और प्रक्रिया है। समिति ने सिफारिश की थी कि इस मामले में समान नीति का पालन किया जाना चाहिए।

मिड डे मिल योजना में कई ऐसी शिकायतें सामने आई हैं कि रसोइयों और सहायकों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है। संसद मे भी कई बार इस तरह की शिकायतों का मामला उठ चुका है। इसी वर्ष उत्तर प्रदेश में करीब 4 लाख ( 3.93 लाख) रसोइयों और सहायकों को वेतन नहीं दिया गया। मामला बिगड़ा तो दिल्ली शिक्ष मंत्रालय तक इसकी गूंज सुनाई दी।

दक्षिणी राज्यों में बेहतर स्थिति

मिड डे मील योजना से जुड़े रसोइयों और सहायकों को वेतन सभी जगह कम मिलता है ऐसा नहीं है। दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, केरल और पुदुच्चेरी में स्थिति काफी अलग है। पुदुच्चेरी में इन्हें 21000 रुपया प्रतिमाह मिलता है जबकि तमिलनाडु में इन्हें 12000 रपए और केरल में 9000 रुपए प्रतिमाह मिलता है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

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