Homeइन फोकसअन्यये उस आजादी का सम्मान है, जो खतरे में है….

ये उस आजादी का सम्मान है, जो खतरे में है….

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नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) :  आज जब दुनिया के देशों में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति के आजादी के सवाल खुद एक सवाल बनते जा रहे हैं, तो ऐसे में इन्हीं सवालों के लिए लगातार संघर्षशील दो पत्रकारों को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा से इन मूल्यों के लिए संघर्ष कर रहे लोगों और संस्थाओं को एक नई उम्मीद की किरण दिखाई दी है। पुरस्कार की घोषणा करने वाली नोबेल कमेटी का कहना है दुनिया में लोकतंत्र और शांति बनी रहे इसके लिए जरूरी है अभिव्यक्ति की आजादी।  

2021 का नोबेल शांति पुरस्‍कार दोल पत्रकारों मारिया रेस्‍सा और दिमित्री मुरातोव को देने की घोषणा की गई है। नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने पुरस्कारों का ऐलान किया है। रेस्सा और मुरातोव दोनों ही पेशे से पत्रकार हैं। नॉर्वे की राजधानी ओस्लो स्थित नोबेल कमेटी की तरफ से पुरस्कार का एलान किया गया है। नोबेल कमेटी ने बताया है कि इन दोनों पत्रकारों को अभिव्‍यक्ति की आजादी के प्रश्न पर लगातार संघर्ष करने और उसे सुरक्षित करने के उनके प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित करने का फैसला किया गया है।

मारिया रेस्‍सा

मारिया रेस्सा फिलीपींस की पत्रकार हैं। वे पिछले एक दशक से अभिव्यक्ति की आजादी और खोजपरक पत्रकारिता के लिए सक्रिय हैं। उनकी बेबाक पत्रकारिता से परेशान होकर फिलीपींस की सरकार ने उन पर कई मुकदमें किए। ओस्लो स्थित नोबेल कमेटी की तरफ से कहा गया है कि रेस्‍सा ने अपने देश फिलीपींस में सत्‍ता के दुरुपयोग, हिंसा के प्रयोग और तानाशाही को सामने लाने के लिए अभिव्‍यक्ति की आजादी का सही इस्तेमाल किया। मारिया रेस्सा ने 2012 में रैप्‍लर की स्थापना की। वे इस डिजिटल मीडिया कंपनी की को-फाउंडर हैं और ये कंपनी इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्‍म के क्षेत्र में काम करती है। मारिया ने भारतीय टेलीविजन न्यूज़ नेटवर्क एनडीटीवी से एक बातचीत में कहा कि आज के दौर में अभिव्यक्ति की आजादी पर तरह-तरह के खतरे और दबाव हैं लेकिन पत्रकारों को अपना मूल धर्म कभी भी नहीं भूलना चाहिए।  

दिमित्री मुरातोव

दिमित्री आंद्रेविच मुरातोव भी एक पत्रकार हैं। वे रूस में नोवाजा गाजेटा नाम से एक अखबार के सह संस्थापक हैं। नोबेल कमेटी का कहना है कि यह आज की तारीख में रूस का सबसे स्‍वतंत्र अखबार है। नोबेल कमेटी के मुताबिक मुरातोव कई दशकों से रूस में अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं। मुरातोव, ऐसे समय में रूस में स्वतंत्र और निर्भीक पत्रकारिता कर रहे हैं जब उन्हें अपने ही देश की सत्ता से लोकतंत्र और मौलिक अधिकारों के सवालों पर जूझना पड़ रहा है। नोबेल कमेटी ने अपने बयान में मुरातोव के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि स्वतंत्र, निर्भीक और तथ्यों पर आधारित पत्रकारिता  सरकारों के झूठ और प्रोपेगैंडा के खिलाफ प्रबल हथियार है और मुरातोव लगातार इस कसौटी पर खरे उतरते रहे हैं।    

नोबेल सम्मान 10 दिसंबर को

नोबेल शांति पुरस्कारों को लेकर इस बार कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। नोबेल कमेटी की तरफ से इस बात का कोई संकेत नहीं दिया गया था कि किस व्यक्ति या समूह को इस सम्मान से नवाजा जाएगा। पिछले एक दशक में इस पुरस्कार से कई राजनयिक, डॉक्‍टर और विभिन्न देशों के राष्ट्रपति सम्मानित हो चुके हैं। नोबेल शांति पुरस्कार 2021 के उम्मीदवारों में बेलारूस की निर्वासित विपक्षी नेता स्वेतलाना तिखनोस्काया और रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नवलनी भी शामिल थे। तिखनोस्काया ने 2020 में बेलारूस में शांतिपूर्ण विरोध का नेतृत्व किया था। जेल में बंद रूसी विपक्षी नेता अलेक्सी नवलनी का नाम भी चर्चा में था। लेकिन नोबेल कमेटी ने शांति पुरस्कारों के लिए इन दोनों पत्रकारों के नाम पर ही मुहर लगाई। ये पुरस्कार विश्व मानवाधिकार दिवस यानी 10 दिसंबर को प्रदान किए जाएंगे।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

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