न्यूज़ डेस्क (गणतंत्र भारत) नई दिल्ली : देश में पुलिस सुरक्षा सोशल स्टेटस का सिंबल है या वास्तव मे उसका बड़ा ताल्लुक वीआईपी सुरक्षा से है। ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डवलपमेंट के हालिया आंकडों को देखें तो चौंकाने वाली बातें निकल कर सामने आई हैं। बिहार में तो गजब ही हालत है वहां साल 2018 में करीब 4600 वीआईपी थे जो देश में सबसे ज्यादा थे। 2019 में इस संख्या में 50 फीसदी की कटौती कर दी गई तब जाकर वहां 2300 लोगों को वीआईपी सुरक्षा मुह्य्या कराई गई है। इस काम में राज्य के हजारों पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे में एक रिपोर्ट छापी है जिसमें बताया गया है कि बंगाल, बिहार और पंजाब जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा पुलिसकर्मियों को वीआईपी सुरक्षा के काम में लगाया गया है जबकि आतंकवाद और हिंसा प्रभावित राज्यों जैसे कि छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों में वीआईपी सुरक्षा के नाम पर बहुत ही कम पुलिसकर्मियों की तैनाती है।
ब्यूरो ने साल 2019 के आंकडों को जारी करते हुए बाताया है कि, 66000 पुलिसकर्मी 19000 लोगों की सुरक्षा में लगाए गए हैं। इन लोगें में मंत्री, सांसद, विधायक, जज और अफसर शामिल हैं। ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा करीब 3000 लोगों को पुलिस सुरक्षा दी गई है जबकि पंजाब में ये आंकड़ा 2500 लोगों का है। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ राज्य में सिर्फ 315 लोगों को पुलिस सुरक्षा मुहय्या कराई गई है।
दिल्ली में सिर्फ 501 लोगों को वीआईपी सिक्योरिटी दी गई है लेकिन यहां इस काम में 8 हजार से ज्यादा पुलसिकर्मी लगाए गए हैं जो देश में सबसे ज्यादा हैं।
बंगाल में वीआईपी बढ़े
ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में साल 2019 में कुल 3142 लोगों को वीआईपी सुरक्षा उपलब्ध कराई गई जो पिछले साल के मुकाबले करीब 13 प्रतिशत ज्यादा है। राज्य़ मे वीआईपी सुरक्षा के काम में कुल 6000 पुलिसकर्मियों को लगाया गया। पंजाब में 2600 लोगों को वीआईपी सुरक्षा दी गई और करीब 7700 पुलिसकर्मियों को इस काम में लगाया गया। बिहार में कुल 2300 लोगों को वीआईपी सुरक्षा दी गई। आश्चर्य की बात ये है कि बिहार में ये आंकड़ा तब है जबकि वहां साल 2018 के मुकाबले वीआईपी सुरक्षा दिए जाने के के मामलों में करीब 50 फीसदी की कटौती कर दी गई थी। साल 2018 में बिहार में वीआईपी सुरक्षा के दायरे मं कुल 4600 वीआईपी आते थे।
यहां ध्यान देने योग्य बात ये है कि, साल 2018 के मुकाबले वीआईपी सुरक्षा हासिल करने वाले लोग की संख्या में कमी की गई है और साल 2018 के 21300 मामालों के मुकाबले 2019 में ये संख्या घटकर 19467 हो गई है। वहीं, इस दौरान वीआईपी सरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या घटने के बजाए बढ़ गई है। पहले कुल 63061 पुलिसकर्मी वीआईपी सुरक्षा में लगे थे जो साल 2019 में बढ़कर 66043 हो गए। इसका सीधा सा मतलब है कि वीआईपी सुरक्षा का स्तर बढ़ाया गया है।
हिंसा प्रभावित राज्यों में वीआईपी कम
आश्चर्यजनक रूप से जम्मू-कश्मीर, असम, मणिपुर और छत्तीसगढ़ जैसे आतंकवाद और हिंसा प्रभावित राज्यों में वीआईपी सुरक्षा के मामले काफी कम हैं। जम्मू-कश्मीर में साल 2019 में कुल 1184 लोगों को वीआईपी सुरक्षा उपलब्ध कराई गई और इस काम में कुल 3000 पुलिस कर्मियों को लगाया गया। असम में 1199 लोगों को वीआईपी सुरक्षा दी गई और 4000 पुलिसकर्मियों को इस काम में लगाया गया। मणिपुर में 200 वीआईपी के लिए करीब 2000 पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया जबकि छत्तीसगढ़ में 315 वीआईपी के लिए कुल 2700 पुलिसकर्मियों को वीआईपी सुरक्षा में तैनात किया गया।
जिन राज्यों में सबसे कम वीआईपी सुरक्षा के मामले रहे उनमें गोवा में 32, उड़ीसा में 48 और केरल में सिर्फ 57 मामले थे।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया