नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र ) : ब्रिटेन में जो हुआ वो अप्रत्याशित था। पहले अश्वेत और भारतवंशी ऋषि सुनक को कंजरवेटिव पार्टी ने अपना नेता चुन लिया और 28 अक्टूबर को सुनक ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली। ब्रिटेन इस वक्त बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है। वहां की बीमार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ देश में एक स्थिर सरकार की स्थापना की बड़ी चुनौती है। ऋषि सुनक कोविड महामारी के दौर में ब्रिटेन के वित्त मंत्री (चांसलर ऑफ एक्सचेकर ) थे और उन्होंने सफलतापूर्वक इस महामारी से देश को उबारने में अहम भूमिका निभाई। अब उन पर देश की बीमार और बदहाल अर्थव्यवस्था से निपटने का जिम्मा आ पड़ा है।
ऋषि सुनक के इरादे
ऋषि सुनक एक लड़ाके हैं। अभी दो महीने पहले ही प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वे लिज ट्रस से 58 के मुकाबले 42 प्रतिशत वोटों से पिछड़ गए थे। बड़े-बड़े वादे करके सत्ता में आई लिज ट्रस ने डेढ़ महीनों में ही घुटने टेक दिए। पार्टी ने इस बार पिछली बार के रनर अप ऋषि सुनक पर दांव खेला और उन्हें अपना नेता चुन लिया। 357 पार्टी सांसदों में से करीब 200 ने सुनक के पक्ष में अपना मत जताया।
ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले ही ट्वीट में अपने इरादे जाहिर कर दिए। उन्होंने लिखा कि, ब्रिटेन के लिए ये मुश्किल दौर है और आने वाले कल में कठिन फैसलों के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि उनके सामने देश और पार्टी को एकजुट रखने की सबसे बड़ी चुनौती है।
यहां ये जानना बहुत जरूरी है कि, सुनक जब ब्रिटेन के वित्त मंत्री थे तो उनकी नीतियों के चलते देश के आम नागरिक को भी बेहतरीन और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाईं और कोविड महामारी के कठिन दौर से बाहर आने में मदद मिल सकी। वे गरीबों को राहत और अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाने की नीति के समर्थक माने जाते हैं।
हालांकि ब्रिटेन में ऋषि सुनक को अभिजात्य माना जाता है जिसने अमीरी को जिया है और जो ज्य़ादा अमीरों की ही सुनता है। ऋषि सुनक के पत्नी भारत के बड़े उद्योपति और इनफोसिस के सह संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता हैं। उनकी इनफोसिस में हिस्सेदारी है। बताया जाता है कि अक्षता अभी तक भारतीय नागरिक हैं और उन्होंने ब्रिटिश नागरिकता नहीं ली है। इस कारण वे अपनी भारी कमाई पर ब्रिटेन में कोई टैक्स अदा नहीं करती और सुनक के विरोधियों के निशाने पर रहती हैं।
कांटों की राह और चुनौतियों की भरमार
ऋषि सुनक को उनके जुझारू नेतृत्व के लिए जाना जाता है। दबाव में संघर्ष उनके व्य़क्तित्व की खासियत है। ब्रिटेन में इस समय महंगाई चरम पर है। देश पर 40 बिलियन पाउंड का कर्ज है। एक रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि, देश के करीब 14 मिलियन लोग दो समय के खाने के लिए मोहताज हो गए हैं। सर्दियां आने वाली हैं और ब्रिटेन में बिजली के दाम आसमान पर हैं। बिजली इतनी महंगी हो गई है कि वहां घरों को गर्म रख पाना भी बहुत खर्चीला काम हो गया है। अखबारों में कहा जा रहा है कि नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ‘ईटिंग और हीटिंग’ की जंग को जीतने की होगी।
