नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुहासिनी ) : नोएडा, ग्रेटर नोएडा और अब जेवर एयरपोर्ट की वजह से यमुना एक्सप्रेस वे के आसपास की जमीनें सत्तारूढ़ पार्टी, बिल्डरों और अफसरों की जागीर बनकर रह जाती हैं। समय-समय पर इस बारे में पर्दाफाश होता रहा है। इस मामले में सरकार किसी की भी रही हो किसी ने भी बहती गंगा में हाथ धोने में कोताही नहीं बरती।
मायावती की सरकार बनी तो नोएडा एक्सटेंशन का खेल हुआ जहां आज भी कोई ईमानदार बायर घर खऱीदते घबराता है कि कहीं कोई कोई पेंच न हो और बिल्डर और बैंक मिलकर उसे चपत लगा दें। बताया जाता है कि, मुलायम सिंह और अखिलेश यादव की सरकार में अमर सिंह और नोएडा के एक उद्योगपति डिंफेंस कॉलोनी के एक घर में बैठकर प्लॉट बांटा करते थे।
इन दोनों सरकारों में नोएडा में उनके पसंदीदा ऐसे अफसर ही तैनात किए जाते थे जो उनकी कमाई में किसी तरह से बाधा न पैदा करें बल्कि उनसे बंदरबांट में सहयोग की उम्मीद की जाती थी।
इंडियन एक्सप्रेस की सनसनीखेज रिपोर्ट
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने आज इस मामले में एक बड़ा धमाका किया है। अखबार ने एक रिपोर्ट छापी है जिसकी पड़ताल में ये बात सामने आई है कि, पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी नेता मायावती के भाई और भाभी के नाम नोएडा में 261 फ्लैट आवंटित किए गए। ये आवंटन उन्हें निर्धारित मूल्य़ से लगभग आधे दाम पर किए गए। मई 2023 की एक ऑडिट रिपोर्ट में इस तरह की खरीद फरोख्त पर सवाल उठाते हुए उसे गलत तरीके से और धोखाधड़ी से किया गया ट्रांजेक्शन बताय़ा गया।
इंडियन एक्सेप्रस की रिपोर्ट में विस्तार से बताते हुए लिखा गया है कि, बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते, उनके रिश्तेदारों को दिल्ली से सटे नोएडा में कम क़ीमत में 261 फ्लैट आवंटित किए गए। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, आधिकारिक दस्तावेज़ों की जांच से पता चला है कि नोएडा में रीयल एस्टेट कंपनी लॉजिक्स इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड जो कॉम्पलेक्स बना रही थी, उसमें मायावती के भाई और उनकी भाभी को कम से कम 261 फ्लैट जिस तरह आवंटित किए गए थे वो ‘ग़लत तरीके से’, ‘धोखाधड़ी’ के ज़रिए और बेहद ‘कम क़ीमत’ पर थे। मई 2023 की एक ऑडिट रिपोर्ट में कंपनी के अस्तित्व में आने से लेकर उसके दिवालिया होने की कगार तक पहुंचने के 12 सालों का लेखाजोखा सामने आया है। इंडियन एक्सप्रेस कहता है कि उसने इस मामले में आधिकारिक रिकॉर्ड और रिपोर्टों की जांच की है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मई 2007 में मायावती के मुख्यमंत्री बनने के तीन साल बाद मई 2010 में लॉजिक्स इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनी। इसके दो महीने बाद जुलाई 2010 में कंपनी ने नोएडा में बन रहे अपने प्रोजेक्ट ब्लॉसम ग्रीन्स में मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी भाभी विचित्र लता को दो लाख वर्ग फ़ुट की जगह बेचने का समझौता किया। इसे 2,300 और 2,350 रुपए प्रति वर्ग फ़ुट के दाम पर बेचा गया। इस क़ीमत पर आनंद कुमार को ये संपत्ति 46.02 करोड़ रुपए में मिली जबकि विचित्र लता को ये 46.93 करोड़ रुपए में मिली।
