लखनऊ (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिजली संकट पैदा होने वाला है ? भीषण गर्मी का दौर अभी शुरू ही हुआ है कि उत्तर प्रदेश में हरदुआगंज पावर प्लांट की सबसे बड़ी 660 मेगावाट की यूनिट बायलर ट्यूब लीकेज के कारण बंद हो गई है। जापानी कंपनी तोशिबा ने इस यूनिट को तैयार किया था और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने चार महीने पहले ही इस यूनिट का उद्घाटन किया था। इस घटना के बाद तोशिबा की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। तकनीकी खराबी आने से पहले से ही ये पॉवर प्लांट कोयले की किल्लत से जूझ रहा था।
विधानसभा चुनाव से पहले योगी आदित्य नाथ ने किया था उद्घाटन
उत्तर प्रदेश में फऱवरी और मार्च के महीनों में विधानसभा चुनाव कराए गए थे और उससे पहले, हरदुआगंज पॉवर प्लांट का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने बड़े जोर-शोर के साथ किया था। 1270 मेगावॉट की उत्पादन क्षमता वाले इस प्लांट को लेकर बढ़चढ़ कर कई दावे किए गए थे।
कोयले की कमी या तकनीकी खराबी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 1270 मेगावॉट उत्पादन क्षमता वाली इस परियोजना से फिलहाल मात्र 290 मेगवॉट बिजली का उत्पादन हो रहा था। इस साल, अप्रैल की शुरुआत में भीषण गर्मी से बिजली की मांग बढ़ गई। पिछले 38 साल में इस साल अप्रैल के महीने में बिजली की मांग सबसे ज्यादा रही। कोयला संकट के कारण जहां अक्टूबर माह में बिजली की कमी 1.1 फीसदी रही, वहीं अप्रैल के पहले पखवाड़े में ये 1.4 फीसदी थी। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, झारखंड, हरियाणा में 3 से 8.7 फीसदी तक बिजली कटौती हो रही है।
अगर मानकों का बात की जाए विभिन्न थर्मल पॉवर प्लाटों में रिजर्व कोयले का बंदोबस्त रहता है ताकि कोयले की कमी से पॉवर प्लांट की उत्पादन क्षमता पर असर न पड़े। नियमों के अनुसार हरदुआगंज के इस पॉवर प्लांट में भी कम से कम 26 दिनों के कोल रिजर्व का प्रावधान है।
क्या कहते हैं मंत्री जी
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने कोयला संकट के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आयातित कोयले की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी के साथ-साथ बिजली स्टेशनों पर कोयले के परिवहन के लिए रेलवे वैगनों की कमी को जिम्मेदार ठहराया है।
और राज्य भी खतरे की जद में
बिजली संयंत्रों को गर्मी में बढ़ती मांग के बीच पर्याप्त मात्रा में कोयले की आपूर्ति न होने से देश के कई राज्यों को बिजली की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। एसएंडपी के मुताबिक रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में तेजी बनी हुई है। इसके कारण आपूर्ति संकट भी गहरा गया है। आपूर्ति बाधा और कीमतों में तेजी के बीच यूरोप में कोयले की मांग बढ़ गई है, जिससे कोयले का आयात महंगा हो गया है।
एसएंडपी का कहना है कि अप्रैल में कोयले का भंडार अक्टूबर 2021 के कोयला आपूर्ति संकट के समान होता जा रहा है, जब देश के 115 बिजली संयंत्रों का कोयला भंडार आपात स्तर से कम हो गया था। महाराष्ट्र राज्य बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड ने गत 31 मार्च को नोटिस जारी कर कहा था कि राज्य में कृषि क्षेत्र की बिजली आपूर्ति में अस्थायी रूप से कटौती की जाएगी। इसी तरह, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, हरियाणा और झारखंड में भी आपूर्ति संकट देखा गया। कोल इंडिया ने 28 मार्च को बताया था कि एक अप्रैल तक उसका कोयला भंडार छह करोड़ मीट्रिक टन से अधिक हो सकता है। ये गत साल की समान अवधि की तुलना में 39.39 प्रतिशत कम है। बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार 28 मार्च को 25.5 मिलियन मीट्रिक टन था, जो गत साल की तुलना में करीब 13 फीसदी कम है।
फोटो सौजन्य-सोशल मीडिय़ा