बेंगलुरू (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क और समाचार एजेंसी) : बेंगलुरू-चेन्नई शताब्दी एक्सप्रेस में एक विवादित अखबार बांटे जाने से बवाल उठ खड़ा हुआ है। द आर्यावर्त एक्सप्रेस नाम के इस अखबार को ‘प्रोपेगेंडा’ समाचार पत्र के रूप में जाना जाता है। आईआरसीटीसी ने स्वीकार किया है कि अंग्रेजी में निकलने वाला ये अखबार अनाधिकृत है। आईआरसीटीसी ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
एक यात्री ने ट्विटर पर दी सूचना
मामले की सबसे पहले सूचना ट्विटर पर गोपिका बाशी नामक यात्री ने दी। वे एक जैंडर जस्टिर एक्टिविस्ट हैं। उन्होंने शुक्रवार को माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर लिखा कि, आज सुबह मैं बेंगलुरु-चेन्नई शताब्दी एक्सप्रेस में सवार हुई जिसमें हर दूसरी सीट पर इस घोर प्रचारक प्रकाशन द्वारा स्वागत किया गया। इसके बारे में सुना भी नहीं था। आईआरसीटीसी के अधिकारी इसकी अनुमति कैसे दे रहे हैं?
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आर्यावर्त एक्सप्रेस नामक बेंगलुरु से निकलने वाले इस अखबार में ‘जेनोसाइड ऑफ हिंदूज, सिख्स, बुद्धिस्ट्स अंडर इस्लामिक रूल नीड्स टू बी रिकग्नाइज्ड’ और ‘यूएन शुड लेबल औरंगजेब एज़ पर्पेचुएटर ऑफ हालकॉस्ट लाइक हिटलर’ जैसे लेख अन्य लेखों के साथ मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित हुए थे। इसे हिंदी में इस तरह से समझा जा सकता है, ‘इस्लामी शासन के तहत हिंदुओं, सिखों, बौद्धों के नरसंहार को स्वीकारने की जरूरत है’ और ‘संयुक्त राष्ट्र को औरंगजेब को हिटलर की तरह नरसंहारक के रूप में पहचाना जाना चाहिए’।
बाशी के ट्वीट के बाद, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने सवाल किया कि इस तरह के समाचार पत्र को एक ट्रेन में बांटे जाने की अनुमति कैसे मिली ? उन्होंने ट्वीट किया, ‘क्या माननीय रेल मंत्री इसकी जांच का आदेश देंगे? क्या शताब्दी एक्सप्रेस में प्रचार सामग्री (बांटने) की अनुमति देना रेल मंत्रालय की एक सुविचारित नीति है ? इस मुद्दे को लोकसभा में उठाऊंगा। भारत नफरत के खिलाफ है।’ कांग्रेस के एक अन्य सांसद कार्ति चिदंबरम ने भी सवाल किया कि इस तरह के समाचार पत्र को आईआरसीटीसी के ‘सब्सक्राइब’ प्रकाशनों की सूची में जगह कैसे मिल गई।
आईआरसीटीसी का क्या कहना है ?
आईआरसीटीसी ने (अंग्रेजी समाचार पत्र) ‘डेक्कन हेराल्ड’ और एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र को क्षेत्र में ट्रेन में बांटे जाने के लिए मंजूरी दी है। ये समाचार पत्र आईआरसीटीसी लाइसेंस धारकों द्वारा ट्रेन में बांटे जाते हैं। आईआरसीटीसी प्रवक्ता आनंद झा ने कहा कि, हमने इसकी जांच का आदेश दिया है। जिम्मेदार पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ये समाचार पत्र आईआरसीटीसी से मंजूरी प्राप्त प्रकाशनों में शामिल नहीं है।
इसके बाद, एक ट्वीट में आईआरसीटीसी ने कहा कि सवालों के घेरे में आए समाचार पत्र को नियमित मंजूरी प्राप्त समाचार पत्रों के अंदर डाला हुआ पाया गया है। समाचार पत्र विक्रेता को भविष्य में इस तरह का कार्य करने से दूर रहने की सख्त हिदायत दी गई है। ट्रेन पर निगरानी कर्मचारी इसकी कड़ी निगरानी करेंगे।
आईआरसीटीसी के ट्वीट का बाशी ने तुरंत जवाब देते हुए इसमें दी गई जानकारी को गलत बताया। बाशी ने आईआरसीटीसी के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि, ‘ये (मंजूरी प्राप्त) समाचार पत्र के अंदर डाला हुआ नहीं था। जब मैं ट्रेन पर सवार हुई, तब ये मेरी सीट पर पड़ा हुआ था। अगली सीट पर डेक्कन हेराल्ड था। बाशी के जवाब के बाद तुरंत बाद आईआरसीटीसी ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।
आईआरसीटीसी की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रजनी हसीजा ने सामचार एजेंसी को स्पष्ट किया है कि, ‘हमने लाइसेंसधारी को चेतावनी दी है। अनुबंध के अनुसार, केवल डेक्कन हेराल्ड और एक कन्नड़ अखबार की प्रतियां वितरित करनी हैं। उन्हें अनुबंध की शर्तों को मानना चाहिए।
आपको बता दें कि आर्यावर्त एक्सप्रेस प्रोपेडैंडा फैलाने वाला एक अखबार है जो दक्षिण पंथी सोच का प्रचार-प्रसार करता है। विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने मामले की जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने की मांग की है।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया