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श्रीलंका का ह्म्बन टोटा पोर्ट भारत के लिए क्य़ों बना एक बड़ा ‘टोटा’?

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नई दिल्ली 10 अगस्त (गणतंत्र भारत के लिए  सुहासिनी ) :  चीन ने श्रीलंका के आग्रह के बावजूद कथित तौर पर अपने रिसर्च पोत यूआन वांग 5 को लेकर की गई भारत की आपत्ति को खारिज कर दिया है। भारत ने इस चीनी पोत के श्रीलंका के हम्बन टोटा पोर्ट पर आने के लेकर नाराजगी जताई थी। भारत ने आशंका व्यक्त की थी कि चीन इसका इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए कर सकता है। श्रीलंका के मौजूदा हालात को देखते हुए भारत की आपत्ति और संजीदा हो जाती है।

चीन का ये पोत 11 से 17 अगस्त की अवधि में हम्बन टोटा पोर्ट पर रहने वाला है और वो चीन से रवाना हो चुका है। भारत की आपत्ति के बाद श्रीलंका ने चीन से अनुरोध किया था कि यूआन वांग 5 के हम्बनटोटा आने की योजना को अभी टाल दिया जाए।

सुरक्षा विश्लेषकों ने कई समाचार एजेंसियों से बातचीत में बताया है कि यूआन वांग 5 चीन का स्पेस ट्रेकिंग शिप है और इसका इस्तेमाल सैटेलाइट निगरानी के अलावा रॉकेट और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चिंग में किया जाता है।

चीन का क्या कहना है ?

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन कहा कि, चीन इस मामले दो बिंदुओं की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहता है। पहला, श्रीलंका हिन्द महासागर क्षेत्र में ट्रांसपोर्टेशन हब है। वैज्ञानिक शोध से जुड़े पोत कई देशों, जिनमें चीन भी शामिल है, श्रीलंका ईंधन भरवाने जाते हैं। चीन हमेशा से नियमों के मुताबिक़ समुद्र में मुक्त आवाजाही का समर्थन करता रहा है। हम तटीय देशों के क्षेत्राधिकार का सम्मान करते हैं। पानी के भीतर वैज्ञानिक शोध की गतिविधियां भी चीन नियमों के तहत ही करता है। दूसरी बात, ये कि श्रीलंका एक संप्रभु देश है। विकास से जुड़े आधार पर श्रीलंका के पास अधिकार है कि वो दूसरे देशों के साथ संबंध विकसित करे। ये पूरी तरह से अनुचित है कि कोई देश कथित सुरक्षा चिंता का हवाला देकर श्रीलंका पर दबाव डाले। श्रीलंका अभी राजनीतिक और आर्थिक संकट में फंसा हुआ है। ऐसे में श्रीलंका के आंतरिक मामलों और दूसरे देशों के साथ संबंधों में हस्तक्षेप से स्थिति और ख़राब होगी। ये अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है।

चीनी प्रवक्ता ने कहा कि, हम इस मामले से जुड़े पक्षों से कहना चाहते हैं कि चीन का समंदर में शोध पूरी तरह से तार्किक है और कोई चोरी-छुपे नहीं है। चीन और श्रीलंका के बीच सामान्य सहयोग को बाधित करने की कोशिश बंद होनी चाहिए।

भारत को क्या है परेशानी ?

कर्ज न चुका पाने के कारण श्रीलंका ने हम्बन टोटा पोर्ट को चीन को 99 साल की लीज़ पर सौंप दिया है। भारत को चिंता है कि भारतीय समुद्र तट से महज 50 किलोमीटर दूर स्थित इस पोर्ट का इस्तेमाल चीन भारत के सुरक्षा हितों के खिलाफ कर सकता है। 1.5 अरब डॉलर का हम्बनटोटा पोर्ट एशिया और यूरोप के मुख्य शिपिंग रूट के पास है।

मौजूदा दौर में श्रीलंका गहरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। एजेंसी की खबरों के अनुसार, इस वक्त चीन से चार अरब डॉलर की मदद को लेकर उसकी बातचीत चल रही है। भारत ने भी श्रीलंका की करीब 3,5 अरब डॉलर की मदद की है। ऐसे में श्रीलंका न तो भारत को और न ही चीन को नाराज करना चाह रहा है। लेकिन उसके लिए बीच का रास्ता निकालना भी खासा मुश्किल है।

चीन, श्रीलंका को क़र्ज़ देने वाले सबसे बड़े देशों में से एक है और उसने श्रीलंका में भारत की मौजूदगी कम करने के लिए रोड, रेल और एयरपोर्ट में भारी निवेश किया है।

आपको बाता दें कि, पिछले साल भी भारत ने जाफना में एक चीनी कंपनी के अक्षय ऊर्जा परियोजना लगाने को लेकर आपत्ति जताई थी।

फोटो सौजन्य – सोशल मीडिया

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