न्यूज़ डेस्क (गणतंत्र भारत) नई दिल्ली: वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट में बताया गया कि अक्षय ऊर्जा के मामले में 115 देशों की सूची में भारत ने दो पायदान की बढ़त बनाई है। इस सूची में भारत को 76 वां स्थान प्राप्त हुआ है। ब्रिक्स देशों में केवल भारत ही एक ऐसा देश है जिसकी स्थिति में अब तक इस मामले में सुधार देखा गया है। पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति को सुधारने के लिहाज से भारत की अक्षय ऊर्जा बढ़ाने की यह गति निसंदेह सराहनीय है। भारत ने इस सूची में चीन को पछाड़ दिया है। चीन इस सूची में 82वें पायदान पर है।
भारत की इस उपलब्धि को लेकर यहां के राजनीतिक नेतृत्व की भी तारीफ़ जरूर होनी चाहिए। क्योंकि भारत सरकार द्वारा लगातार पर्यावरण के लिए उठाए जाने वाले कदमों के कारण ही भारत की अक्षय ऊर्जा की क्षमता 73 गीगावाट हुई है, जोकि देश के कुल ऊर्जा उत्पादन का 20 फीसदी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जटिल और पुराने ऊर्जा सिस्टम होने के बावजूद भी भारत तेजी से अक्षय उर्जा की ओर कदम बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
भारत में अक्षय ऊर्जा का उत्पादन अब परंपरागत ऊर्जा से अधिक होने लगा है। जिसका मुख्य कारण सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी है। देश में अक्षय ऊर्जा के विस्तार को देखकर लगता है कि भारत इस क्षेत्र में और अधिक तेजी से विकास करेगा। इसके लिए सुदूर के क्षेत्रों में सुरक्षाबल भी स्थानीय लोगों को अक्षय ऊर्जा के प्रयोंग के लिए जागरूक करने के लिए प्रयासरत है।नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार देश की बागडोर संभाली थी उस समय़ बिजली की हालत बहुत ही खराब थी, लेकिन देश अब बिजली निर्यात भी करने लगा है। उर्जा क्षेत्र में इस कायापलट के पीछे उन योजनाओं के क्रियान्यवन में बेहतर तालमेल रहा है जिसे मोदी सरकार ने लागू किया। इस समय भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता 80 गीगावॉट के स्तर को पार कर गई है। बिजली मंत्री आरके सिंह ने संसद में जानकारी दी थी कि 30 जून, 2019 तक देश में कुल 80.46 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल की गई है, जिसमें 29.55 गीगावॉट सौर ऊर्जा और 36.37 गीगावॉट पवन ऊर्जा शामिल है। मोदी सरकार ने साल 2022 तक 175 गीगावॉट स्वच्छ ऊर्जा क्षमता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रगति की नियमित रूप से निगरानी भी की जा रही है।
2030 तक सौर उर्जा से बदलेगी देश की सूरत
जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए भी मोदी सरकार कदम उठा रही है। ताकि ऊर्जा की जरूरतें भी पूरी हों और प्रकृति का संरक्षण भी साथ-साथ जारी रहे। माना जा रहा है एलईडी बल्ब का इस्तेमाल इस दिशा में अपने-आप में बहुत बड़ा कदम है। इसके प्रयोग से सालाना 8 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकता है। इसके साथ-साथ 4 हजार करोड़ रुपए की सालाना बिजली की बचत भी होगी। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर भी जोर दे रही है। सबसे बड़ी बात है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकार 2030 तक देश के सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल देने का लक्ष्य लेकर काम में जुटी है। इससे सालाना 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक जीवाश्म ईंधन की बचत होगी। सरकार की ओर से कराए गए एक रिसर्च के अनुसार 2030 तक राजस्थान की केवल एक प्रतिशत भूमि से पैदा हुई सौर ऊर्जा से देश भर के सभी वाहनों के लिए पर्याप्त ईंधन का इंतजाम हो सकता है।
परमाणु बिजली में आत्मनिर्भरता
मोदी सरकार ने 10 नए प्रेशराइज्ड हैवी वॉटर रिएक्टरों के निर्माण का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये काम देश के ही वैज्ञानिक करेंगे और कोई भी विदेशी मदद नहीं ली जाएगी। इन दस नए स्वदेशी न्यूक्लियर पावर प्लांट से 7,000 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी। इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि भारत भी विश्व के अन्य देशों को ये तकनीक देने वाला देश बन जायेगा, जो मेक इन इंडिया योजना को बहुत अधिक सशक्त करेगा। इसके अतिरिक्त 2021-22 तक 6,700 मेगावाट परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लिए अन्य न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण का भी काम चल रहा है।
जरूरत से ज्यादा बिजली उत्पादन क्षमता
बिजली मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस वक्त बिजली उत्पादन क्षमता हमारी जरूरत से अधिक है। इंटरस्टेट ग्रिड में भी एक लाख से अधिक सर्किट किमी की लाइन जोड़ी गई है। ताकि, एक राज्य से दूसरे राज्य में बिजली को लाना और ले जाना आसान हो।
एक ग्रिड-एक देश योजना
बिजली मंत्री आरके सिंह के अनुसार हम देश को एक ग्रिड में पिरोने में सफल रहे हैं। हम पूरे देश में कहीं भी बिजली ला ले जा सकते हैं। कश्मीर में पैदा होने वाली हाईड्रो पावर को कन्याकुमारी भेज सकते हैं। इस वक्त हम कच्छ में सौर या पवन उर्जा पैदा करें तो उसका इस्तेमाल अरुणाचल प्रदेश में कर सकते हैं। क्योंकि, पूरा देश एक ग्रिड से जुड़ चुका है। हमारे पास बिजली को लाने और ले जाने के लिए मजबूत नेटवर्क है
सस्ती सौर ऊर्जा उत्पादन में भारत सबसे आगे
भारत सबसे सस्ती सौर ऊर्जा का उत्पादन करने वाला देश बन गया है। एक सर्वे में यह बात सामने आई है। देश में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। जहां कुछ सालों पहले बहुत कम लोगों को सौर ऊर्जा के बारे में जानकारी थी। पीएम मोदी के प्रयासों के चलते अब काफी लोग सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के प्रति सजग हो पाए हैं और अब देश भर में गांवों से शहरों तक में सौर ऊर्जा के प्रयोग में बढ़ोत्तरी हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी के सर्वे के मुताबिक भारत पूरे विश्व में सबसे सस्ती सौर ऊर्जा उत्पादन करने वाला देश बन गया है। सौर ऊर्जा उत्पादन में भारत का यह नया कीर्तिमान है।