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जानिए, यूक्रेन पर भारत का रुख आखिर क्यों आया सवालों के घेरे में ?

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क ) : यूक्रेन पर रूस के हमले के बादल भारत पर भी नजर आने लगे हैं। भारत सरकार ने पड़ोसी देशों के रास्ते कुछ छात्रों को यूक्रेन से निकालने में सफलता हासिल की है लेकिन अभी भी बहुत से छात्र वहां फंसे हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के रुख से यूक्रेन के आम लोगों में भारत के खिलाफ नाराजगी देखने को मिल रही है। ऐसी खबरें मिल रही हैं यूक्रेन की सीमा पर भारतीय छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किय़ा जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताजा हालात पर विचार के लिए एक उच्च स्तरीय़ बैठक की है। एजेंसी के खबरों में बताया गया है कि कुछ मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा जा सकता है ताकि भारतीय छात्रों को वहां के रास्ते भारत लाने के काम में तेजी लाई जा सके।

यूक्रेन संकट का असर भारत के शेयर बाजार में भी देखा जा रहा है। सोमवार को बाजार खुलते ही शेयर बाजार में 750 अंकों की तेज गिरावट देखी गई।

भारत के कदम पर देश में बहस

भारत ने सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ वोट देने से बचते हुए यूक्रेन संकट पर तटस्थ रुख अपनाया। रूस ने भारत के कदम का स्वागत किया लेकिन साथ ही ये भी कहा कि उसे भारत से और अधिक सक्रिय समर्थम की उम्मीद है।

नाटो, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के कई देशों ने भारत के कदम पर असंतोष जाहिर किया। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की।

इधर, देश में ही यूक्रेन संकट पर भारत के रुख को लेकर बहस छिड़ गई है। बहुत से लोग ये मान रहे हैं कि भारत के इस कदम के दूरगामी परिणाम देश के हित में नहीं होंगे और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत अपनी गरिमा को खो रहा है।

पूर्व प्रधनमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में एक लेख लिख कर नरेंद्र मोदी सरकार के कदम को उचित ठहराया है। उन्होंने अपने लेख में लिखा है कि नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय विवादों में तटस्थता की नीति को अपना कर बहुत कुछ वैसा ही किया है जैसा पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था।      

क्य़ा है ताजा स्थिति

यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जे के लिए रूसी सेनाओं ने शहर के करीब ही डेरा जमा रखा  है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने स्पष्ट किया है यूक्रेन रूस से बातचीत के लिए तैयार है लेकिन बातचीत के लिए कोई शर्त नहीं मानी जाएगी।

इस बीच, पश्चिमी देशों के दबाव को देखते हुए रूस ने परमाणु हाथियारों के इस्तेमाल के लिए सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट मोड मे डाल दिया है। वाशिंगटन पोस्ट ने अमेरिकी प्रशासन के एक अधिकारी के हवाले से कहा कि, बेलारूस में सैनिकों की तैनाती सोमवार से शुरू हो सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बयान में कहा है कि अमेरिका ने रूस के खिलाफ सभी तरह के विकल्पों को खुला रखा है जिसमें सैन्य विकल्प भी  शामिल है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस ज़ॉनसन ने एक बयान में कहा कि, वो यूक्रेन को रक्षात्मक हथियारों की सप्लाई के काम को जारी रखेगा और साथ ही इस काम में सक्रिय दूसरे देशें की मदद भी करेगा।

कनाडा ने दावा किया है कि रूस ने प्रतिबंधों के बावजूद उसके एयर स्पेस का उल्लंघन किया है। रूसी एयरलाइंस एयरोफ्लोट ने मायामी से मास्को की अपनी उड़ान में कनाडा के एयरस्पेस का इस्तेमाल किया।

दुनिया के देशों में विरोध प्रदर्शन

यूक्रेन में रूस के कदम के खिलाफ राजधानी मास्को में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली में भी रूस के हमले के विरोध में प्रदर्शन किया जा रहा है।  संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन के हालात पर विचार के लिए फिर से आपात बैठक बुलाई है।

फोटो सौजन्य – सोशल मीडिया  

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