इस समझौते के तीन महीने बाद उत्तर प्रदेश सरकार के तहत आने वाली नोएडा ऑथोरिटी ने 22 टावर बनाने के लिए कंपनी को 24.74 एकड़ की ज़मीन लीज़ पर दी। ये ज़मीन ब्लॉसम ग्रीन्स नाम के कॉम्प्लैक्स में 22 टावर बनाने के लिए दी गई। इसके बाद सितंबर 2012 से लेकर 22-23 तक कंपनी ने इस कॉम्पलैक्स में बने कुल 2,538 फ्लैटों में से 2,329 फ्लैट बेचे। कुल 8 टावर में बने 944 फ्लैट्स में से 848 में लोग रहने लगे हैं, लेकिन अब भी 14 टावर खाली पड़े हैं। ये टावर बनकर तैयार तो हैं, लेकिन इन्हें अब तक पज़ेशन लेटर नहीं मिल सका है।
अप्रैल 2016 में आनंद कुमार और विचित्र लता ने कथित रूप से एडवांस के तौर पर 28.24 करोड़ रुपए और 28.12 करोड़ रुपए कंपनी को चुकाए, जिसके एवज़ में उन्हें 135 और 126 फ्लैट आवंटित किए गए।
फ़रवरी 2020 में अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन ने जिसे प्रोजेक्ट के सिविल काम को पूरा करने का ज़िम्मा मिला था, उसने लॉजिक्स को 7.72 करोड़ रुकए का बिल थमा दिया। लेकिन उसके जवाब में लॉजिक्स ने कोविड महामारी का हवाला देते हुए पैसा चुकाने में असमर्थता जाहिर की।
इसके दो साल बाद सितंबर 2022 में एनसीएलटी ने लॉजिक्स को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया ताकि उसके देनदारों के लिए वसूली की जा सके।
इसी के तहत कंपनी के दस्तावेज़ों की जांच कर एक ट्रांज़ेक्शन ऑडिट रिपोर्ट मई 2023 में दी गई।
इंडियन एक्सप्रेस का दावा है कि उसने उस रिपोर्ट को देखा है। रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 में जिस वक्त आनंद कुमार को 2,300 रुपए प्रति स्क्वायर फ़ुट के हिसाब से संपत्ति बेची गई, उस वक्त दूसरे खरीदारों को ये 4,350.85 रुपए प्रति स्क्वायर फ़ुट की दर से बेची गई।
इसके अलावा आनंद कुमार के नाम पर आवंटित फ्लैटों में से 36 में अन्य लोग रह रहे हैं। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार इससे ये पता चलता है कि, फ्लैटों के आवंटन में या तो ग़लती हुई है या फिर धोखाधड़ी हुई है। इसी तरह, विचित्र लता के नाम पर आवंटित 125 फ्लैटों में से 24 में अन्य लोग रह रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुकाबिक, लॉजिक्स ग्रुप (लॉजिक्स इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड की पेरेंट कंपनी) 1997 में अस्तित्व में आया था। रिपोर्ट ने चौंकाने वाली जानकारी साझा करते हुए बताया है कि, 2021 में आई कैग की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 2005 से लेकर 2018 के बीच नोएडा ऑथोरिटी ने किए गए सभी व्यावसायिक प्लॉटों का 22 फ़ीसदी यानी लगभग एक चौथाई इस कंपनी को दिया गया। दिलचस्प तथ्य ये हैं कि इस दौरान यूपी में अखिलेश यादव और 2017 के बाद से बीजेपी की सरकार है लेकिन इस दौरान भी इस कंपनी को आवंटन जारी रहा। रिपोर्ट में जानकारी दी गई कि 31 मार्च 2020 तक ऑथोरिटी के 5,839.96 करोड़ रुपए इस कंपनी पर बकाया हैं।
आरटीआई एक्टिविस्ट और वरिष्ठ अधिवक्ता जगन केलकर के अनुसार, यूपी में पिछले तीन-साढे़ तीन दशक से नोएडा और 50 किलोमीटर के पैरेफिरी में जमीनों की बंदरबांट का खेल चल रहा है। सरकार किसी की भी रही हो पीछे कोई नहीं रहा। इस खेल में नेता-बिल्डर, अफसर, पत्रकार और प्रॉपर्टी डीलर सब शामिल रहे। ये तो एक उदाहरण है, आप नोएडा में जिस जमीन पर हाथ रखो और पड़ताल करो, वहीं झोल है।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया