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हेट स्पीच से सुप्रीम कोर्ट चिंतित…क्यों कहा, अंकुश लगाने की जरूरत….

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नई दिल्ली 11 अक्टूबर ( गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ एजेंसी ) : देश में हेट स्पीच के कारण बन रहे नफरती माहौल पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है और कहा है कि इस तरह की भड़काऊ बयानबाजी पर लगाम लगाना बहुत जरूरी है। शीर्ष अदालत की ये टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने की।

याचिका हरप्रीत मनसुखानी ने दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि, देश में अल्प संख्यक समुदाय के खिलाफ बहुसंख्यक हिंदू वोट की राजनीति, सत्ता हथियाने और नरसंहार करने के अलावा भारत को 2024 के चुनाव के पहले एक हिंदू राष्ट्र बनाने के मकसद से नफरती माहौल बनाया जा रहा है और भाषण दिए जा रहे हैं।

याचिका में दलील दी गई कि कुछ राजनीतिक दलों ने नफरती भाषणों को लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया है और सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। याचिका में आरोप लगाया गया कि उत्तराखंड के हरिद्वार में पिछले साल 17 से 19 दिसंबर तक और दिल्ली में पिछले साल 19 दिसंबर को आयोजित ‘धर्म संसद’ में भड़काऊ भाषण दिए गए थे।

शीर्ष अदालत ने क्या कहा ?

याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि, आप ये कहने में सही हो सकते हैं कि नफरत भरे भाषणों के कारण पूरा माहौल खराब हो रहा है और उन पर अंकुश लगाने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि, अदालत के पास ऐसे मामलों का विवरण नहीं है कि वे कब दर्ज किए गए थे। अदालत ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता नफरत भरे भाषणों के विशेष मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है,  मसलन उनमें क्या हुआ और अधिकारियों द्वारा कदम उठाए गए या नहीं।

पीठ ने कहा कि नफरत भरे भाषणों के 58 मामले हैं। अदालत को एक अस्पष्ट विचार देने के बजाय, याचिकाकर्ता फौरी मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे मामलों में संज्ञान लेने के लिए अदालत को तथ्यामत्क पृष्ठभूमि की जरूरत है। अदालत ने कहा कि हमें कुछ उदाहरण चाहिए नहीं तो ये बिना किसी सिरे की याचिका जैसा मामला नजर आता है।

आपको बता दें कि, शीर्ष अदालत की चिंता जताने से पहले भारत में हाल के दिनों की ऐसी कई गतिविघियों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में खासी चर्चा हुई। पहले हरिद्वार में हुई ‘धर्म संसद’ में मुसलमानों के नरसंहार की अपील और उसके बाद एक ऐप बनाकर उस पर मुस्लिम महिलाओं की नीलामी की कोशिश जैसी घटनाओं पर तीखी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया देखी गई।

इसी साल, अमेरिका ने 2021 में भारत में धार्मिक हमले को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट कहती है कि साल भर में भारत सरकार ने अपने हिंदू-राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के अनुरूप  कई नीतियां अपनाई हैं जो मुसलमान, ईसाई, सिख, दलित और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम कर रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार व्यवस्थागत तरीके से मौजूदा और नए कानूनों के जरिए अपने हिंदू-राष्ट्रवाद के दर्शन को आगे बढ़ाने पर काम कर रही है।

बीजेपी सांसद का हालिया बयान

अभी दो दिनों पहले 9 अक्टूबर को दिल्ली में एक सभा में पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के एक कार्यक्रम में समुदाय विशेष के खिलाफ बयान पर खासा बवाल हुआ था। पुलिस ने कार्यक्रम के आयोजकों पर तो मामला दर्ज कर लिया लेकिन सांसद और वहां मौजूद नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

रिपोर्ट तलब की

इसी तरह के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और उत्तराखंड की सरकारों को तथ्यात्मक पहलुओं और दो अलग-अलग धार्मिक आयोजनों की शिकायतों के बाद उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। आरोप है कि इन आयोजनों में कथित रूप से नफरत भरे भाषण दिए गए। कोर्ट ने कथित ‘धर्म संसद’ के आयोजनों में की गई कार्रवाई पर हलफनामा दाखिल करने को कहा। उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार धर्म संसद के बाद विवाद खड़ा होने पर पनपे दबाव के बाद मामला दर्ज किया था।

फोटो सौजन्य-सोशल मीडिया

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