Homeगेम चेंजर्सबाल यौन शोषण के खिलाफ स्पिड ने उठाया जागरूकता फैलाने का बीड़ा

बाल यौन शोषण के खिलाफ स्पिड ने उठाया जागरूकता फैलाने का बीड़ा

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नई दिल्ली, 29 जुलाई ( गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क ) : देश में बच्चे कितनी विकट स्थितियों से गुजर रहे हैं इसका अंदाजा केवल कुपोषण और अशिक्षा के आंकड़ों से नहीं लगाया जा सकता। कुछ ऐसे मामले हैं जहां आंकड़े खामोश हो जाते हैं या फिर उनकी आवाज इतनी कम हो जाती है कि कुछ सुनाई नहीं देता। बच्चों का यौन शोषण ऐसा ही एक मामला है। बच्चों के अधिकार व बाल शोषण के विरुद्ध नेशनल एक्शन कोआर्डिनेशन ग्रुप के माध्यम से स्पिड संस्था, पीपुल्स कल्चरल सेंटर के सहयोग से एक जगरूकता अभियान चला रही है। इसी कड़ी में 27 जुलाई को एक नई दिल्ली में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आंगनवाड़ी, आशा वर्कर्स, सोशल एक्टिविस्ट और मीडियाकर्मी शामिल हुए।

कार्यशाला की शुरुआत  स्पिड के अध्यक्ष व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवधेश यादव ने की। कार्यशाला में दो मुख्य वक्ताओं एजवोकेट स्वाति रॉय और बाल शोषण के विरुद्ध सक्रिय सोशल एक्टिविस्ट और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के पूर्व सदस्य मो. मोहतमिम ने बाल शोषण के विरुद्ध कानूनी प्रावधानों और इस बारे में लोगों को जागरूक करने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

इस अवसर पर, मोहम्मद मोहतमिम ने बताया कि बाल शोषण को रोकने के लिए कानून में पोक्सो एक्ट जैसे विभिन्न प्रवाधानों का उल्लेख है लेकिन इसके बारे में जागरूकता का अभाव है। उन्होंने कहा कि, बच्चों को पोक्सो एक्ट के विषय में अधिक से अधिक जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि बच्चों को बाल यौन से संबंधित शिक्षा भी देनी चाहिए जिससे कि बच्चे बाल यौन जैसे विषयों पर अधिक जानकारी रख सकें व अपने आप को मजबूत बना सकें | मो. मोहतमिम ने निर्भया कांड के बाद बाल कानूनों में आए बदलाव के विषय में भी जानकारियों को कार्यशाला में साझा किया।

एडवोकेट स्वाति रॉय ने कार्यशाला में बताया कि यदि किसी बच्चे के साथ किसी प्रकार का शोषण होता है और यदि कोई वयस्क व्यक्ति बच्चे के साथ शोषण होते हुए देख रहा है या बच्चे ने उस व्यक्ति को उसके साथ होने वाले शोषण के बारे में बताया है और वह व्यक्ति उस बच्चे की सहायता न करते हुए 24 घंटे के भीतर बच्चे के साथ हो रहे शोषण की जानकारी पुलिस में नहीं देता तो वह व्यक्ति भी दोषी माना जाता है और उसके ऊपर कानूनी कार्यवाही की जाती है।

स्वाति रॉय ने इस अवसर पर मीडिया को सलाह दी कि किसी भी बच्चे से संबंधित केस में रिपोर्टिंग करते हुए बच्चे की निजी जानकारी और फोटो को मीडिया में साझा न करें क्योंकि इससे उस बच्चे व परिवार पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि उन्हें मामले की रिपोर्ट लिखते समय आरोपी के विषय में अधिक से अधिक लिखना चाहिए जिससे कि पीड़ित बच्चे को जल्द से जल्द इंसाफ मिल सके। साथ ही उन्होंने बाल शोषण के शिकार बच्चों के लिए मिलने वाले कंपनसेश आदि जैसे विषय में भी मीडिया से जानकारी साझा की |

कार्य़शाला में एनएसीजी के कोऑर्डिनेटर जावेद चौधरी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मीडिया के साथी बाल यौन शोषण से जुड़े मसलों पर संजीदगी से रिपोर्ट लिखेंगे। स्पिड के अध्यक्ष अवधेश यादव ने चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी व चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी के विषय में अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि पिछली कार्यशाला के दौरान कुछ बच्चों ने सुझाव दिया था कि  स्कूल में बने हुए सुझाव बॉक्स मुख्य अध्यापक के कक्ष के पास ऊंचाई पर नहीं लगाए जाने चाहिए ताकि वो बच्चों की पहुंच में रहे और वे खुलकर अपने सुझाव दे सकें।

कार्यशाला के दौरान बच्चों से संबंधित उनके कानूनी अधिकारों व बच्चों के लिए कार्य कर रही संस्थाएं जैसे CWC, DCPU, DCPCR, NCPCR, J. J. Act व POCSO Act व जरूरी हेल्पलाइन नंबर 1098, 112, 181 आदि के बारे में भी जानकारी दी गई। इस मौके पर मीडिया की तरफ से भी कई सुझाव दिए गए और सवाल पूछे गए।

फोटो सौजन्य- स्पिड

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