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भारत की साख और छवि को लेकर क्यों चिंतित हैं रघुराम राजन, समझिए…

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मुंबई (गणतंत्र भारत के लिए शोध डेस्क) : भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आगाह किया है कि भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जिस तरह का माहौल दिखाई दे रहा है उससे भारतीय़ उत्पादों के लिए दूसरे देश के बाजारों में मुश्किल हो सकती है। उन्होंने कहा कि इसके चलते विदेशी सरकारें भारत को एक गैर-भरोसेमंद साझेदार मान सकती हैं। राजन ने कहा कि भारत की साख एक जीवंत लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष छवि वाले देश के रूप में रही है लेकिन अब उसे अपनी इस छवि को बनाए रखने की लड़ाई लड़नी पड़ रही है।

रघुराम राजन ने एक मीडिया नेटवर्क द्वारा आयोजित एक कॉन्क्लेव में कहा कि,  अगर हमारी छवि एक ऐसे लोकतांत्रिक देश की बनती है, जो अपने सभी नागरिकों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करता है, तो गरीब देश के रूप में हमें अधिक सहानुभूति मिलती है। उपभोक्ता कहते हैं कि मैं ऐसे देश से सामान खरीद रहा हूं, जो सही काम करने की कोशिश कर रहा है। इस तरह से हमारा बाजार बढ़ता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में गर्मजोशी भी इस तरह की धारणाओं से ही तय होती है।

एजेंसी के खबरों के अनुसार, रघुराम राजन ने कहा कि,  केवल उपभोक्ता ही ऐसा विकल्प नहीं चुनते हैं कि किसको संरक्षण देना है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में गर्मजोशी भी इस तरह की धारणाओं से तय होती है। सरकारें,  अल्पसंख्यकों के प्रति कोई देश कैसा बर्ताव कर रहा है  इस आधार पर निर्णय लेती हैं और तय़ करती हैं कि कोई देश विश्वसनीय भागीदार है या नहीं।

रघुराम राजन ने कहा कि चीन उइगरों (मुस्लिम अल्पसंख्यक) के साथ और कुछ हद तक तिब्बतियों के साथ भी इस तरह की छवि समस्या से जूझ रहा है  जबकि यूक्रेन को भारी समर्थन मिला है। यहां के राष्ट्रपति ब्लादीमीर ज़ेलेंस्की को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है  जो लोकतांत्रिक विचारों की रक्षा के लिए खड़ा है।  दुनिया उन पर भरोसा करती है।

रघुराम राजन ने कहा कि, सर्विस सेक्टर के जरिए निर्यात भारतीयों के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है। देश को इसे बनाए रखना होगा। राजन ने कहा कि, हमें गोपनीयता पर पश्चिम की संवेदनशीलता के बारे में बहुत जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि, जिन अवसरों का लाभ उठाया जा सकता है, उनमें से एक चिकित्सा क्षेत्र में है।  राजन ने चेतावनी देते हुए कहा कि एक ऐसे देश के रूप में देखे जाने से, जो डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर आश्वस्त नहीं कर सकता है उसके लिए सफलता के दरवाजे बंद हो जैते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय या सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं को कम आंकने से हमारे देश की लोकतांत्रिक साख पर असर पड़ता और वो घटती है।

रघुराम राजन ने जोर दोकर कहा कि सरकार और प्रशासन को प्रभावी कदम उठाने के लिए संबद्ध पक्षों से विचार-विमर्श करना चाहिए और फिर आगे बढ़ना चाहिए। इस मामले में उन्होंने कृषि कानूनों का जिक्र किया जिसे किसानों के भारी विरोध के बाद सरकार को वापस लेना पड़ा।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिय़ा

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