नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने ये आदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
मुख्य न्य़ायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने जहांगीरपुरी में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए गुरुवार को मामले की सुनवाई के आदेश दिए। न्यायमूर्ति रमन्ना ने कहा कि, यथास्थिति बनाए रखें। मामले को कल किसी उपयुक्त बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाए।
इससे पहले. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि जहांगीरपुरी में इस समय बुलडोज़र से कार्रवाई की जा रही है और उसे तुरंत रोका जाना चाहिए क्योंकि ये क़दम असंवैधानिक और ग़ैर-क़ानूनी है। दवे ने कहा कि, इस मामले में कोई नोटिस देने की ज़रूरत नहीं है। हमने अर्ज़ी दी है। मैं अदालत से तुरंत मामले की सुनवाई की दरख़्वास्त करता हूं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर राजा इक़बाल सिंह ने कहा कि अदालत के आदेश का पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि, हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानेंगे उसके अनुसार ही कार्रवाई होगी। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर संजय गोयल ने कहा है कि उन्हें अदालत के आदेश के बारे में जानकारी मिली है और वे आदेश को पढ़ने के बाद उस पर उपयुक्त अमल करेंगे।
इससे पहले, बुधवार सुबह नगर निगम की टीम भारी सुरक्षा के बीच जहांगीरपुरी पहुंची और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू की। हनुमान जयंती के अवसर पर हुई यहां निकली शोभा यात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। उसके बाद से ही इलाक़े में तनाव बरक़रार है। पुलिस ने गिरफ़्तारियां की हैं और मामले की जांच जारी है।
आपको बता दें कि, इस मामसे में कुछ लोगों की गिरफ्तारियां की गई हैं और उन पर गंभीर धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को पत्र लिखकर इलाके में अवैध निर्माण की पहचान कर उसे बुल्डोज़र से गिराने की मांग की थी।
कई नागरिक संगठनों ने एमसीडी की इस कार्रवाई को मनमाना और कानून का मजाक बताया है। कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंच गया।
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