न्यूज़ डेस्क : नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र):
भारतीय जनता पार्टी देश में सबसे ज्यादा राजनीतिक चंदा हासिल करने वाली पार्टी है। उसे कांग्रेस के मुकाबले साढ़े पांच गुना अधिक चंदा हासिल हुआ है। बीजेपी को साल 2018- 2019 में 698 करोड़ रुपए बतौर चंदा हासिल हुआ है जबकि इस दौरान कांग्रेस पार्टी को 122 करोड़ रुपए ही चंदे में मिले। यहीं नहीं बीजेपी को पिछले सात सालों में सबसे ज्यादा राजनीतिक चंदा मिला है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ताजा रिपोर्ट से ये आंकड़े सामने आए हैं। कॉरपोरेट चंदा देने वालों में टाटा समूह का प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट सबसे आगे रहा जबकि प्रुडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट और एबी जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे।
टाटा ने दिया सबसे ज्यादा राजनीतिक चंदा
साल 2018 -2019 में टाटा इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 455 करोड़ रुपए से ज्यादा का चुनावी चंदा विभिन्न राजनीतिक दलों को दिया। सबसे कम चुनावी चंदा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को मिला है। उसे साल 2018- 2019 में महज 1.19 करोड़ रुपए ही मिले हैं।
साल 2012- 13 से 2018- 19 की अवधि की बात की जाए तो बीजेपी को 2319 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजनीतिक चंदा मिला जबकि कांग्रेस को इस अवधि में 376 करोड़ रुपए और सीपीएम को मात्र 7.5 करोड़ रुपए ही राजनीतिक चंदे के रूप में हासिल हुए।
कॉरपोरेट जमकर दे रहे हैं पैसा
बीजेपी को कॉरपोरेट से सबसे ज्यादा चंदा मिला। इस दौरान कुल कॉरपोरेट से मिले चंदे का 82 फीसदी से ज्यादा पार्टी को मिला। 2018-19 में बाकी राष्ट्रीय पार्टियों को जितना चंदा मिला, उसे जोड़ लें तो इस रकम का 7 गुना से भी ज्यादा चंदा अकेले बीजेपी को मिला है। कॉरपोरेट चंदे की बात की जाए जो साल 2004 से 2012 के दौरान जितना चंदा राजनीतिक दलों को मिला साल 2018 -2019 में उसमें 130 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई।
राजनीतिक दलों को 20,000 रुपए से ज्यादा के चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है। इसमें दानकर्ता का नाम, पता, पैन, भुगतान के समय और रकम का ब्योरा देना पड़ता है।
पारदर्शिता की कमी
गौर करने लायक बात ये है कि राजनीतिक चंदे के मामले में सभी राजनीतिक दल पारदर्शिता से परहेज करते हैं। इस बात के प्रयास किए गए कि राजनीतिक चंदे के बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक की जाए लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इलेक्टोरल बॉंड और 20,000 रुपए से कम के चंदे के बारे में राजनीतिक दल सार्वजनिकक रूप से कोई जानकारी नहीं देते।