Homeपरिदृश्यटॉप स्टोरीकहीं ऑक्सीजन की कमी, तो कहीं गंगा में लाशें, यूपी में कोरोना...

कहीं ऑक्सीजन की कमी, तो कहीं गंगा में लाशें, यूपी में कोरोना को लेकर फिर सवाल

spot_img

लखनऊ (गणतंत्र भारत के लिए हरीश मिश्र ) :  उत्तर प्रदेश में कोरोना से हुई मौतों का सवाल एक बार फिर से गरमा गया है। वजह दो हैं, पहली विधान परिषद में कांग्रेस नेता दीपक सिंह की तरफ से दिया गया विशेषधिकार हनन नोटिस और दूसरी वजह, नामामि गंगे प्रोजेक्ट के प्रमुख और स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा की किताब ‘ गंगा – रीइमेजनिंग, रीजुवेनेटिंग रीकनेक्टिंग ’ में गंगा तैरती में लाशों को लेकर उठाए गए सवाल।

कांग्रेस नेता दीपक सिंह ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति को नियम 223 के अंतरगत नोटिस दिया है जिसमें कहा गया है कि सरकार ने प्रदेश में कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन से कमी से हुई मौतो के बारे में गलत और भ्रामक जानकारी देकर सदन और सदन के सदस्यों को प्राप्त विशेषधिकार का हनन किया है।

उन्होंने कहा कि गत 16 दिसंबर को एक तारांकित प्रशन के जरिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री से सवाल पूछा गया था कि कोरोना की दूसरी लहर में प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से कितने लोगों की मौत हुई है। सरकार की तरफ से जवाब दिया गय़ा कि कोई भी मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है।

नोटिस में कहा गया कि तमाम मीडिया रिपोर्टों और मंचों से मिली खबरों और साक्ष्यों को देखते हुए ये जानकारी गलत और भ्रामक है और इस दृष्टि से ये सदन की मर्यादा का हनन है।

इस संदर्भ के बारे में तब और भ्रम की स्थिति पैदा होती है जब नमामि गंगे प्रोजेक्ट के हेड और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के प्रमुख राजीव रंजन मिश्र ने अपनी किताब में गंगा में तैरती लाशों के मुद्दे के मसले को उठाया। उन्होंने अपनी किताब में कहा कि, कोरोना की दूसरा लहर के दौरान गंगा में ढेरों लाशें तैर रही थीं और इससे स्वच्छ गंगा के मिशन में बाधा आई। मिश्रा ने अपनी किताब में ये भी लिखा कि ऐसे मामले अधिकतर उत्तर प्रदेश तक सीमित थे और जो लाशें बिहार में मिली वे भी उत्तर प्रदेश से बह कर ही वहां पहुंची थी। उन्होंने बताया कि लाशों की संख्या को लेकर अलग-अलग जानकारियां सामने आईं। किताब में बताया गया कि किसी भी जिला प्रशासन मे 300 से ज्यादा शवों की बात नहीं स्वीकारी।

उन्होंने लिखा कि, गंगा की सफाई के लिए सालों के प्रयास कुछ दिनो के अंतराल में धुल गए। मिश्रा ने बताया कि उन्होंने इस दौरान गंगा किनारे बसे उत्तर प्रदेश और बिहार के 59 जिलो के प्रशासन से इस बारे में रिपोर्ट तलब की। बिहार ने तो इस पर कोई कारर्वाई नहीं की लेकिन उत्तर प्रदेश ने जिलेवार डेटा एकत्र करना शुरू किया।  

मिश्रा ने अपनी किताब में इस बात का जिक्र किया कि उन्हें अधिकतर जिलों से जो रिपोर्ट मिली उसमें बताया गया कि गंगा में लाशें इसलिए मिल रही हैं क्योंकि राज्य में बहुत सी जगहों पर शव को गंगा में बहाने का चलन है। उन्होंने ये लिखा कि, मैंने इस बात पर आपत्ति जताई और स्पष्ट किया कि इसे पूरी तरह से सही नहीं कहा जा सकता। संभव है कुछ जगहों य़ा वजहों से लोग गंगा में शव को बहाकर अंतिम संस्कार करते हो लेकिन ऐसा आम चलन में है, ये गलत है।

स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्र ने आगे लिखा कि, उन्होंने गंगा किनारे बसे जिलों के जिलाधिकारियों से आग्रह किया कि वे स्वच्छ गंगा मिशन के लिए आवंटित राशि का इस्तेमाल इन शवों के निस्तारण और  उनकी वजह से उपजे हालात से निपटने में कर सकते हैं।

अब जबकि राष्ट्रीय़ स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक ने भी कोरोना से हुई मौतों के बारे में सही जानकारी न होने का शक जाहिर किया है और गंगा में शवों के भरमार की बात समाने रखी है तो उत्तर प्रदेश सरकार के सामने एक पसोपेश की स्थिति पैदा हो गई है। निश्चित रूप से कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का जवाब भी किसी के गले उतरने वाला है नहीं।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

- Advertisment -spot_img

Recent Comments