नई दिल्ली / जयपुर (गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र) : क्या राजस्थान में बीजेपी अपने पुराने घोड़ों से मुंह फेरने वाली है ? बीजेपी दावा करती रही है कि राजस्थान में उसके पास एक से एक धुरंधर नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। वसुंधरा राजे सिधिया से लेकर राजेद्र सिंह राठौड़, सीपी जोशी, अश्विनी वैष्णव और गजेंद्र सिंह शेखावत। लेकिन, हालात जो संकेत दे रहे हैं उससे ऐसा लग रहा है कि पार्टी ने अब इनमें से अपने किसी भी घोड़े पर दांव खेलने से बच रही है।
तो, अब बीजेपी के पास विकल्प क्या है ? विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीजेपी राजस्थान में इस बार लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला के चेहरे को आगे रख कर चुनाव लड़ने की योजना पर काम कर रही है। खबरों से ये भी पता चला है कि राज्य की मुख्य सचिव ऊषा शर्मा को एक्सटेंशन देना भी इसी कड़ी का हिस्सा है। ऊषा शर्मा 30 जून को रिटायर हो रही थीं लेकिन अचानक 29 जून को उन्हें एक्सटेशन देने का फैसला किया गया। उसी दिन फाइल केंद्र सरकार के पास अनुमोदन के लिए भेजी गई और अगले ही दिन सेवाकाल में विस्तार दे दिया गया। सूत्र बताते हैं कि इस काम को फटाफट कराने के लिए राजस्थान में बीजेपी संगठन के एक शीर्ष नेता ने मीडिएशन का काम किया था। ये नेता ओम बिड़ला का खास माना जाता है।
राज्य में इसी साल अंत में चुनान होने हैं और विपक्ष शासित राज्य में केंद्र की पसंद का मुख्य सचिव होना प्रशासनिक लिहाज से फायदे की चीज़ माना जाता है। आपको बता दें कि इस अधिकारी के नाम को लेकर कांग्रेस में अशोक गहलोत के विरोधी खेमे ने आरोप लगाया था कि अशोक गहलोत और नरेंद्र मोदी में साठगांठ हो गई है इसीलिए इस अधिकारी के नाम को फटाफट केंद्र सरकार का आशीर्वाद भी मिल गया। जबकि असली कहानी कुछ और है।
ओम बिड़ला क्यों बन सकते हैं बीजेपी का फेवरेट फेस ?
राजस्थान बीजेपी के पास नामों का कमी नहीं है लेकिन उनकी सबसे बड़ी दिक्क्त उन नामों पर बड़े तौर पर सहमति का न बन पाना है। राज्य में पार्टी की सबसे बड़ी नेता बेशक वसुंधरा राजे सिंधिया हैं, लेकिन उन्हें केंद्र सरकार का शीर्ष नेतृत्व ही पसंद नहीं करता। ये सर्वविदित है कि वसुंधरा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की गुड बुक में नहीं हैं। सीपी जोशी और राजेंद्र सिंह राठौड़ के नाम पर राज्य में ही पार्टी में एका नहीं है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पार्टी ने राज्य में एक चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करमे की कोशिश की लेकिन उनके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने उन्हें बैकफुट पर ला दिया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पार्टी एक साफ सुथऱे नेता के तौर पर राज्य में सामने लाना चाहती थी लेकिन उनके साथ भी लोचा हो गया। बालासोर रेल हादसा और रेल विभाग में अव्यवस्था को लेकर पार्टी सकते में हैं और अश्विनी वैष्णव को फिलहाल लो प्रोफाइल रखा गया है।
इन हालात में पार्टी को राज्य में एक ऐसे नेता की तलाश थी जो राज्य में भी स्वीकार्य हो और केंद्र सरकार के साथ भी उसका तालमेल हो। ओम बिड़ला इस लिहाज से पार्टी के पैमानों पर खऱे उतरते हैं। वे बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के पसंदीदा तो हैं ही साथ ही किसी बड़े विवाद में उनका नाम भी शामिल नहीं है। माना ये भी जा रहा है कि ओम बिड़ला राजस्थान बीजेपी के एक बड़े धड़े को एकसाथ लाने में सफल हो सकते हैं।
ओम बिड़ला कोटा साउथ से लोकसभा के लिए चुने गए और वे बीजेपी के कोर वोटर माने जाने वाले वैश्य समुदाय से आते हैं।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिय़ा