यूपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती…निवेश के वायदे सिर्फ कागजी न रह जाएं….

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लखनऊ (गणतंत्र भारत के लिए हरीश मिश्र) : एक ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य और उत्तर प्रदेश को देश के विकसित राज्यों की कतार में खड़ा करने के उद्देश्यों के साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट का शुभारंभ हो गया। अगले तीन दिनों तक चलने वाली इस समिट में देश-विदेश के तमाम बडे निवेशक हिस्सा ले रहे हैं। समिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

सवाल ये कि, इस समिट से उत्तर प्रदेश को जमीनी स्तर पर क्या हासिल होने वाला है और क्या ऐसे आयोजनों से वास्तव में उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य की अपनी छवि से उबर पाएगा ?

अब तक किसने क्या कहा ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि, मैं मुख्य अतिथि तो हूं ही पर यूपी का सांसद भी हूं इसलिए मैं यहां आप सबका स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि, लोग पहले कहते थे कि यूपी का विकास नहीं हो सकता लेकिन आज उत्तर प्रदेश की पहचान पांच-पांच अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों से है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से यूपी सीधे समुद्र के रास्ते से गुजरात से जुड़ेगा। उन्होंने कहा कि, आज उत्तर प्रदेश की पहचान बेहतर कानून व्यवस्था, शांति और स्थिरता से है। उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर की पहल के परिणाम नजर आ रहे हैं। सिर्फ छह साल में उत्तर प्रदेश आशा और उम्मीद की किरण बन गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि, निवेशकों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, हरित विकास और सामाजिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में बेहतरीन अवसर हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि, यूपी इन्वेस्टर्स समिट 2023 में प्रदेश में निवेश के लिए 18643 एमओयू साइन हुए हैं। इससे प्रदेश में 29 लाख 92 हजार करोड़ के निवेश का रास्ता खुला है और इसके कारण 92 लाख 50 हजार से अधिक नौकरी व रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि, यूपी के इतिहास में ये पहला अवसर है कि जब एक साथ यूपी के सभी 75 जनपदों में निवेश हो रहा है। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने के साथ -साथ देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को पूरा करेगी।

उद्योगपतियों को भाया यूपी

आदित्य बिरला ग्रुप के चैयरमेन कुमार मंगलम बिरला ने कहा कि, सरकार ने ईज आफ डूइंग बिजनेस के लेकर कई नए कदम उठाए हैं। इसके कारण ये राज्य निवेशकों की पहली पसंद बन गया है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी ने कहा कि, यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट विकास का महाकुंभ है। लखनऊ पुण्यनगरी है, लक्ष्मण की नगरी है। यूपी पुण्यभूमि है, भगवान रामचंद्र की भूमि है। गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम की भूमि है। उन्होंने यूपी में 75 हजार करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की जिससे 1 लाख से अधिक रोजगार पैदा होंगे।

निवेशकों का जमावड़ा

ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में देश के बड़े उद्योगपतियों के अलावा 13 देशों के प्रमुख उद्योगपति हिस्सा ले रहे हैं। इनमें कनाडा, जापान, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, थाईलैंड, मैक्सिको, ब्राजील, नीदरलैंड, बेल्जियम और अर्जेंटीना शामिल हैं। इन देशों के अलावा भारत के तमाम उद्योगपति भी समिट में हिस्सा लेकर यूपी में निवेश के लिए सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करेंगे। इसमें रिलायंस ग्रुप से मुकेश अंबानी, टाटा समूह से एन चंद्रशेखरन और बिड़ला ग्रुप से कुमार मंगलम बिड़ला जैसे उद्योगपति भी शामिल हैं।

विदेशों से निवेश लाने की कोशिश में इन्वेस्टर समिट में 13 देशों की 300 से ज़्यादा कम्पनियां हिस्सा ले रही हैं। इनमें प्रमुख रूप से एप्पल, गूगल, वॉलमार्ट, अमेजॉन, रोल्स रॉयस, सुजकी, जॉनसन एंड जॉनसन, फाइजर, मर्सिडीज आदि शामिल हैं।

यूपी सरकार ने सिर्फ देश या विदेश से ही नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर से भी निवेश लाने के भरसक प्रयास किय़ा है। इसके लिए मंडल और ज़िला स्तर पर भी इन्वेस्टर समिट करके छोटे निवेशकों से निवेश कराने के लिए आयोजन किए जा रहे हैं। अगर योगी आदित्यनाथ की निवेश की ये कोशिश सफ़ल हुई तो आने वाले दिनों में यूपी देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभर सकता है।

सवाल यूपी में भरोसे का है

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में अब तक 22 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्‍ताव आ चुके हैं। लक्ष्य है कि निवेश के मसौदे पर 25 लाख करोड़ तक के एमओयू साइन हो जाएं ताक़ि अधिक से अधिक निवेश उत्तर प्रदेश में आ सके। माना जा रहा है कि अगर सरकार और निवेशकों में हुआ समझौता अमल में आ सका तो इससे यूपी की अर्थ व्यवस्था को पंख तो लगेंगे ही साथ ही लाखों-लाख रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

योगी ने खुद संभाली कमान

योगी आदित्यनाथ के शासन के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही सरकार ने निवेश को बढाने की दिशा के काम शुरू कर दिया था। सरकार के कई बड़े मंत्री और आधिकारियों ने देश के प्रमुख शहरों के अलावा क़रीब दर्जन भर दूसरे देशों में जाकर निवेश के लिए बात की। ख़ुद योगी आदित्यनाथ ने भी निवेशकों को भरोसा दिलाने की भरपूर कोशिश की कि उत्तर प्रदेश अब बीमारू यूपी नहीं रहा। योगी आदित्यनाथ बेहतर कानून व्यवस्था, बेहतर होते इंफ्रास्ट्रक्चर, सरकारी रियायतों और उद्योगपतियों को निवेश के लिए सिंगल विंडो सिस्टम देने की बात निवेशकों से कह कर ये भरोसा दिलाते रहे हैं कि निवेशक के लिए यूपी में निवेश घाटे का सौदा साबित नहीं होगा।

चुनौतियां भी कम नहीं

यूपी में निवेश के कहानी का एक दूसरा पहलू भी है। उत्तर प्रदेश में निवेश के दावे तो काफी लंबे चौड़े होते रहे हैं लेकिन असली चुनौती उन निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने की है। हालांकि, इस बारे में कोई बहुत पुष्ट जानकारियां तो उपलब्ध नहीं हैं लेकिन फिर भी दावा किया जा रहा है कि पहले के निवेश प्रस्तावों का सिर्फ 40 फीसदी ही असल में कार्यान्वित हो पाया है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव भी कुछ इसी तरह का दावा कर रहे हैं।  समाजविज्ञानी डॉ. पी. कुमार के अनुसार, उतर प्रदेश की असली चुनौती उसकी अपनी खुद की छवि से लड़ाई की है। राज्य में औद्योगिक माहौल के संसाधन तो पूरे उपलब्ध हैं लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ जमीनी स्तर पर माहौल में परिवर्तन दिखना भी जरूरी है। शायद तभी ये कागजी निवेश, हकीकत में तब्दील हो पाएगा।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया 

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