सुनक के लिए एक बड़ी चुनौती अपनी ही पार्टी के विरोधियों को साधने की है। कंजरवेटिव पार्टी को उसके दक्षिणपंथी नजरिए के कारण जाना जाता है। किसी गैर गोरे पर पार्टी का भरोसा अपने आप में विलक्षण है। अपनी रेसिस्ट और पारंपरिक सोच के कारण पिछले चुनावों में लिज ट्रस को सुनक के मुकाबले वरीयता दी गई थी। कंजरवेटिव पार्टी का नजरिया रातों-रात बदल गया हो ऐसा भी नहीं है। ब्रिटेन इस वक्त जैसे हालात से गुजर रहा है दरअसल सभी जानते हैं कि यहां की सत्ता कांटों का ताज है और उस ताज को स्वीकारने की हिम्मत ऋषि ने दिखाई है। उनके मुकाबले वाले उम्मीदवार इतने कमजोर थे कि उनके लिए 25 सांसदों का समर्थन जुटा पाना भी मुश्किल था।
विरोधियों के साथ-साथ मीडिया ट्रायल का भी संकट
ऋषि सुनक गैर गोरे हैं और गोरी चमड़ी वालों के देश में उनका प्रधानमंत्री बनना ही अपने आप में एक चुनौती है। उनके हर काम पर विपक्ष के साथ अपनी पार्टी के विरोधियों और दक्षिणपंथी मीडिया की कड़ी नजर रहेगी। सफल रहे तो ठीक वरना ऋषि की असफलता आगे के गैर ब्रिटिश मूल के राजनेताओं की स्थिति को भी कमजोर करेगी और नजीर सुनक की पेश की जाएगी।
लंदन के सिने इंक के निदेशक और पूर्व में बीबीसी हिंदी सेवा से जुड़े पत्रकार परवेज आलम के अनुसार, ऋषि सुनक के लिए आने वाले दिनों में सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक मोर्चे से जूझने की है। कारोबार को पटरी पर लाना और सरकारी खर्च को नियंत्रण में रखना होगा। संभव है कि कोविड दौर में भारी मुनाफा कमाने वाली बिजली कंपनियों को ज्यादा टैक्स भरना पड़े और बिजली के दाम में राहत देने के लिए दबाव बढ़ाया जाए।
सिने इंक के पत्रकार विजय राणा के अनुसार, ब्रिटेन ब्रैक्सिट से बाहर आ गया है और व्यापार के मोर्चे पर वह अलग-थलग पड़ा है। भारत के साथ कारोबार की असीम संभावनाएं हैं और ब्रिटेन के लिए भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को मजबूत करना उसकी मजबूरी भी है। अब देखना ये होगा कि दोनों देश इन हालात का कैसे फायदा उठा पाते हैं।
मोदी की बधाई और ससुर का आशीर्वाद
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनक को बधाई देते हुए ट्वीट किया है कि, भारत और ब्रिटेन के ऐतिहासिक रिश्तों को आधुनिक साझेदारियों में बांधने का वक्त आ गया है। ऋषि सुनक को बधाई।
विजय राणा कहते हैं कि, प्रधानमंत्री के बधाई संदेश से ही साफ है कि भारत बदली परिस्थितियों में ब्रिटेन के साथ मिल कर काम करना चाहता है।
ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता के पिता और उऩके ससुर भारत में इनफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति का अपने दामाद को बधाई देते हुए किया गया ट्वीट भी कम दिलचस्प नहीं है। उन्होंने लिखा कि, ऋषि को बधाई। हमें आप पर गर्व है। उम्मीद है कि आप अपने देश को अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करेंगे।
42 साल के ऋषि सुनक एक प्रैक्टिसिंग हिंदू हैं। वे अपनी मेज पर हमेशा गणेश जी की मूर्ति रखते हैं। भारतीय त्यौहारों और परंपराओं को निभाना उन्हें पसंद हैं। उऩकी दो बेटियां हैं। उन्होंने ऑक्सफोर्ड और स्टेनफोर्ड से पढ़ाई की है। राजनीति में उऩका अनुभव पुराना नहीं है। देखना ये होगा कि इस नौसिखिए के दांव से ब्रिटेन अपनी समस्याओं के भंवरजाल से कहां तक मुक्त हो पाता है।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया