नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए शोध डेस्क ) : रुपया आज अब तक के अपने इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 80 तक पहुंच गई। यानी अगर आपको एक डॉलर लेना है तो उसके लिए आपको 80 रुपए देने होंगे। जब साल 2022 की शुरुवात हुई थी तब रुपए की कीमत एक डॉलर के मुकाबले करीब 74 रुपए थी। तब से लेकर अब तक इसमें करीब 7 से 8 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। विशेषज्ञों की मानें तो रुपया कमजोर होकर बहुत जल्दी 82 के पार चला जाएगा। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रुपए की मौजूदा दर 80.02 पैसे है।
आपको लगता होगा कि अंतर्राष्ट्रीय़ बाजार में डॉलर और रुपए की कीमत कोई बौद्धिक चर्चा का विषय है इससे आम आदमी को क्या फर्क पड़ता है ? इस आलेख में गणतंत्र भारत यही समझाने का प्रयास करेगा कि रुपए की गिरती कीमत किस तरह से एक आम भारतीय को प्रभावित करती है ?
आयात पर ज्यादा पैसा खर्च
कमजोर रुपया होगा तो अंतर्ऱाष्ट्रीय बाजार से माल खरीदने की स्थिति में ज्यादा खर्च करना पड़ेगा यानी आपको एक ही उत्पाद के लिए ज्यादा रुपए खर्च करने होंगे। उदाहरण के लिए अगर आप कोई विदेशी उत्पाद 10 डॉलर में खरीद रहे हैं तो उसके लिए आपको 800 रुपए अदा करने होंगे जबकि जनवरी में यही काम 740 रुपए में हो जाता। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रुपए की कीमत में गिरावट का मौजूदा ट्रेंड अभी और जारी रहेगा और संभव है कि आने वाले वक्त में रुपया और कमजोर हो। विदेश से आयातित सामान और महंगा हो जाएगा।
ईंधन यानी पेट्रोल – डीजल और महंगा
भारत अपनी पेट्रोल और डीजल की 80 प्रतिशत से ज्यादा की जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर करता है। उसे इस ईंधन की खरीद का भुगतान रुपए की कीमत के अनुपात में करना होता है। अगर अंतर्राष्ट्रीय बाजार से भारत को कच्चा तेल खरीदना है तो उसे आज की कीमत पर भुगतान करना होगा, रुपया ज्यादा खर्चा होगा और ज्यादा रुपया खर्च कर लाया गया तेल तो महंगा होगा ही। यानी हमें और आपको पेट्रोल और डीजल और महंगा खरीदना होगा।
महंगाई दर में बढ़ोतरी
डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने का सीधा सा असर महंगाई पर पड़ता है जिससे हमारा आपका सबसे ज्यादा पाला पड़ता है। महंगाई बढ़ने का सीधी असर बाजार में मांग पर पड़ता है। लोग पहले के मुकाबले कम खरीदारी करते हैं या अपनी जरूरतों को सीमित करते हैं। जनता के पास महीने के खर्च के लिए वो पैसा होता है जिससे पहले के मुकाबले ज्यादा महंगी चीजों को खरीदना है।
विदेश में शिक्षा और विदेश यात्रा और महंगी
भारत के बहुत से बच्चे विदेश में शिक्षा ले रहे हैं या उनकी इच्छा है कि वे विदेश में जाकर पढ़ाई करें। रुपया कमजोर होने से उन्हें अब ज्यादा पैसा खर्चना होगा। उदाहरण के लिए अगर आपका बच्चा अमेरिका में पढ़ रहा है और उसके लिए आपको हर महीने खर्च के लिए 1000 डॉलर भेजने पड़ते हैं तो साल की शुरुवात में जहां आपको 74 हजार रुपए देने पड़ते इस समय आपको 80 हजार से ज्यादा का भुगतान करना होगा।
इसी तरह से, विदेश यात्रा की इच्छा रखने वालों को भी रुपए की कमजोरी की मार झेलनी पड़ेगी। विदेश जाएंगे तो हवाई टिकट से लेकर वहां होटल और घूमने टहलने तक का खर्च बढ़ जाएगा। भुगतान डॉलर या स्थानीय करेंसी में करना होता है और अगर रुपया कमजोर है तो जितना डॉलर खर्चेंगे उतना ज्यादा रुपया देना होगा।
क्यों कमजोर हो रहा है रुपया ?
अगर सरल भाषा में समझा जाए तो डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी की वजह रुपए के मुकाबले डॉलर की मांग का ज्यादा होना है। लेकिन समझने वाली बात ये है कि आखिर रुपए की मांग कमजोर क्यों है ?
दो खास वजहें हैं, पहली, भारतीय पहले के मुकाबले अंतर्राष्ट्रीय बाजार को निर्यात कम कर रहे हैं लेकिन आयात ज्यादा कर रहे हैं। इसका एक और मतलब हुआ कि विदेशी मुद्रा देश से बाहर ज्यादा जा रही है और आ कम रही है।
दूसरी वजह, भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार घटता निवेश। 2022 की शुरुवात के साथ ही विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से अपना पैसा निकालने में लगे हैं। इसकी वजह, भारत के मुकाबले अमेरिका में ब्याज दरों में तेजी से बढ़ोतरी को माना जा रहा है। अमेरिका ने तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति से बाजार में मची अफरातफरी से निपटने के लिए ब्य़ाज दरों में जमकर बढ़ोतरी की है जिसके कारण निवेशकों के लिए वो पसंदीदा देश बन गया है। भारत में निवेश घट रहा है तो रुपए की मांग भी घट रही है और रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है।
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