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क्या सरकार को इंटरनेट से डर लगता है ? सबसे ज्यादा शटडाउन भारत में..

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए शोध डेस्क) : पटियाला में सांप्रदायिक विवाद के बाद कर्फ्यू लगा और इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया। हिंसा के बाद कश्मीर में तो आए दिन ऐसा होता रहता है। धारा 370 हटने के बाद साल भर तक कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं बंद रखी गईं। देखा गया कि चुनाव, प्रदर्शन, हिंसा और एहतियात के कारणों का हवाला देकर  इंटरनेट सेवाएं ज्यादा बाधित रखी गईं। लेकिन सूचनाओं के स्वतंत्र प्रवाह के इस दौर में इंटरनेट सेवाओं का इस तरह से बाधित होना सरकारी कार्यशैली और पारदर्शिता पर प्रश्न खड़े करता है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट शटडाउन के मामले में भारत लगातार चौथे साल दुनिया देशों में सबसे ऊपर है।

इंटरनेट सेवा में बाधा के चलते देशों को आर्थिक चपत भी लगती है। ब्रुकिंग्स संस्थान ने 2016 को आधार वर्ष मानते हुए इस बारे में एदनियाक विश्लेषण किया। इस विश्लेषण में स्पष्ट हुआ कि उस वर्ष 19 देशों में हुए शटडाउन से सबसे ज्यादा नुकसना भारत को हुआ। भारत को इटरनेट शटडाउन की वजह से उस वर्ष एक बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।

डिजिटल राइट एडवोकेसी समूह एक्सेस ग्रुप की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, भारत सरकार ने पिछले साल यानी 2021 में कम से कम 106  बार इंटरनेट सेवा को बाधित किया। रिपोर्ट में दुनिया के विभिन्न देशों से इस बारे में आंकड़ों को एकत्र किया गया और फिर उनका विश्लेषण करते हुए निष्कर्ष निकाले गए। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर के 34  देशों में लगभग 182 बार इंटरनेट को बाधित किया गया  जो 2020 की तुलना में थोड़ा अधिक है। 2020 में 29 देशों में 159  बार इंटरनेट शटडाउन किया गया था।

शटडाउन की वजह क्या रही ?

रिपोर्ट में जानकारी दी  गई है कि, भारत के बाद 2021 में म्यांमार ने सबसे अधिक बार इंटरनेट शटडाउन किया। इस दौरान उसने 15 बार इंटरनेट को बंद किया। इसके बाद सूडान और ईरान में पांच-पांच बार इंटरनेट को बाधित किया गया। रिपोर्ट मे ये भी बताया गया कि, बीते पांच साल के उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत मे इंटरनेट शटडाउन सबसे ज्यादा बार राजनीतिक स्थितियों जैसे चुनाव और विरोध प्रदर्शन के दौरान किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, कोविड महामारी की स्थितियों से बाहर निकलने के साथ धीमे-धीमे फिर से इंटरनेट शटडाउन के हालात में बढोतरी देखने को मिली। इस दौरान, 2021 में सरकारों ने लंबे समय तक किन्हीं विशेष परिस्थियों का हवाला देते हुए इंटरनेट शटडाउन किया और अपने कदम को न्यायसंगत ठहराने के लिए एक ही तरह की दलीलें दीं।

एक्सेस नाउ ने अपनी रिपोर्ट में य़े भी बताया कि, ऐसी आशंका भी है कि, भारत सरकार ने इस मामले में पूरी पारदर्शिता नहीं बरती है और नेटवर्क बाधाओं के कई मामलों को रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार इंटरनेट शटडाउन से संबंधित  कोई भी सेंट्रलाइज़ डेटा को तैयार करने और उसे संरक्षित रखने के पक्ष में कतई नहीं है।

क्या सरकार सच से डरती है ?

स्वतंत्र सूचना के अधिकारों के लिए सक्रिय रोमा साहनी के अनुसार, भारत में इंटरनेट शटडाउन की वजह प्रशासन की नाकामी और कुछ हद तक साजिश का नतीजा रही है। सरकार खुद नहीं चाहती कि लोग तक सही जानकारी पहुंचे और इन माध्यमों का इस्तेमाल इस तरह से किया जा सके कि अफवाहों के बदले सही सूचनाएं लोगों तक पहुंचें। आंकड़ों को देखकर लगता है कि भारत में इंटरनेट शांति-व्यवस्था की राह में सबसे बड़ी बाधा है। वे मानती हैं कि, सरकार के पास तकनीक भी है और तरीका भी लेकिन पिछले कुछ सालों में उसकी सेलेक्टिव अप्रोच के चलते ऐसी समस्याएं खड़ी हुईं हैं। सरकार खुद सच को छिपाने में जुटी है। सूचनाओं के बहुत से सोर्स हैं। इंटरनेट के माध्यम से लोग के पास सरकारी सच के अलावा भी दूसरे साधनों से सच पहुंचता है। सरकार को इसी से तो डर लगता है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया    

 

 

 

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