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प्रदूषण के खिलाफ नियम सख्त, नए कानून में एक करोड़ जुर्माना, पांच साल के लिए अंदर

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नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र): दिल्ली- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने एक नया कानून बनाय़ा है। इस कानून के तहत पांच साल तक की सजा और एक करोड़ रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गय़ा है। दिल्ली और आसपास के इलाके में हर साल प्रदूषण एक बड़ा संकट बन जाता है। खासकर सर्दियों और त्यौहारी सीजन की शुरुआत के साथ इस क्षेत्र में प्रदूषण चरम पर पहुंच जाता है।

केंद्र सरकार ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक अध्यादेश जारी करते हुए तत्काल प्रभाव से नया कानून लागू कर दिया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसे मंजूरी दे दी है।

नए कानून में प्रावधान किया गया है कि जो भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होगा उसे दोषी पाए जाने पर पांच साल तक की जेल के अलावा एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना भऱना पड़ सकता है। अब तक के नियमों के तहत जेल की सजा एक साल थी और जुर्माना एक लाख रुपए तक सीमित था।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अध्यादेश के जरिए कानून लाना एक महत्वपूर्ण फैसला है और इससे दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रभावी रूप से प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकेगी।

नए कानून में शक्तिशाली आयोग का गठन

अध्यादेश के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर के अलावा पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के आसपास के इलाकों में इस अध्यादेश के नियम प्रभावी होंगे। इसके तहत एक वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का गठन किया गया है। आयोग के पास वायु गुणवत्ता, प्रदूषण के लिए मानत तय करने, कानून का उल्लंघन करने वाले परिसरों का निरीक्षण करने, नियमों का पालन नहीं करने वाले उद्योगों और संयंत्रों को बंद करने का आदेश देने का अधिकार होगा। इसके अलावा नए कानून में ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि लगातार इस क्षेत्र में प्रदूषण पर निगरानी रखी जा सकेगी और उस पर नियंत्रण के लिए शोध और अभिनव तरीकों को बढ़ावा दिया जा सकेगा। इस आयोग में कुल 18 सदस्य होंगे जिनमें एनजीओ के सदस्यों के अलावा पर्यावरण से जुड़े एक्टिविस्टों को भी जगह दी जाएगी।

टकराव हुआ तो आयोग का निर्देश मान्य होगा

अध्यादेश में ऐसे प्रावधान हैं कि अगर राज्यों के नियमों के चलते टकराव की स्थिति पैदा हुई तो आयोग का आदेश ही मान्य होगा। आयोग की शिकायत पर मजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा चलेगा।  

ईपीसीए को भंग किया गया

विधि और न्याय मंत्रालय ने 29 अक्टूबर को जारी अध्यादेश के तहत पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) को भी भंग कर दिया। दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण रोकने और प्रदूषण फैलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ईपीसीए पिछले 22 साल से काम कर रहा था।  

दिल्ली में ग्रीन ऐप

दिल्ली में प्रदूषण की शिकायत करने के लिए ग्रीन दिल्ली ऐप का इस्तेमाल अब मुमकिन हो गया है। इस ऐप के जरिए प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों की शिकायत की जा सकेगी और कूड़ा जलाने, उद्योग के प्रदूषण, धूल उड़ाने की तस्वीरें सीधे ही इस ऐप पर अपलोड की जा सकेंगी।      

फोटो सौजन्य: सीएनएन.डॉट कॉम

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