नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क ) : मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने समय-समय पर केंद्र सरकार की नीतियों और फैसलों का मुखर विरोध किया है। कभी उन्होंने कश्मीर में आंतकवाद की बढ़ती घटनाओं पर केंद्र सरकार को घेरा तो कभी किसानों की मांगों को लेकर केद्र सरकरा के रुख से नाराजगी जताई। अब उन्होंने ताजा बय़ान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यवहार को लेकर ही सवाल उठा दिया है। उन्होंने कहा है कि, जब वे किसानों की मांगों पर प्रधानमंत्री से बात करने गए तो वे बहुत घमंड में थे और बातचीत शुरू होते ही मेरा उनसे झगड़ा हो गया।
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में इस बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। रिपोर्ट के अनुसार सत्यपाल मविक ने बताया कि, तब वे बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा कि हमारे पांच सौ लोग मरर गए तो उन्होंने जवाब दिया कि क्या मेरे लिए मरे हैं। मैंने कहा कि आपके लिए ही तो मरे थे जो आप राजा बने हुए हो और मेरा झगड़ा हो गया। उन्होंने कहा कि आप अमित शाह से मिल लो। फिर मैं अमित शाह से मिला।
ये बातें सत्यपाल मलिक ने हरियाणा के चरखी दादरी में एक समाजिक कार्यक्रम में कहीं।
कार्यक्रम के बाद सत्यपाल मलिक ने पत्रकारों से भी बात की। कृषि कानूनों को वापस लेते हुए प्रधानमंत्री ने जो कुछ देश से कहा उसके बारे में उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री और कह भी क्या सकते थे। हमने अपने यानी किसान के पक्ष में फैसला कराया।
उन्होने कहा कि, किसानों के कुछ मुद्दे अभी भी लटके हुए हैं। उनके खिलाफ मामलों को पूरी तरह से वापस नहीं लिया गया है। सरकार को ईमानदारी के साथ किसानों से किए गए वादे को पूरा करना चाहिए। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों को गारंटी देने वाला कानून भी आना चाहिए। उन्होंने कहा कि, किसानों को सरकार के कदम का इंतजार है। अगर वे मायूस हुए तो वापस उनका आंदोलन शुरू हो जाएगा।
सत्यपाल मलिक ने सरकार को चेताते हुए कहा कि सरकार को एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने के लिए उनसे मदद के हाथ की उम्मीद है। उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे बात बनने के बदले खराब हो जाए।
सत्यपाल मलिक बीजेपी के उन नेताओं में रहे हैं जो किसान आंदोलन के सवाल पर सरकार के रुख से बेहद नाराज थे। उन्होंने सरकार को चेताया था कि सरकार किसानों को हलके में न ले। उन्होंने कहा था कि सरकार को किसानों की मांगों को मानते हुए तुरंत कृषि कानून वापस लेने चाहिए। मलिक ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि, ये किसान कुछ भूलते नहीं। खासकर, सिख किसानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि सिख सौकड़ों सालों तक उनके साथ हुए सलूक को याद रखते हैं। इसलिए वे जो बात कह रहे हैं उसका समाधान निकाला जाए और ससम्मान उन्हें वापस उनके घरों को भेज दिया जाए।
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