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संघ प्रमुख ने क्यों कहा, अब किसी मंदिर के लिए आंदोलन नहीं होगा ?

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नागपुर ( गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : देश में सांप्रदायिक वैमनस्यत के बढ़ते माहौल के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि, हम इतिहास को नहीं  बदल सकते। ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा।

संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि संघ आगे मंदिरों को लेकर कोई आंदोलन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि, एक राम जन्मभूमि का आंदोलन था जिसमें हम अपनी प्रकृति के विरुद्ध किसी ऐतिहासिक कारण से उस समय सम्मिलित हुए। हमने उस काम को पूरा किया। अब हमको कोई आंदोलन करना नहीं है। लेकिन अब भविष्य में संघ किसी मंदिर आंदोलन में नहीं शामिल होने वाला है।

संघ प्रमुख ने कहा कि रोज़-रोज़ एक नया मुद्दा नहीं निकालना चाहिए। ठीक है कि ऐसे कुछ प्रतीकात्मक स्थानों के बारे में हमारी कुछ विशेष श्रद्धा थी। लेकिन रोज़ एक नया मामला निकालना, ये भी नहीं करना चाहिए। हमको झगड़ा क्यों बढ़ाना है।

नागपुर में संघ शिक्षा समापन समारोह के दौरान सर संघ चालक ने कहा कि, इस्लाम हमलावरों के जरिए बाहर से आया था। उन हमलों में भारत की आज़ादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया। हिंदू समाज का ध्यान जिन पर है, विशेष श्रद्धा जिन पर है, उसके बारे में मामले उठते हैं। लेकिन हिंदू, मुसलमानों के विरुद्ध नहीं सोचता है। आज के मुसलमानों के उस समय पूर्वज भी हिंदू थे। उन सबको स्वतंत्रता से चिरकाल तक वंचित रखने के लिए उनका मनोधैर्य दबाने के लिए ऐसा किया गया इसलिए हिंदुओं को लगता है कि इन्हें (धार्मिक स्थलों को) पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए।

आरएसएसस प्रमुख ने कहा कि, आपस में मिल बैठ कर सहमति से कोई रास्ता निकालिए। लेकिन हर बार नहीं निकल सकता। इसमें कोर्ट में जाते हैं। जाते हैं तो फिर कोर्ट जो निर्णय देगा उसको मानना चाहिए। अपनी संविधान सम्मत न्याय व्यवस्था को सर्वश्रेष्ठ मानकर, उसके फ़ैसले मानने चाहिए, उनके निर्णयों पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाना चाहिए।

ज्ञानवापी मस्जिद

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि, ज्ञानवापी के बारे में हमारी कुछ श्रद्धाएं हैं परंपरा से चलती आई हैं, हम कर रहे हैं ठीक है। परंतु हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? वो भी एक पूजा है, ठीक है बाहर से आई है। लेकिन जिन्होंने अपनाई है, वो मुसलमान, वो बाहर से संबंध नहीं रखते। ये उनको भी समझना चाहिए। हमारे यहां किसी पूजा का विरोध नहीं है। सबकी मान्यता और सबके प्रति पवित्रता की भावना है। लेकिनgwat,  हम समान पूर्वजों के वंशज हैं। परंपरा हमको समान मिली है।

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